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गांवों की सड़कें बदहाल, शहरों में बिछ रहा सीमेंट रोड का जाल
डिजिटल डेस्क,नागपुर। गांवों को शहर से जोड़ने के लिए हर गांव में सड़क बनाने की सरकार की योजना कागजों में ही दिखाई दे रही है। नागपुर शहर के हर क्षेत्र में नई व सीमेंट की सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, जबकि ग्रामीण इलाकों में सड़कों का निर्माण अधर में लटका हुआ है। विकास कार्यों की गति इस कदर धीमी है कि इस वित्तीय वर्ष के आखिरी सप्ताह तक सड़कों के निर्माण के लिए उपलब्ध राशि में से महज 28.55 फीसदी निधि ही खर्च की जा सकी है। संभाग के 6 जिलों के लिए मंजूर 394 ग्रामीण सड़कों में से केवल 128 का कार्य पूरा हुआ है। 37 सड़कों के कार्य अब तक शुरू नहीं किए जा सके हैं, जबकि 229 मार्गों का निर्माण काफी धीमी गति से चल रहा है।
गांवों की सड़कों पर नहीं ध्यान
बारिश, भारी वाहनों का आवागमन, बैलगाड़ी व ट्रैक्टर आदि के कारण ग्रामीण इलाकों की सड़कों का बुरा हाल हो जाता है। बारिश के दिनों में गहरे गड्ढे हो जाते है। सरपंच, पंचायत समिति सदस्य एवं जिला परिषद सदस्य, विधायक आदि जनप्रतिनिधियों तक शिकायतें पहुंचने लगती हैं। प्रशासन की सहायता से इन सड़कों का निर्माण कराने के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाते हैं। तकनीकी मंजूरी प्राप्त करने के बाद निधि उपलब्ध कराई जाती है। परंतु निधि की उपलब्धता के बाद इन सड़कों के निर्माण पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों में भी बदहाल सड़कों के कारण दुर्घटनाओं का प्रमाण बढ़ रहा है।
निधि उपलब्धता के बावजूद अनदेखी
आमतौर पर ग्रामीण इलाकों के लिए विकास निधि अपेक्षा के अनुरूप उपलब्ध नहीं होने के कारण अधिकांश स्थानीय जनप्रतिनिधियों में नाराजगी होती है। अब जब करोड़ों की निधि सड़कों के निर्माण के लिए उपलब्ध करा दी गई है तो विकास कार्य को गति दिलाने में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को कामयाबी नहीं मिल पा रही है। संभाग के नागपुर, वर्धा, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर एवं गड़चिरोली जिलों के लिए कुल 38 करोड़ 69 लाख 42 हजार रुपए ग्रामीण सड़कों का निर्माण करने के लिए उपलब्ध कराए हैं। इसके बावजूद अब तक महज 11 करोड़ 4 लाख 61 हजार रुपए खर्च हुए हैं। इसके चलते ग्रामीण सड़क विकास कार्यक्रम विफल साबित होता दिखाई पड़ रहा है।
Created On :   4 April 2018 7:54 AM GMT