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धमाका हुआ और धुआँ फैलने लगा, तीसरी मंजिल से मदद के लिए चिल्ला रहे थे लोग
डिजिटल डेस्क जबलपुर। चंडाल भाटा स्थित न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल अग्नि हादसा में 8 की अकाल मौत हो गई। आग लगने के बाद मरीजों को बचाने के दौरान कुछ लोग अंदर गए जो बाहर नहीं निकल सके। लपटें इतनी तेज थीं कि कमरे में फँसे लोगों को बाहर निकालना बेहद मुश्किल हो गया। अस्पताल की तीसरी मंजिल पर फँसे लोग लगातार मदद के लिए चिल्ला रहे थे। कुछ लोगों को खिड़की और दरवाजे तोड़कर बाहर निकाला गया। अस्पताल में जाने के लिए एक ही गेट था, जबकि एग्जिट एंट्री भी होनी चाहिए। पार्किंग के लिए भी जगह नहीं थी। अस्पताल 1500 स्क्वेयर फीट के एक तीन मंजिला भवन में चल रहा था। आग लगने के बाद अस्पताल के बाहर लगा पीवीसी स्ट्रक्चर पिघल कर गिर रहा था, जिससे रेस्क्यू में परेशानी आई। आग की सूचना पर फायर ब्रिगेड का अमला पहुँचा और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। इसके बाद एफएसएल टीम भी मौके पर पहुंची और घटना स्थल को सील कर दिया, साथ ही अस्पताल से मिले दस्तावेज खंगाले।
जनरेटर की वजह से लगी आग
फायर अधीक्षक नगर निगम कुशाग्र ठाकुर ने बताया कि दोपहर के वक्त लाइट चली गई थी, इसी दौरान जनरेटर चालू हुआ और इससे हुए शॉर्ट सर्किट की वजह से आग फैल गई। सबसे पहले आग अस्पताल की फार्मेसी में लगी, इसके बाद तेजी से निचले हिस्से में फैल गई और फिर ऊपर की तरफ बढऩे लगी। अस्पताल में वेंटिलेशन नहीं था, जिससे धुआँ ऊपरी तलों में भरने लगा। आग के दौरान अस्पताल के सामने गुजरा बिजली का तार टूट कर लपटों में घिरे भवन से टकरा गया, जिससे दीवारों में करंट फैल गया। इससे रेस्क्यू में दिक्कत आई। मौके पर विद्युत विभाग की टीम ने सप्लाई रोक दी फिर बचाव कार्य शुरू हो सका।
पहले ग्राउंड फ्लोर पर लगी आग
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोपहर दो बजे के करीब अस्पताल में अचानक आग लग गई, जिसने कुछ ही देर में विकराल रूप धारण कर लिया, आग लगते ही अस्पताल में भर्ती मरीजों से लेकर कर्मचारियों में चीख पुकार व भगदड़ मच गई। आग ने पहले ग्राउंड फ्लोर और फिर सामने के पूरे हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया। अस्पताल में आग लगने की खबर से आसपास के लोग एकत्र हो गए। सूचना मिलते ही नगर निगम के दमकल वाहन मौके पर पहुँच गए और आग बुझाना शुरू किया। अस्पताल के अंदर मरीजों से लेकर कर्मचारी फँसे रहे जिन्हें निकालने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। मौके पर फायर अमले के साथ पुलिस बल ने मोर्चा सँभाला और फँसे हुए लोगों को निकालने के प्रयास शुरू किए। इसके बाद एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुँची और मोर्चा सँभाला।
नोटिस के बाद भी नहीं किया फायर सेफ्टी का इंतजाम
जानकारी के अनुसार अस्पताल में फायर एनओसी के लिए 16 फरवरी को आवेदन किया गया था, जिसके बाद 2 मार्च 2021 को प्रोवीजनल फायर एनओसी दी गई थी। डेढ़ साल बीतने के बाद भी स्थाई एनओसी नहीं ली गई। फायर अधीक्षक श्री ठाकुर के अनुसार अस्पताल में फायर एनओसी न होने के चलते स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया गया था, जिसके बाद विभाग द्वारा कुछ वक्त पहले नोटिस दिया गया था।
कोरोना काल में खुला अस्पताल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल के पंजीयन के लिए 29 दिसंबर 2020 को आवेदन दिया गया था। अस्पताल प्रबंधन द्वारा पंजीयन के लिए किए गए आवदेन में डॉ. निशिन्त गुप्ता, एमडी और डॉ. सुरेश पटेल, एमएस का नाम दिया गया है। इनके अलावा दो अन्य पार्टनर संतोष सोनी और संजय पटेल का नाम भी सामने आया है। हादसे के बाद अस्पताल संचालकों की ओर से किसी तरह का पक्ष सामने नहीं आया है।
मुख्यमंत्री ने कहा- इलाज का खर्च सरकार उठाएगी
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए हादसे पर दु:ख जताया। उन्होंने अस्पताल में हुई अग्नि दुर्घटना में नागरिकों के असमय निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि दु:ख की इस घड़ी में शोकाकुल परिवार स्वयं को अकेला न समझे, राज्य सरकार उनके साथ है। राज्य सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए और गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। घायलों के संपूर्ण इलाज का व्यय भी राज्य सरकार वहन करेगी।
राज्य शासन ने जाँच के लिए बनाई 4 सदस्यीय कमेटी
राज्य शासन ने अग्निदुर्घटना की जाँच के आदेश दिए हैं। राज्य शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक अग्निदुर्घटना की जाँच संभागायुक्त जबलपुर बी चंद्रशेखर की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यों की समिति करेगी। संयुक्त संचालक स्वास्थ्य जबलपुर डॉ. संजय मिश्रा, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश जबलपुर आरके सिंह एवं अधीक्षण यंत्री विद्युत सुरक्षा जबलपुर अरविंद बोहरे को जाँच समिति का सदस्य बनाया गया है।
इन बिंदुओं पर समिति करेगी जाँच, 1 माह में देनी होगी रिपोर्ट
- अग्नि दुर्घटना के कारण, अस्पताल में फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिकल सेफ्टी से संबंधित अनुमतियाँ एवं व्यवस्थाएँ, नगर पालिका अधिनियम के प्रावधान अनुसार भवन अनुज्ञा संबंधी अनुमतियाँ एवं उनका क्रियान्वयन।
- मध्यप्रदेश उपचर्यगृह एवं रुजोपचार संबंधी स्थापनाएँ (रजिस्ट्रीकरण एवं अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 के अंतर्गत अस्पताल के रजिस्ट्रेशन की वैधानिक स्थिति जाँच में शामिल है।
- इसके अलावा समिति आवश्यक समझेगी तो अन्य बिंदुओं को भी जाँच में शामिल किया जा सकेगा। समिति जाँच उपरांत अपना प्रतिवेदन एक माह की अवधि में राज्य शासन को प्रस्तुत करेगी।
घायलों ने सुनाई आपबीती, बोले-धमका हुआ और धुआँ बिल्डिंग में भर गया-
घटना में घायल हुए उदयपुर बरेला निवासी 55 वर्षीय देवलाल वरकड़े ने बताया कि वे पैर में चोट के कारण 4 नंबर वार्ड में भर्ती हुए थे। उनकी देखरेख के लिए बेटी संगीता साथ में थी। दोपहर 2:15 बजे के करीब लाइट गई और तुरंत आई गई। इसके बाद धमका हुआ और अफरा-तफरी मच गई। कुछ ही देर में धुआँ उठने लगा। तब पता चला कि आग लगी है। धुआँ बढऩे पर मुझे निजी अस्पताल इलाज के लिए लाया गया।
- निजी अस्पताल में भर्ती एक अन्य घायल 59 वर्षीय हल्की बाई ने बताया कि एक्सीडेंट में घायल होने के बाद 10 दिन पूर्व वे भर्ती हुई थीं। उन्हें अस्पताल के आईसीयू वार्ड में रखा गया था। आग लगने के बाद उन्हें रेस्क्यू किया गया और अन्य निजी अस्पताल में भर्ती किया गया।
- अन्य घायलों में 25 वर्षीय करोंदा पनागर निवासी रूबी पटेल को भी निजी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसे कुछ देर बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके अलावा सिंगरौली बैढऩ निवासी 25 वर्षीय अमित शर्मा और 40 वर्षीय यूपी मानिकपुर निवासी दीपा यादव को मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया।
इन्होंने दिखाया साहस
- गोहलपुर थाना प्रभारी विजय तिवारी और कोतवाली थाना प्रभारी अनिल गुप्ता ने अन्य सिपाहियों के साथ बचाव कार्य में बहादुरी का परिचय दिया, इस दौरान उनके जख्मी होने की जानकारी भी सामने आई है।
- घटनास्थल के नजदीक ही एक इलेक्ट्रिक शॉप में काम करने वाले शहवाज ने भी हादसे के दौरान बिल्डिंग से 3-4 लोगों का रेस्क्यू किया, इस दौरान वह खुद भी चोटिल हो गया।
हादसे के बाद मेडिकल में बिलखते रहे परिजन, शव देख हुए बेसुध
हादसे के बाद मृतकों के शवों को मेडिकल की मर्चुरी में रखवाया गया था। मर्चुरी के बाहर मरीजों के परिजन रोते बिलखते रहे। उन्हें इस भीषण त्रासदी पर भरोसा ही नहीं हो रहा था। मृतकों के परिजन शवों को अपने साथ ले जाने की माँग कर रहे थे। परिजनों की हालत देखकर वहाँ मौजूद पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें ढाँढस बंधाते हुए नियम-कानून का हवाला देकर शांत कराया। वहीं शाम 6 बजे के करीब कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. और एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा अस्पताल पहुँचे और मर्चुरी जाकर शवों को देखा। इसके बाद अधिकारी द्वय ने मृतकों के परिजनों से चर्चा की एवं उन्हें सांत्वना दी। कलेक्टर ने मृतकों के परिजनों को 10-10 हजार की आर्थिक सहयाता दिए जाने की घोषणा की। जानकारी के अनुसार देर शाम तक 5 शवों का पीएम करने के बाद शव गंतव्य के लिए रवाना कर दिए गए, वहीं 3 शवों का पीएम आज होगा।
भाई की मौत पर बिलखती रहीं बहनें
अग्नि हादसे में मरने वाले अस्पताल कर्मी वीर सिंह की मौत की खबर सुनकर उसकी बहनें रोशनी और चांदनी का रो-रोकर बुराहाल था। दोनों बहनें विलाप कर रही थीं कि मेरे इकलौते भाई को मुझे लौटा दो। उनका कहना था कि इस हादसे की सूचना माँ को कैसे दें। बेटे की मौत की खबर पाकर माँ भी दमतोड़ देगी। वहीं वीर सिंह के करीबियों का कहना था कि उसका विवाह डेढ़ साल पहले हुआ था। उसकी चार माह की बेटी दिव्यायनी है और पत्नी वर्षा घर पर थी, जिसे घटना के बारे में जानकारी नहीं थी।
मरीजों को बचाते हुए गंवाई जान
हादसे में मृत दूसरी महिला अस्पताल कर्मी महिला जाटव मूलत: नरसिंहपुर की रहने वाली बताई जा रही है। यहाँ वह अहिंसा चौक के पास किराए के मकाने में रह रही थी। हादसे के बाद महिला कर्मी ने जान की परवाह किए बिना कई मरीजों को अस्पताल से बाहर निकाला। इसके बाद दमघुटने से बेहोश होकर गिर पड़ी और आग की लपटों में घिर गई। उसकी मौत की खबर परिजनों को भेजी गई जो कि जबलपुर के लिए रवाना हो गए।
छुट्टी के लिए तैयार हो रही थी फाइल
माढ़ोताल निवासी 42 वर्षीय दुर्गेश सिंह को सड़क हादसे में घायल होने पर भर्ती कराया गया था। सोमवार को वह अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाला था और उसकी फाइल तैयार हो रही थी। उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कराने के लिए पहुँचे बड़े भाई मंगल सिंह ने बताया कि अस्पताल पहुँचने पर एक रिश्तेदार की मौत की खबर लगने पर वे अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निकले, इसके कुछ देर बाद ही उन्हें हादसे की जानकारी लगी, तो तत्काल अस्पताल पहुँचे लेकिन तब तक उनकी भाई की मौत हो चुकी थी। एक अन्य मृतक तन्मय सुबह हरारत होने पर अकेले ही अस्पताल पहुँचा था। अस्पताल में उसका उपचार चल रहा था, तभी हादसा हुआ। जान गंवाने वालों में वह सबसे कम उम्र का था।
शव देखकर बेहोश हुआ रिश्तेदार
देर शाम शवों की शिनाख्त कराने के लिए उत्तरप्रदेश मानिकपुर से आए राजेश यादव को मर्चुरी में ले जाया गया। वहाँ उसने अपने भांजे और एक अन्य रिश्तेदार का शव देखा जिसके बाद वह बेहोश हो गया। रिश्तेदार की हालत देखकर लोगों ने उसे सहारा देकर बाहर लाकर बैठाया। राजेश को लेकर आए व्यक्ति ने बताया कि राजेश अस्पताल में भर्ती दीपा यादव के रिश्तेदार हैं। उसे देखने के लिए राजेश अपने भांजे व अनुसूईया के साथ अस्पताल पहुँचा था। उसी वक्त यह हादसा हुआ। आग लगने से मची अफरा- तफरी के बीच राजेश ने मरीज दीपा यादव को गोद में उठाया और किसी तरह बाहर निकला। लेकिन उसका भांजा सोनू और महिला रिश्तेदार अनुसूईया भीतर ही फँस गए और हादसे का शिकार हो गए।
मौके पर पहुँचे जनप्रतिनिधि
घटना जैसे-जैसे शहर में फैली लोग द्रवित हो गए। जनप्रतिनिधि भी घटना की जानकारी लगते ही मौके पर पहुँचने लगे और अपने-अपने स्तर पर लोगों की मदद करने लगे। जनप्रतिनिधियों ने प्रशासनिक अधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर हरसंभव मदद का भरोसा मृतकों के परिजनों और घायलों को दिया। जानकारी मिलने पर सांसद राकेश सिंह ने दु:ख प्रकट करते हुए मृतकों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की और कलेक्टर को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। घटना स्थल पर विधायक अशोक रोहाणी, इंदू तिवारी, लखन घनघोरिया, विनय सक्सेना, पार्षद कमलेश अग्रवाल, पूर्व पार्षद श्रीराम शुक्ला सहित आसपास के कई नेता मौके पर मौजूद थे। सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि आज मंगलवार की सुबह 9:45 बजे घटना स्थल पहुँचेंगे और उसके बाद घायलों से मिलने जाएँगे।
सड़क पर कराहती घायल महिला को अस्पताल पहुँचाया
निजी अस्पताल में आग लगने की सूचना मिलते ही महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू तत्काल मौके पर पहुँच गए। महापौर ने फायर ब्रिगेड के साथ समन्वय कर रेस्क्यू का काम तेज कराया। घायलों को अस्पताल से निकलवाकर दूसरे अस्पताल पहुँचाया। इसके बाद बगल वाले भवन की छत के रास्ते से अस्पताल में प्रवेश कर देखा कि कहीं कोई मरीज या कर्मचारी तो अस्पताल में फँसा नहीं है। बाहर आकर उन्होंने देखा कि अस्पताल से 100 मीटर दूर सड़क पर एक घायल महिला कराह रही है। दीपा यादव नामक महिला ने बताया कि वह अस्पताल में भर्ती थी। उसके पति उसे बचाकर यहाँ छोड़ गए। उसके साथ आई दो महिलाएँ अस्पताल में फँसी हुई हैं। उनको बचाने उसके पति गए हुए हैं। इसके बाद महापौर ने घायल महिला को इलाज के लिए पहुँचाया। करीब 3 घंटे तक घटना स्थल पर रहने के बाद उन्होंने मेडिकल कॉलेज पहुँचकर घायलों से मुलाकात की और मृतकों का पोस्टमार्टम कराने में मदद की।
Created On :   1 Aug 2022 11:15 PM IST