इस बार अलग रंग में नजर आएगा नवरात्र - दर्शन तो कर सकेंगे, जल चढ़ाने और सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रम पर बंदिश

This time, Navratri will be seen in a different color - you will be able to see, restriction on offering water
 इस बार अलग रंग में नजर आएगा नवरात्र - दर्शन तो कर सकेंगे, जल चढ़ाने और सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रम पर बंदिश
 इस बार अलग रंग में नजर आएगा नवरात्र - दर्शन तो कर सकेंगे, जल चढ़ाने और सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रम पर बंदिश

डिजिटल डेस्क  कटनी । दस दिन बाद प्रारंभ होने वाला आस्था का महापर्व शारदेय नवरात्र का नजारा इस बार हटकर रहेगा। दशकों बाद मां आदि शक्ति की आराधना और उपासना भक्त शासन की लक्ष्मण रेखा में रहकर  करेंगे। मंदिरों में तो भक्त पहुंचेंगे, लेकिन यहां पर प्रतिमाओं के पास नहीं जा सकेंगे। इतना ही नहीं कई जगहों पर तो जल चढ़ाने का काम भी भक्त नहीं कर सकेंगे। दरअसल इस बार नवरात्र पर्व पर भी कोरोना संक्रमण का साया है। जिसके लिए छूट के साथ बंदिश भी पर्व में पूरे समय बनी रहेगी। जिला प्रशासन ने भी साफ कर दिया है कि जिले में फिलहाल किसी अलग तरह से छूट नवरात्र पर्व में नहीं दी जाएगी। प्रदेश सरकार ने जो गाइड लाइन तय किया है। उसी के अनुसार जिले में भी पर्व मनाया जाएगा। पिछले वर्ष शारदेय नवरात्र में शहर भर में करीब 200 जगहों पर पंडालों की स्थापना की गई थी। इस बार पंडालों की यह संख्या 80 के आसपास ही रहेगी।
आस्था की जलती रहेगी ज्योति
मंदिरों, पंडालों और अन्य धार्मिक स्थलों में भले ही कोविड के कारण भक्तों की लंबी-लंबी कतारें इस बार माता रानी के दर्शन के लिए न देखने को मिले। इसके बावजूद आस्था की ज्योति भक्तों के दिलों में बरकरार रहेगी। शहर के प्रमुख मंदिरों में मां जालपा मढिय़ा, आजाद चौक स्थित आदि शक्ति दुर्गा मंदिर, बावरी टोला स्थित मरही माता मंदिर, भूमि प्रकट बरगंवा स्थित मां शारदा देवी, आयुध निर्माणी खेरमाता मंदिर, तिलक कॉलेज समीप खेरमाई मढिय़ा सहित उपनगरीय क्षेत्र के माधवनगर, छपरवाह, अमीरगंज, पड़वारा के देवी स्थलों में तैयारी शुरु कर दी गई है। मां जालपा देवी मंदिर के पुजारी लालजी पंडा ने बताया कि यहां पर भक्त इस बार माता जी को जल अर्पित नहीं कर पाएंगे। साथ ही दूर से ही भक्तों को दूर से ही माताजी के दर्शन होंगे। मंदिर के अंदर भक्तों को तभी प्रवेश दिया जाएगा, जब वे मास्क लगाकर आएंगे।
रामलीला का नहीं होगा मंचन
संक्रमण की स्थिति को देखते हुए इस बार रामलीला का मंचन शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं होगा। गोल बाजार रामलीला समिति ने निर्णय लिया है कि इस नवरात्र में यहां पर रामलीला का आयोजन नहीं होगा। 135 वर्ष बाद पहली बार लोग मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की सजीव जीवन का दर्शन नहीं कर सकेंगे। समिति के पदाधिकारी शरद अग्रवाल ने बताया कि समिति ने कोविड संक्रमण के चलते यह निर्णय लिया है। इसी तरह से माधवनगर से इस बार दशहरा का भव्य जुलूस भी नहीं निकलेगा। 85 वर्ष बाद लोग जुलूस का आनंद नहीं ले सकेंगे।
बंगाल से नहीं आए  मूर्तिकार
बंगाल के कलाकारों के द्वारा बनाई जाने वाली प्रतिमा इस बार पंडालों में भक्तों को देखने को नहीं मिलेगी। बरही रोड में बंगाल के मूर्तिकार गणेश उत्सव के समय से ही आकर मूर्तियां बनाने में जुट जाते थे। इस बार यहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसे में स्थानीय मूर्तिकारों के द्वारा बनाई गई प्रतिमा ही समिति के पदाधिकारी पंडालों में विराजित करेंगे। इसके साथ पंडालों में पूजन-पाठ के अलावा अन्य सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित नहीं होंगे।
सवार्थसिद्धि योग से शुरुआत
इस बार नवरात्र का पर्व सर्वार्थसिद्ध योग के साथ शुरु हो रहा है। पंडित बैजनाथ शास्त्री के अनुसार  यह योग 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 52 मिनट से 18 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही दूसरे दिन त्रिपुष्कर योग भी रहेगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त शनिवार को 6 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग रुपों की पूजा कर भक्त मनचाहा इच्छा फल पा सकते हंै।
 

Created On :   7 Oct 2020 6:03 PM IST

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