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बर्दाश्त की सीमा होती है, अमर्यादित टिप्पणी न करें - मुख्यमंत्री शिंदे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विपक्षी नेताओं की टिप्पणियों से नाराज मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को विधानसभा में कहा उनके पास विपक्ष के नेताओं का कच्चा चिठ्ठा है इसलिए अमर्यादित बयान देने से बचें।उन्होंने कहा कि बर्दाश्त की एक सीमा है और यह पार होने के बाद कोई किसी का लिहाज नहीं करता। प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को मदद के मुद्दे पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि सरकार पर सवाल उठाना विपक्ष का काम है। लेकिन सवाल उठाने के दौरान मर्यादा का पालन करना चाहिए। मैंने विपक्ष के नेताओं के साथ काम किया है और मेरे पास सबका चिठ्ठा है। मैं जवाब दे सकता हूं लेकिन हमें काम से जवाब देना है। मुझे ऐसा लगा कि अपनी बात कहने का समय आ गया है। हम इंसान हैं हमारी भी सहनशक्ति की सीमा है। उन्होंने कहा कि मैं किसी को चेतावनी नहीं दे रहा हूं बस अपनी बात रख रहा हूं। वहीं जवाब के बाद विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि भले ही मुख्यमंत्री कह रहे हैं वे किसी को धमकी नहीं दे रहे हैं लेकिन उनकी बात से जो अर्थ निकलता है वह यही है कि वे चेतावनी दे रहे हैं।इसके पहले मानसून सत्र के चौथे दिन महाविकास आघाड़ी के विधायकों ने विधानभवन की सीढ़ियों पर बैठकर जोरदार नारेबाजी की। विपक्षी दल के विधायक पचास खोके... एकदम ओके, स्थगन सरकार हाय.. हाय, आले रे आले गद्दार आले...जैसे नारे लगा रहे थे। विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इन नारों को सुना था शायद इसी के चलते उन्हें विपक्ष के सदस्यों को चेतावनी दे दी।
33 फीसदी से ज्यादा नुकसान पर भरपाई
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि जिन किसानों का नुकसान 33 फीसदी से ज्यादा हुआ है उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। अब तक 65 मिली मीटर से ज्यादा बरसात होने पर ही नुकसान भरपाई दी जाती थी। उन्होंने कहा कि देरी से बचने के लिए पंचनामा मोबाइल एप के जरिए किया जाएगा। ड्रोन और सैटेलाइट इमेज का भी इसके लिए इस्तेमाल होगा। गोगलगायी, येलो मोजैक जैसे किटकों के प्रभाव के चलते हुए नुकसान के मामले में भी भरपाई दी जाएगी। किसान ज्यादा से ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। नियमित कर्ज वापस करने वाले किसानों को सितंबर महीने से 50 हजार रुपए देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके अलावा किसान आत्महत्या रोकने के लिए कृषि नीति बनाई जाएगी। जिन इलाकों में लगातार प्राकृतिक आपदाएं आतीं हैं वहां पुनर्वास के लिए नीति बनाई जाएगी। आपदा के समय पहले तुरंत 5 हजार रुपए दिए जाते थे यह रकम बढ़ाकर 15 हजार रुपए करने का फैसला किया गया है।
नाराज विपक्ष का वॉकआउट
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार के नेतृत्व में मंगलवार को महाविकास आघाड़ी के विधायकों ने महाराष्ट्र को अतिवृष्टि प्रभावित घोषित नहीं करने और किसानों को 75 हजार प्रति हेक्टेयर और फलबागों को प्रति हेक्टेयर डेढ़ लाख की मदद देने की मांग की उपेक्षा करने पर एकनाथ शिंदे सरकार का विरोध करते हुए सदन का बहिर्गमन किया। अजित पवार ने कहा कि अतिवृष्टि से किसानों की 18 लाख हेक्टेयर जमीन प्रभावित हुई है। इन किसानों को फिर से खड़ा होने में वक्त लगेगा। इस वजह से प्रभावित इलाकों के किसान परिवार के छात्रों का शिक्षा शुल्क माफ होना चाहिए था। हमारी इस मांग को लेकर भी कोई घोषणा नहीं की गई। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को खाने पीने के लिए दिए जाने वाले अनुदान की बेहद जरूरत थी, लेकिन इस पर भी सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। एनडीआरएफ के मापदंड के अनुसार कोई नीतिगत निर्णय घोषित नहीं किया गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीति हमें मंजूर नहीं है। भारी बारिश से जानवर बह गए। उनके पंचनामे नहीं हुए। एक तरफ सरकार महाराष्ट्र को किसान आत्महत्या से मुक्त करने की बात करती है, लेकिन आज किसानों को बिजली के झटके या रॉकेल डालकर आत्महत्या करने की नौबत आ गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक प्रभावितों की मदद नहीं की, जबकि पिछले माह मदद पहुंचाने की घोषणा की गई थी।
Created On :   23 Aug 2022 10:31 PM IST