तेंदुपत्ता के लिए मजदूरों के बोनस नियमों में होगा बदलाव, उपलब्ध हो सकेंगे 72 करोड़ 50 लाख रुपए  

There will be a change in the bonus rules of laborers for tendupatta
तेंदुपत्ता के लिए मजदूरों के बोनस नियमों में होगा बदलाव, उपलब्ध हो सकेंगे 72 करोड़ 50 लाख रुपए  
नियमों में बदलाव तेंदुपत्ता के लिए मजदूरों के बोनस नियमों में होगा बदलाव, उपलब्ध हो सकेंगे 72 करोड़ 50 लाख रुपए  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार तेंदूपत्ता संकलन करने वाले मजदूरों को दिए जाने वाले बोनस के नियमों में बदलाव करेगी। सरकार अगले साल से तेंदूपत्ता संकलन में प्रशासनिक खर्च वसूली बंद कर देगी। इससे अगले साल तेंदूपत्ता मजदूरों को 72 करोड़ 50 लाख रुपए का बोनस उपलब्ध हो सकेगी। विधान परिषद में प्रदेश के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि बोनस नियमों में बदलाव का फायदा 1 लाख 60 हजार से अधिक आदिवासी परिवारों को होगा। बुधवार को सदन में भाजपा सदस्य परिणय फुके ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए तेंदूपत्ता मजदूरों को मुद्दा उठाया। इसके जवाब में मुनगंटीवार ने कहा कि फिलहाल तेंदूपत्ता संकलन से जमा होने वाली रॉयल्टी में से प्रशासनिक खर्च निकाला जाता है। इसके बाद बची हुई राशि बोनस के रूप में मजदूरों को प्रदान की जाती है। लेकिन सरकार अगले साल से प्रशासनिक खर्च वसूली बंद करेगी। इससे तेंदूपत्ता संकलन करने वाले मजदूरों को अधिक बोनस उपलब्ध हो सकेगा। मुनगंटीवार ने कहा कि साल 2021 में तेंदूपत्ता संकलन करने वाले मजदूरों को 21 करोड़ 86 लाख रुपए का बोनस दिया जाना है। जिसमें से 15 करोड़ 60 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। बची हुई बोनस की राशि अगले दो महीनों में उपलब्ध करा दी जाएगी।

आदिवासी और वनवासी पर छिड़ी बहस

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान शिवसेना सदस्य आमश्या पाडवी ने कहा कि हम आदिवासियों को लगातार वनवासी कहा जाता है। मंत्री मुनगंटीवार बताएं कि वनवासी कौन सी जाति है? इस पर मुनगंटीवार ने कहा कि वन क्षेत्र में रहने वालों को वनवासी कहा जाता है। जबकि अनुसूचित जनजाति के लोगों को आदिवासी कहते हैं। मुनगंटीवार ने कहा कि मेरे गृह जिले चंद्रपुर के वन क्षेत्रों में केवल आदिवासी ही नहीं बल्कि दूसरे समाज के लोग भी रहते हैं। ऐसे सभी लोग अपने को वनवासी कहते हैं। इस पर पाडवी ने कहा कि हम लोग वन में रहते हैं तो इसका मतलब यह है कि क्या हम लोग जानवर हैं? हम लोग आदमी नहीं है क्या ? वनवासी शब्द का उपयोग कितने साल तक चलेगा? इस बीच लोकभारती के सदस्य कपिल पाटील ने कहा कि आदिवासियों के लिए वनवासी शब्द अपमानजनक है। आदिवासी शब्द का उपयोग होना चाहिए। इसके बाद सदन की उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि आदिवासी और वनवासी में से किस शब्द का उपयोग करना चाहिए। यह एक वैचारिक द्वंद्व है। इस मामले को लेकर अगले एक महीने में बैठक बुलाई जाएगी।

 

Created On :   24 Aug 2022 4:41 PM

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