एफसीआई, नान और मार्कफेड के अफसरों की ऐसी कृपा बरसी  - छोटे से छोटा ट्रांसपोर्टर एक दशक में बन गया बड़ा सिंडिकेट

The officers of FCI, NAN and Markfed showered such grace - the smallest transporter became a big syndicate
एफसीआई, नान और मार्कफेड के अफसरों की ऐसी कृपा बरसी  - छोटे से छोटा ट्रांसपोर्टर एक दशक में बन गया बड़ा सिंडिकेट
एफसीआई, नान और मार्कफेड के अफसरों की ऐसी कृपा बरसी  - छोटे से छोटा ट्रांसपोर्टर एक दशक में बन गया बड़ा सिंडिकेट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । एफसीआई रिश्वत कांड ने अफसरों व ट्रांसपोर्टर्स के गठबंधन का जो खुलासा किया है, उसके घेरे में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) तथा राज्य विपणन संघ (मार्कफेड) के अफसर भी हैं। महाकोशल का जबलपुर हो या फिर कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, बालाघाट, डिंडोरी तथा इससे लगा विंध्य का शहडोल संभाग, अफसरों की चुनिंदा ट्रांसपोर्टर्स पर ऐसी कृपा बरसी कि वे चंद वर्षों में बड़ा सिंडिकेट बन गए। जबलपुर के बालाजी टांसपोर्टर्स ने अपनी करीब आधा दर्जन सहयोगी कंपनियों के साथ जबलपुर सहित सिवनी व कटनी में सरकारी अनाज के परिवहन के ठेके पर कब्जा जमाया तो शहडोल के जकरिया ट्रांसपोर्ट ने अनूपपुर व शहडोल के साथ समीपी डिंडोरी जिले में कब्जा जमा लिया। नरसिंहपुर में अमर गुड्स व इसकी सहयोगी न्यू अमर गुड्स का सिंडिकेट खड़ा है। दूसरे ने एंट्री मारी तो उसे भी साध लिया7इन पर शक न हो, ट्रासंपोर्ट सिंडिकेट ने या तो अपनी दूसरी कंपनियों को समय-समय पर खाद्यान्न परिवहन ठेके के लिए आगे किया या फिर दूसरा कोई आया तो उसे भी साध लिया। बड़ा मामला शहडोल का है जहां जकरिया ट्रांसपोर्ट एक दशक से भी अधिक समय से काबिज है। यहां, प्रधानमंत्री कल्याण योजना के तहत वितरित होने वाले अनाज के परिवहन का ठेका कटनी की श्रीराम नामक फर्म ने हासिल कर लिया। जकरिया ने श्रीराम के संचालक अमित गुप्ता से यह काम पेटी पर हासिल कर लिया और अफसर आंख बंद किए रहे। अनूपपुर में जकरिया की सहयोगी फर्म फौजी ट्रांसपोर्ट को तो उसने पिछले साल ही एंट्री दिला दी थी।
नरसिंहपुर की अमर गुड्स ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए7जबलपुर के बालाजी ट्रांसपोर्ट समूह के समान नरसिंहपुर में अमर गुड्स का कई दशकों से एकछत्र राज है। एफसीआई का हो या फिर नान तथा मार्कफेड का, हरेक का परिवहन ठेका जैसे भी हो अमर गुड्स समूह की झोली में ही जाता है। 2016 में राजन ीतिक स्तर भी इसके साम्राज्य को खत्म करने की कोशिशें हुईं लेकिन अफसरोंं की मेहरबानी ने किसी दूसरे की एंट्री नहीं होने दी। यहां तक कि किसानों से सीधे गोदामों पर खाद्यान्न सप्लाई के प्रस्ताव को भी नामंजूर कर दिया गया। 
कटनी में तो मेहरबानी के रिकार्ड टूटे
कटनी में नान के अफसरों की ट्रांसपोर्टर पर मेहरबानी के मामले हर साल सामने आते हैं। बड़ा उदाहरण, मेसर्स राहुल सलूजा हैं। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त इस फर्म को इस साल एलआरटी का ठेका मिला है। इसे 2017 में ही नान के तत्कालीन एमडी विकास नरवाल ने सरकारी राशन की हेराफेरी तथा कालाबाजारी के आरोप में ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। साथ ही यह भी इंगित किया था कि इन्हें भविष्य में सरकारी योजनाओं के परिवहन का काम नहीं दिया जाए। बावजूद इसके ये बराबर काम पाते आ रहे हैं। पिछले विपणन सत्र में भी राहुल सलूजा फर्म पर 56 लाख रुपए से अधिक के जुर्माने व ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई प्रस्तावित हुई थी।

नहीं टूटा बालाजी का तिलिस्म
अफसरों की कृपा की बड़ी मिसाल जबलपुर का बालाजी ट्रांसपोर्ट समूूह है, जिसका तिलिस्म आज तक कोई नहीं तोड़ पाया। इस ग्रुप में बालाजी गुड्स, नर्मदा ट्रांसपोर्ट, नर्मदा इंटरप्राइजेस, तिरुपति कार्गो, रामेश्वर तथा पंकजम ट्रांसपोर्ट शामिल हैं। बालाजी, तिरुपति कार्गो तथा नर्मदा ट्रांसपोर्ट का नाम सिवनी में हुए खाद्यान्न परिवहन घोटालों में जुड़ा तो नर्मदा इंटरप्राइजेज तथा रामेश्वरम ट्रांसपोर्ट का नाम 2014 में जबलपुर में हुए समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी तथा परिवहन में हुए करोड़ों के अनाज के गोलमाल से जुड़ा। इस मामले में नर्मदा इंटरप्राइजेज तथा रामेश्वरम ट्रांसपोर्ट के संचालकों पर एफआईआर तक के आदेश हुए थे। 
 

Created On :   15 Jun 2021 2:34 PM IST

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