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रहस्मयी बावड़ी की जल सुरंग से मिल रहा है हर दिन ढाई लाख लीटर पानी
डिजिटल डेस्क, पन्ना। भीषण जल संकट से जूझ रहे पन्ना शहर के पौने तीन सौ साल पुराना तालाब धरमसागर तालाब एवं शहर का सबसे बड़ा लोकपाल सागर तालाब जहां इस समय सूखकर मैदान में तब्दील हो चुका है दोनों तालाबों धूल उड़ रही है वहीं इन सबके बीच पन्ना शहर स्थित कुछ कुओं और बावडियों से रहस्मयी जल सुरंग से लगातार जलधारायें निकल रही है वे न केवल आश्चर्य जनक है बल्कि इन जल सुरंगों में पन्ना शहर के निर्माण के साथ अन्डर ग्राउड व्यवस्थित विशाल जल प्रबंधन के निर्मित होनें की कहानी भी बयां कर रही है तथा पन्ना में वर्षों पूर्व तैयार अन्डर ग्राउड वाटर मेैनेैजमेन्ट बड़े शोध का विषय है। भीषण जल संकट से जूझ रहे शहरवासियों के लिए महेन्द्र भवन स्थित प्राचीन बावड़ी शहरवासियों के लिए इस समय पानी के लिए बड़ा सहारा बन गई है। नगर पालिका द्वारा बावड़ी में मोटर पम्प लगाकर टैकंरों में पानी भरकर शहरवासियों को प्रदान किया जा रहा है बावडी से दस टेैकंर पानी को भरकर मोहल्लो में पहँुचा रहे है। एक टैकंर औसतन ७-८ बार बावड़ी के पानी से भरा जा रहा है इस तरह औसतन ७० से ८० टैकंर पानी की सप्लाई बावड़ी से निकाले जा रहे पानी से की जा रही है। जिससे शहर में बावड़ी से अनुमानित ढाई लाख से अधिक लीटर पानी प्रतिदिन निकाला जा रहा है। अचरज की बात यह है कि घन्टे दो घन्टे तक मोटर पम्प को बंद कर देने के बाद बावड़ी में पानी अपने आप एक फिक्स लेवल तक फिर से भर जाता है।
बावड़ी के अन्दर २० फिट नीचे जल सुरंग सें अनवरत निकल रही है जलधारा
शहर में जब इस समय ५०० से ६०० फिट बोरिंग करने के बाद भी पानी नही निकल रहा है वहीं महेन्द्र भवन की बावड़ी इससे जुड़ी जल सुरंग से २४ घन्टे गिरने वाली जलधारा से खाली ही नही होती। जिस रास्ते से बावड़ी में जलधारा गिरती है वहां से बावड़ी में पानी गिरने के लिए जंगलानुमा रास्ता बना हुआ है जिससे नियमित रूप से बावड़ी में पानी गिर रहा है। भीषण गर्मी के वक्त इतनी मोटी तरंग कहाँ से आती है इसको लेकर लोग आश्चर्यचकित है। बताते है कि इस तरह की जल सुरंगे शहर के कुछ और कुओं से और बावडिय़ों से जुड़ी है जिसको लेकर यह कहा जा रहा है कि स्टेट समय में जल प्रबंधन की उच्चतम तकनीकि का प्रयोग कर अन्डर ग्राउड वाटर सिस्टम बनाया गया था जिसका प्रमाण कुओं व बावडिय़ो से जल तरंगों के रूप में पानी के निकलने के प्रमाण है।
बावडी के अन्दर बना रहस्मयी दरवाजा
महेन्द्र भवन की बावड़ी रहस्यों से भरी हुई है जिसमें इस बावड़ी में बना लगभग ०६ फिट ऊँचाई और ०३ फिट लंबाई का एक दरवाजा है। इस दरवाजे के अन्दर से आगे पहँुचने का रास्ता है बताते है कि दरवाजे के अन्दर से नीचे जाने के लिए सीढिय़ां बनी हुई है। लगभग २० फिट तक अन्दर के रास्ते की दूरी तय करने की बात भी लोग बताते है इसके बाद आगे रास्ते कहां जाता है इसके बारे में किसी भी तरह की जानकारी नही है। बावड़ी के अन्दर रास्ते को लेकर सुनीसुनाई इस तरह की चर्चायें होती रही है कि पन्ना शहर में जमीन के नीचे आने-जाने के कुछ खास स्थानों के लिए जिसमें महल आदि शामिल रहे है के लिए रास्ते बने हुए थे।
जल संकट के वक्त काम आ रही है बावडी अब तक होती रही उपेक्षा
महेन्द्र भवन स्थित प्राचीन बावड़ी बंूद-बंूद पानी के लिए तरस रहे हजारो शहरवासियों के लिए संकटमोचक बनी हुई है किन्तु प्राचीन ऐतिहासिक एवं रहस्मयी बावड़ी की सुरक्षा एवं रखरखाव को लेकर नाममात्र का काम भी नही हुआ है। बावड़ी जर्जार स्थिति में है झांड-झंकड के साथ बावड़ी के अन्दर पीपल,बरगद के पेड़ की शाखायें बड़ी होकर बावड़ी में पत्थरो की जुड़ाई को नुकसान पहँुचा रहे है जिससे बावड़ी की दीवाल काफी अहद तक क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
Created On :   29 Jun 2022 3:46 PM IST