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इस मनोचिकित्सक ने मोदी की थाली-ताली अपील को सराहा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। लॉक डाउन के चलतेघरों में रहने को मजबूर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के लोगों के मन में कोरोना को लेकर न सिर्फ भय है बल्कि इसके चलते पैदा होने वाले आर्थिक संकट के कारण लोगो को अपनी जीविका व आय का साधन खत्म होने की चिंता भी सता रही है। इस पर मनोचिकित्सको का कहना है कि खुद को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखकर और परिवार के साथ वक्त बीता कर लोग कोरोना के कारण पैदा हुए अवसाद से मुक्ति पा सकते हैं। इस तरह लोग आसानी से इन मुश्किल वक़्त का सामना कर सकते है।
रचनात्मक कार्यों में खुद को व्यस्त रख
जाने माने मनोचिकित्सक राजेंद्र बर्वे के मुताबिक कोरोना के चलते लगे लॉक डाउन के चलते लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं लेकिन एक वर्ग कोरोना के प्रकोप से भी लापरवाह नजर आ रहा है। इस रुख को उचित नहीं माना जा सकता है। उनका कहना है कोरोना ने मानव जीवन के हर पहलू को झकझोरा है। फिर चाहे स्वास्थ्य हो या संबंध। सबसे ज्यादा कोरोना ने आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है। वर्तमान में गरीब तबके के लोग अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन ऐसे लोग अपनी दिनचर्या में बदलाव न करे। लोगों को घरों में परिवार के साथ रहकर खुशनुमा वक़्त बिताना चाहिए उन्हें इस खाली समय में पुराने झगड़े से बचना चाहिए।
इस मुश्किल समय का करें मुकाबला
फिलहाल सोशल मीडिया लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है, यहां पर लोग अपने घर के काम काज से जुड़ी तस्वीरों को साझा कर खुश हो रहे हैं। हास्य के जरिए बडे से बड़े तनाव व भय को खत्म किया जा सकता है लेकिन हंसी मजाक करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह फूहड़ व निजी तौर पर ठेस न पहुचाए। इस दौरान उन्होंने ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताली व थाली बजाने की पहल की भी सराहना कीऔर कहा कि ऐसी पहल से एकता का भाव पैदा होता है।
लॉक डाउन को लेकर मनोचिकित्सों की राय
वहीं मनोचिकित्सक आंनद नाडकर्णी का कहना है जब लोगों को महसूस होता है कि परिस्थिति उनके नियंत्रण से बाहर है तो वे ज्यादा चिंतित होते हैं। ऐसे मे लक्ष्य निर्धारित सोच काफी कारगर होती है। इस सोच से किसी भी भय व बेचैनी से मुक्ति पायी जा सकती है। जबकि मानव आचरण अध्ययन में विशेषज्ञ राधिका नाडकर्णी का कहना है कि तनाव व भय से मुक्ति के लिए शारिरिक व मानसिक मजबूती दोनों जरूरी है। सकारात्मक और रचनात्मक सोच से चुनौती पूर्ण परिस्थितियों पर जीत हासिल की जा सकती है। इन परिस्थितियों में किसी भी समस्या के उत्तर की तरह सवाल भी काफ़ी महत्वपूर्ण होते हैं। वहीं आर्किटेक्चर रोहित हेडे लॉकडाउन को एक अवसर की तरह देख रहे हैं। उनका कहना है कि इस दौरान उन्होंने ने अपनी कई पेंटिंग को पूरा किया है, जो 6 साल से अधूरी थी। रोहित कहते हैं-अब मैं अपने दूसरे लॉक डाउन को लेकर मनोचिकित्सों की राय कार्यों की योजना बना रहा हूं।
Created On :   10 April 2020 12:27 PM IST