कोरोना काल में छात्रों की खुराक पर कोई लॉकडाउन नहीं, घर बैठे ही पहुँच रहा राशन

There is no lockdown on the dose of students in the Corona era, the ration is reaching at home
कोरोना काल में छात्रों की खुराक पर कोई लॉकडाउन नहीं, घर बैठे ही पहुँच रहा राशन
कोरोना काल में छात्रों की खुराक पर कोई लॉकडाउन नहीं, घर बैठे ही पहुँच रहा राशन

सरकारी स्कूल बंद होने के बाद भी बच्चों को की जा रही राशन की सप्लाई
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
बीते मार्च से शुरू हुए कोरोना काल में भले ही हर स्कूल में ताले लटक गए, लेकिन सरकारी स्कूलों के छात्रों को मिलने वाली मध्यान्ह भोजन की खुराक पर कोई भी लॉकडाउन नहीं लगा। पहले स्कूलों की रसोई में मध्यान्ह भोजन बनाकर बच्चों को परोसा जाता था, लेकिन अभी स्कूलों के जल्द खुलने की उम्मीद नहीं है, इसलिए अब राशन की सप्लाई उनके घरों पर की जा रही है। भारत सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन की योजना 15 अगस्त 1995 को इसलिए शुरू की गई थी क्योंकि अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कूल पहुँचते थे और भूख की वजह से वे पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते थे। स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने और उनके पोषण में भी इजाफा करने के उद्देश्य से इस योजना को लॉन्च किया गया था। मकसद साफ था कि प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के छात्रों को भरपूर मात्रा में प्रोटीन मिले, जिससे उनका िदमाग िवकसित हो और वे कुपोषण से भी दूर रह सकें।
1586 स्कूलों के 1.11 लाख छात्रों को मिल रहा लाभ
सूत्रों की मानें तो जिले के कुल 1586 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में कुल 1 लाख 11 हजार छात्रों को इस योजना में शामिल किया गया। उनको दाल और सोया तेल के रूप में सूखा राशन देने का लक्ष्य रखा गया है।
शहर में ननि और गाँवों में समूह को मिली जिम्मेदारी
शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों के लिए नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के सप्लाई की जिम्मेदारी स्व सहायता समूहों को दी गई है। कोरोना काल में फिलहाल यह व्यवस्था बंद है। 
पहले दिया चावल और गेहूँ, अब दाल और तेल भी
बीते मार्च माह से सभी स्कूलों की आठवीं तक की कक्षाओं में ताले लटके हैं। पूर्व में प्रत्येक छात्र को चार माह तक चावल, गेहूँ और नमक दिया गया। अब उन छात्रों को दाल और तेल भी मिलेगा। 

Created On :   17 Nov 2020 9:40 AM GMT

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