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80-90 के दशक में युवा दिलों की धड़कन बन चुका था बॉलीवुड का ये सितारा, देखिए टॉप फाइव सान्ग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। 80-90 के दशक में जब बॉलिवुड एक्टर ऋषि कपूर का फिल्मी करियर पूरे शबाब पर था, उस वक्त रेडियों और दूरदर्शन पर उनकी फिल्मों के गीत छाए रहते थे, हालांकि यही भारत में सिल्वर स्क्रीन का शुरुआती दौर भी था। रेडियो के बाद जब देश में दूरदर्शन का विस्तार हो रहा था, उन दिनों सिल्वर स्क्रीन के माध्यम से बॉलीवुड बड़े पर्दे से बाहर निकलकर छोटे पर्दे में अपनी पैंठ बना रहा था। फिल्मी गीतों से सजे धारावाहिक चित्रहार और रंगोली में ऋषि कपूर की फिल्मों के गीतों का जलवा बिखर रहा था।
साल 1980 में ऋषि कपूर की फिल्म "कर्ज" का गाना ओम शांती ओम खासा लोकप्रिय हुआ था
इसके अगले साल ही 1981 में रिलीज हुई थी, फिल्म "जमाने को दिखाना है"। इस फिल्म का एक गीत जबरदस्त हिट हुआ। जिसके बोल हैं- होगा तुमरे प्यारा कौन...ऋषि कपूर अपने जमाने के चॉकलेटी हीरोज में एक थे।
साल 1982 में प्रेम रोग फिल्म में “मेरी किस्मत में तू नहीं शायद” लोगों को बेहद पसंद आया।
इसके बाद 1989 में रिलीज हुई "चांदनी" फिल्म का गीत "चांदनी ओ मेरी चांदनी" में भी अदाकारा श्रीदेवी के साथ उनका अभिनय कमाल था।
लगातार कई फिल्में करने के बाद साल 1992 में आई उनकी फिल्म दीवाना का गीत युवा दिलों के सिर चढ़कर बोल रहा था। जो एक बेहतरीन अदाकारा दिव्या भारती के साथ फिल्माया गया था, - तेरी उम्मीद, तेरा इंतजार करते हैं...
साल 1996 में रिलीज हुई प्रेम ग्रंथ में भी उनका अभिनय जबरदस्त था, फिल्म का गीत हिट रहा, दिल देने की ऋतु आई...
गुरुवार सुबह 8.45 बजे ऋषि कपूर ने अंतिम सांस ली। बुधवार को मुंबई के एनएच. रिलायंस हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती किया गया था। वो कैंसर से पीड़ित थे, करीब एक साल तक न्यूयॉर्क में रहे, जहां उनका इलाज चला था। पिछले साल सितंबर में भारत लौटे थे। उन्हें शानदार अभिनय के कारण बॉलीवुड से चमकते सितारे के समान हमेशा याद किया जाएगा।
ऋषि कपूर ने एक इंटरव्यू में रणबीर को लेकर कहा था कि वे दादा बनना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि रणबीर अब शादी कर लें और बच्चे पैदा करें। निधन के दौरान अस्पताल में ऋषि की पत्नी नीतू सिंह, भाई रणधीर कपूर समेत परिवार के अन्य लोग मौजूद थे। बेटी रिद्धिमा कपूर दिल्ली में थी।
बॉलीवुड के इस नामी हीरो का जन्म 4 सितंबर, 1952 को हुआ था, वे अभिनेता के साथ ही कुशल फ़िल्म निर्माता और निर्देशक भी थे।साल 1974 में तो फिल्म बॉबी के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।
ऋषि कपूर ने सोशल मीडिया पर एक पुरानी फोटो शेयर की थी। तस्वीर में स्वर कोकिला लता मंगेशकर नजर आ रही हैं और उनके हाथ में छोटा सा बच्चा दिख रहा है। ये छोटा सा बच्चा ऋषि कपूर ही थे।
फिल्मी करियर का सफर
साल 1976 में फिल्म कभी-कभी, बारूद, लैला मजनू और रंगीला रतन की थी
साल 1977 में फिल्म चला मुरारी हीरो बनने, अमर अकबर एंथोनी और दूसरा आदमी में दमदार अभिनय किया।
साल 1978 में नया दौर, पति पत्नी और वो, बदलते रिश्ते, फूल खिले है गुलशन-गुलशन में ऋषि को बेहतरीन अभीनेता से रूप में देखा गया।
साल 1979 में झूठा कहीं का , सलाम मेमसाब और सरगम में रोल किया।
साल 1996 में दरार फिल्म भी उनके जबरदस्त अभिनय को लेकर याद दी जाएगी, प्रेम ग्रन्थ में भी दर्शकों ने उन्हें खासा पसंद किया।
इसके बाद साल 2016 में आई थी सनम रे और कपूर एंड संस.
इसके बाद ऋषि ने 1973-2000 तक 92 फिल्मों में शानदार किरदार निभाया है। बतौर रोमांटिक हीरो उन्होने सोलो लीड एक्टर भी अभिनय किया है। ऋषि के साथ रिश्ते की शुरुआत के समय नीतू और ऋषि की पहली फिल्म ‘जहरीला इंसान’ थी.
दरअसल ऋषि कपूर के करियर की शुरुआत 1970 हो गई थी। जब फिल्म मेरा नाम जोकर में उन्होने बाल कलाकार के रूप में अपने पिता के बचपन का रोल किया। जिसमें किशोर अवस्था में वे अपनी टिचर से प्यार करने लगे थे।
Created On :   30 April 2020 6:43 AM GMT