महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाने में जुटी है यह संस्था- मोदी ने सराहा

This institution is engaged in making women digitally literate - Modi appreciated
महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाने में जुटी है यह संस्था- मोदी ने सराहा
महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाने में जुटी है यह संस्था- मोदी ने सराहा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। वक्त पर खुद में बदलाव जरूरी है, तभी जाकर जिंदगी का दौर बदलेगा। इन्ही पंक्तियों को अपना प्रेरणा स्रोत बनाये छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव लाने की दिशा में जुटी हैं मुंबई में रहने वाली शर्मिला ओसवाल। ओसवाल ने अब तक हजारों महिलाओं को डिजिटल बैंकिंग सिखाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके प्रयासों की सराहना कर चुके हैं। 250 महिलाओं के साथ शुरु किए गए इस अभियान में ओसवाल ने ग्रामीण इलाकों में रहने वाली, ठेलों पर सब्जियां बेचने वाली, घरों में काम करने वाली गरीब तबके की महिलाओं को केंद्र में रखा है। अब तक इस साक्षरता अभियान में 75 हजार महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है।

डीडब्ल्यूडब्ल्यू ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

एक महिला दूसरी महिला की परेशानी को बखूबी समझती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ओसवाल ने पहले डिजिटल वूमेन वारियर्स (डीडब्ल्यूडब्ल्यू)  का गठन किया। जिसकी मदद से उन्होंने पालघर, पनवेल, नेरल व रायगढ़ के छोटे छोटे आदिवासी गांवो की महिलाओ को फोन पर यूपीआई व भीम एप के जरिए पैसे के लेनदेन का तरीका सिखाया। ओसवाल बताती हैं कि जनधन खाता धारक महिलाओ को भी हमने अपनी कार्यशालाओं व प्रशिक्षण शिविर में शामिल किया है। इस दौरान हमने ट्रेन दि ट्रेनर प्रोग्राम की शुरुआत की। इसके तहत हमने डीडब्ल्यूडब्ल्यू से जुड़ने वालो को प्रशिक्षित किया और फिर उन्हें दूसरी महिलाओं को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी दी। 

प्रधानमंत्री से मिली सराहना

ओसवाल ने बताया कि इस बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरे इस अभियान की सुध ली और प्रधानमंत्री कार्यालय से मुझे बुलावा आया। ओसवाल बताती हैं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चली 22 मिनट की चर्चा में प्रधानमंत्री ने डिजिटल साक्षारता से जुड़े मेरे प्रयत्नों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आप को शहरों से लेकर गांव की गलियों तक सभी वर्ग की महिलाओं तक पहुचना चाहिए। प्रधानमंत्री ने मुझे हर परिस्थिति में मदद का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री से अपने प्रयास को मिले समर्थन से अभिभूत ओसवाल अब अपने प्रयास से डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में जुट गई है। इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर ग्रुप तैयार किए हैं।

एक रुपए के ट्रांसफर से शुरू होती है शिक्षा

ओसवाल ने बताया कि नोटबन्दी के दौरान लोगों को नकदी के लिए परेशानी देखी तो मन में महिलाओं को डिजिटल तरीके से पैसे के भुगतान के प्रशिक्षण देने का संकल्प आया। क्योंकि महिलाएं ही किराने से लेकर हर छोटी बड़ी खरीदारी करती है। ऐसे में यदि वे लेन देन डिजिटल तरीके से करेगी तो उनका काम और आसान हो जाएगा। सबसे खास बात यह कि यह प्रशिक्षण हमने ऐसी महिलाओं को दिया जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं थे इन्हें हमने आधार नम्बर के जरिए सामान्य की पैड वाले फोन से पैसों का भुगतान किया जाए इसका प्रशिक्षण भी दिया। यह जानने के लिए महिलाओं में डिजिटल लेनदेन को लेकर विश्वास  जगा है, डीडब्ल्यूडब्ल्यू के कार्यकर्ताओं ने महिलाओं को फोन से अपने करीबियों को एक रूपए ट्रांसफर करने के लिए कहा । जब महिलाओं ने ऐसा सफलता पूर्वक किया तो उनमें गजब का आत्मविश्वास दिखा। वे बताती है कि पांच से सात सौ रुपए में आनेवाला फोन आज सामान्य व्यक्ति के पास भी है। इसलिए हमने डिजिटल साक्षरता का अभियान चलाने में बहुत मुश्किल नहीं आई।

नीति आयोग व रामभाऊ म्हलगी प्रबोधिनी संस्था से मिला सहयोग

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में यकीन रखने वाली ओसवाल ने बताया कि हमने रायगढ़ के कोयनार गांव के सभी सब्जी बेचने वालों को एप से पैसों के लेन देन का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को एटीएम से पैसे निकालने के तरीके भी सिखाये।डीडब्ल्यूडब्ल्यू के कार्यकर्ताओं ने पिछड़े आदिवासी  इलाकों में जाकर  पैसे निकालने के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की परेशानी को खत्म किया है। इसके लिए हमने गांव के सरपंच से सहयोग लिया। ओसवाल के मुताबिक नीति आयोग व रामभाऊ  म्हलगी प्रबोधिनी संस्था हमारे अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 

Created On :   24 Jan 2021 6:46 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story