फिर चलन में पत्तल-दोना, सरकार के फैसले से व्यवसाय को मिली संजीवनी 

the pattal dona businees got sanjivani from the government decision
फिर चलन में पत्तल-दोना, सरकार के फैसले से व्यवसाय को मिली संजीवनी 
फिर चलन में पत्तल-दोना, सरकार के फैसले से व्यवसाय को मिली संजीवनी 

नवीन अग्रवाल , गोंदिया। भारत का परंपरागत पत्तल व्यवसाय प्लास्टिक के बढ़ते चलन के कारण लगभग मृतप्राय: हो चुका था लेकिन सरकार के प्लास्टिक बंदी के निर्णय के बाद जिले में फिर से पत्तल व्यवसाय फलने-फूलने लगा है जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ ही कभी गांव की महिलाओं द्वारा पत्तल बनाते समय गाये जानेवाले मधुर लोकगीतों की गूंज अब फिर से सुनाई देने लगी है। 

पलाश,महुआ और चार के पत्तों का होता है इस्तेमाल
प्लास्टिक के पत्तल और दोने बाजार में आने से पूर्व परंपरागत रूप से वनों से प्राप्त होनेवाले विभिन्न प्रजाति के पेड़ जिसमें पलाश, महुआ, चार आदि का समावेश था। इन पेड़ों के पत्तों से पत्तल व दोनों का निर्माण किया जाता था जो पर्यावरण सुरक्षा के साथ ही भोजन का स्वाद भी बढ़ा देता था लेकिन प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल के कारण पत्तल व्यवसायियों पर भुखमरी की नौबत आ गई थी। अब जब प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लग चुकी है, पत्तल व्यवसायियों के दिन बहुर चुके हैं। जिले के विभिन्न ग्रामों में पत्तल निर्माण का कार्य एक बार फिर शुरू हो चुका है। साथ ही इसकी मांग भी बाजार में होने लगी है। इसकी शुरुआत गोंदिया तहसील अंतर्गत ग्राम किंडगीपार से हो चुकी है। व्यवसाय फिर से शुरू होने पर ग्राम की महिलाओं ने खुशी जताते हुए कहा कि, अब उन्हें रोजगार के लिए कहीं और पलायन नहीं करना पड़ेगा क्योंकि अब ग्राम में ही रोजगार प्राप्त हो रहा है। 

रोजगार मिला
पत्तल व्यवसाय शुरू होने से अब नागरिकों को ग्राम में ही रोजगार मिल चुका है। इससे प्रतिदिन 100 से 150 रुपए की आय ग्रामीणों को पत्तल व्यवसाय से होने लगी है।   

पारंपारिक व्यवसाय की ओर वापसी
पत्तल निर्माण के लिए पेड़ की पत्तियों की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन सुबह ग्राम की महिलाओं के झुंड वनों की ओर जाते हैं और वहां से पत्ते इकट्ठा कर सामूहिक रूप से पत्तल का निर्माण करते हैं। पत्तल बनाते समय यह महिलाएं लोकगीत भी गाती हैं। ऐसे में अब फिर से ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपारिक लोकगीतों के स्वर गूंजने लगे हैं। 

ये भी हैं फायदे
जैविक खाद का निर्माण 
अच्छा रहता है स्वास्थ्य  
वनों की होती है सुरक्षा 
 

Created On :   3 April 2018 3:32 PM IST

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