इस संग्रहालय में मौजूद है नर्मदा तट से मिली 5 लाख साल पुरानी मानव खोपड़ी

This museum has 5 million year old human skull
इस संग्रहालय में मौजूद है नर्मदा तट से मिली 5 लाख साल पुरानी मानव खोपड़ी
इस संग्रहालय में मौजूद है नर्मदा तट से मिली 5 लाख साल पुरानी मानव खोपड़ी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नर्मदा तट से मिली लगभग 5 लाख साल पुरानी खोपड़ी आज भी मानव विज्ञान संग्रहालय में देखी जा सकती है। इसे धरोहर स्वरुप रख गया है। वैसे पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति, उसका जीवन विकास, आदिमानव से आधुनिक मानव के बीच की यात्रा आदि से संबंधित अनेक प्रश्नों का जवाब मानवविज्ञान संग्रहालय में आने पर आपको मिल सकता है। यह संग्रहालय संतरानगरी में है और इसे भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण ने सिविल लाइंस में स्थापित किया है।  

नर्मदा के तट से मिली  थी खोपड़ी
लगभग 5 लाख साल पुरानी खोपड़ी के दाहिने भाग का एक हिस्सा मानवविज्ञान संग्रहालय में है। यह खोपड़ी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के डॉ. अरुण सोनकिया को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के हथनोट इलाके में नर्मदा के तट से मिली थी। इसके साथ ही मानव की उत्पत्ति, जीवन विकास, संस्कृति से जुड़ी अनेक प्राचीन धरोहर इस संग्रहालय में रखी गई है। इसमें गुरिल्ला की खोपड़ी, आदिमानव से आधुनिक मानव की ओर अग्रसर मानव के शारीरिक विकास के विविध पहलू, जीवन क्रम, जंगली संस्कृति व बदलता जीवनकाल, पाषाण युुगीन हथियार, हथियार का उपयोग व उन्हें तैयार करने की विधि, पुरातन आभूषण आदि प्रदर्शित किए गए हैं। इसके अलावा उत्खनन में प्राप्त प्राचीन धरोहरें खोपड़ियां, मानव कंकाल यहां हैं। संग्रहालय प्रबंधन दावा करता है कि यहां प्राचीन धरोहरों की जानकारी प्राप्त करने तथा मानवविज्ञान का अध्ययन करने के लिए वर्ष में 25 हजार से अधिक लोग आते हैं। जबकि हकीकत यह है कि संग्रहालय के बारे में शहर के ही लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। सिविल लाइंस स्थित बालाजी मंदिर में दर्शनार्थ आने वाले लोग ही भूले-भटके इस संग्रहालय को देखने आते हैं।

कई रोचक जानकारियों का खजाना,  चंद लोग ही आते हैं यहां                                              लगभग 40 साल पहले अमरावती रोड स्थित हिंदुस्तान कॉलोनी परिसर में मानव विज्ञान संग्रहालय की स्थापना की गई थी। 1999 में इस संग्रहालय को सिविल लाइंस स्थित सीजीओ कॉम्प्लेक्स में स्थानांतरित किया गया। इस संग्रहालय में मानव इतिहास के अलावा कई चीजों को प्रदर्शित किया गया है। यहां आने वाले को कई जानकारियां मिल सकती हैं। खास बात यह है कि यहां 5 लाख साल पुरानी इंसान की खोपड़ी भी रखी है लेकिन इसे देखने के लिए चंद लोग ही आते हैं। लोगों के बहुत कम आने से संग्रहालय में जो चहल-पहल रहनी चाहिए वह नहीं रहती है। हालांकि संग्रहालय प्रशासन दावा करता है कि सालभर में यहां लगभग 25 हजार लोग आते हैं जबकि यहां रखी डायरी इसके उलट कहानी कहती है। हालत यह है कि यहां एक-दो लोग ही प्रतिदिन आते हैं। इनमें भी ज्यादातर वे लोग होते हैं जो यहां बालाजी मंदिर में दर्शन करने आते हैं।

विद्यार्थियों के लिए शिक्षाप्रद है संग्रहालय
इस संदर्भ मेंमानव विज्ञान संग्रहालय के सहायक अभिरक्षक डॉ. संजय शुक्ला का कहन है कि मानव विज्ञान से संबंधित जीवनचक्र के उन पहलुओं को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है जिसके जरिए आदि मानव की उत्पत्ति, जीवन विकास, आधुनिक मानव बनने की प्रक्रिया आदि का अध्ययन किया जा सके। साथ ही संग्रहालय में मध्य भारत की मुरिया, दंडामी, माडिया, धुरवा, कोलाम, सहारिया, भारिया, बैगा, भील, कमार, गोंड आदि जनजातियों की कलाकृतियां, संस्कृति, जीवनशैली आदि को प्रदर्शित किया गया है। यह संग्रहालय लाखांे वर्ष पूर्व के मानव के क्रियाकलापों को भी दिखाता है। इस संग्रहालय का निरीक्षण करने के लिए प्रतिवर्ष तकरीबन 25 हजार विद्यार्थी आते हैं। ये विद्यार्थी गड़चिरोली, अमरावती, वर्धा, कामठी व नागपुर के विद्यालयों के होते हैं। विद्यार्थियों के लिए संग्रहालय लाभदायक है।  

Created On :   25 Dec 2017 11:01 AM GMT

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