भारत को जो आध्यात्मिकता चाहिए वह संत गुलाबराव महाराज के ग्रंथों में

The spirituality that India needs is in the texts of Sant Gulabrao Maharaj
भारत को जो आध्यात्मिकता चाहिए वह संत गुलाबराव महाराज के ग्रंथों में
भारत को जो आध्यात्मिकता चाहिए वह संत गुलाबराव महाराज के ग्रंथों में

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारत को वर्तमान में जिस आध्यात्मिकता की आवश्यकता है वह संत गुलाबराव महाराज के ग्रंथों में है। महाराज ने विभिन्न संप्रदाय की अच्छी चीजों को लेकर लिखा। जैसे विभिन्न फूलों से पराग को जमाकर मधुमक्खी शहद बनाती है, हमें उन पुष्प के बारे में मालूम नहीं होता है, लेकिन शहद के तत्व को हम समझते हैं। उनकी इसी शैली के लिए उन्हें समन्वय महर्षि कहा गया है। यह बात हाल ही में संस्कृत में साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित डॉ. मधुसूदन पेन्ना ने ‘दैनिक भास्कर’ से चर्चा कै दौरान कही। डा. पेन्ना रामटेक स्थित कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय में भारतीय धर्म तत्वज्ञान तथा संस्कृति शंकाए में अधिष्ठाता हैं।

उन्होंने बताया कि, संत गुलाबराव महाराज का जन्म अमरावती जिले के माधान गांव में हुआ था। परिवार में कोई पढ़ा-लिखा नहीं था और 9 माह की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। बावजूद उन्होंने वेद, पुराण और शास्त्रों सहित अन्य ग्रंथों को सुना। उन्हें सुनकर एक बार में याद हो जाता था। इसके बाद िहन्दी, संस्कृत, ब्रज और मराठी में 134 ग्रंथ लिखे, जिसमें 32 संस्कृत में थे। मैं मूल रूप से तेलंगाना का होने के कारण उनको अधिक नहीं जानता था। वर्ष 2000 में महाराज के योग विचार पर पीएचडी के पहले विद्यार्थी से मुझे बताने को कहा, उस समय मेरा पहला परिचय उनके साथ हुआ। मैंने उनको पढ़ा, तो धीरे-धीरे मुझे उनकी बातें समझ आईं।

नहीं मालूम था मुझे अवार्ड मिलेगा
मैंने कभी नहीं सोचा था कि, संस्कृत में साहित्य अकादमी अवॉर्ड मिला मुझे मिलेगा। यह अवॉर्ड इतना बढ़ा है कि, सुनने में लगता है यह मनुष्यों के लिए नहीं, देवताओं के लिए बना है। बड़ी बात यह है कि, यह अवॉर्ड 60 वर्ष की उम्र से अधिक वाले लोगों को ही मिलता है, लेकिन मुझे 52 की उम्र में दिया गया। हालांकि मेरे साथ 80 वर्ष की उम्र के लोग भी इसकी रेस में थे।

महाराज पर 800 श्लोक का प्रज्ञा चक्षुशंक लिखा
जब मेरी उनको जानने की रुचि बढ़ी, तो उनके 134 ग्रंथों को पढ़ा। उससे पॉइंट को निकाला। इसके बाद 800 श्लोकों के प्रज्ञा चक्षुशंक नामक ग्रंथ को लिखा। इस ग्रंथ की यह विशेषता है कि, इसमें उनके जीवन और विचार को लिखा गया, जो अब तक नहीं लिखा गया।

Created On :   6 Jan 2020 12:08 PM IST

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