बेर तोडऩे वाला बचपन मोबाइलों में व्यस्त

The stone pelters are not seen in the berry tree, the traditions and activities of the village are getting lost
बेर तोडऩे वाला बचपन मोबाइलों में व्यस्त
पन्ना बेर तोडऩे वाला बचपन मोबाइलों में व्यस्त

डिजिटल डेस्क पन्ना। इस मौसम में इन दिनों गांव में बहुत बेर दिखाई दे रहे हैं। जनवरी माह में यह मीठे बेर खूब पकते हैं इन बेर के पेड की डालियां जमीन तक झुक गई हैं। पहले के समय में जब बच्चे गांव में होते थे तो बड़े दिनों की छुट्टियां या मकर संक्रांति की छुट्टी में बच्चों का समूह बेर तोडऩे निकलता था जगह-जगह लगी बेरियों के फल पाने बच्चों में प्रतिस्पर्धा और लड़ाइयां तक हो जाती थी लेकिन इन दिनों गांव में यह बेरिया खूब फली हुई हैं। इन पेडों पर फल तो हैँ पर इन्हें तोडऩे वाला कोई नहीं है क्योंकि बेर के पेड में पत्थर मारकर ही सामान्यत: बेर तोड़े जाते रहे हैं बच्चे भी कुछ शैतानी तो कुछ सहज भाव में बेर के पेड में खूब पत्थर चलाते थे लेकिन बदलते वक्त के साथ बच्चों के स्वभाव और संस्कार भी बदलने लगे हैं। अब जो बच्चे पेडों से बेर तोडते थे वह मोबाइलों में व्यस्त हैं इसलिए बेर तोडऩे वाला गांव में कोई भी बच्चा नहीं दिखाई देता है। मोबाइल की संस्कृति जिस तरह से तेजी से बढ़ी है उसी तरह गांव की परंपरा और संस्कृति भी तेजी से खत्म हो रही है। यह एक चिंतनीय विषय है मौसमी फलों को खाने से शरीर को फायदा होता है यह सभी डॉक्टर और वैज्ञानिक बता चुके हैं पर समय परिस्थिति के अनुसार भी फल खाने वाले लोग इन फलों से विमुख हो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि लोगों को बचपन में ही व्याधियों लग जाती है इसलिए अभिभावकों को चाहिए मासूम बच्चों का बचपन मोबाइलों में गुम न होने दें उन्हें घरों से निकलकर खेलने बाहर घूमने खेतों में जाने और बेर तोडक़र खाने जैसी गतिविधियों में शामिल होने देंं। 

Created On :   15 Jan 2022 10:26 AM IST

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