वो हथकड़ी, फाँसी का फंदा याद दिला गए वीर सपूतों का शौर्य

Those handcuffs, the noose of gallows, reminded the valor of the brave sons
वो हथकड़ी, फाँसी का फंदा याद दिला गए वीर सपूतों का शौर्य
वो हथकड़ी, फाँसी का फंदा याद दिला गए वीर सपूतों का शौर्य

शहादत को नमन - केंद्रीय जेल के सुभाष वार्ड में पहुँचे जनप्रतिनिधियों ने अर्पित किए श्रद्धा सुमन
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
केंद्रीय जेल में आज भी वो हथकड़ी रखी है जिसमें हमारे वीर सपूतों को जकड़ दिया जाता था, वो फाँसी का फंदा भी वैसा ही है जिसमें कितने देशप्रेमियों को लटका दिया गया। अमृत महोत्सव के शुभारंभ पर जनप्रतिनिधि शुक्रवार को जब केंद्रीय जेल पहुँचे तो शहादत की ऐसी कई तस्वीरें नजरों के सामने तैरने लगीं। आजादी की 75वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में आयोजित किये जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव की जबलपुर में शुरुआत केंद्रीय जेल से की गई। सांसद राकेश सिंह ने आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर सांसद ने जेल के सुभाष वार्ड में नेताजी की शयन पट्टिका पर भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस दौरान विधायक अशोक रोहाणी, लखन घनघोरिया, विनय सक्सेना, कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, कमलेश अग्रवाल, सुंदर अग्रवाल, सोनू बचवानी तथा डीआईजी एवं जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार भी मौजूद थे। 
केंद्रीय जेल और नेताजी- आजादी के आंदोलन के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस पहली बार 22 दिसम्बर 1931 से 16 जुलाई 1932 तक तथा दूसरी बार 18 फरवरी 1933 से 22 फरवरी 1933 तक केंद्रीय जेल में कारावास बिताया है। नेताजी की बैरक  सुभाष वार्ड में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को यातना देने में इस्तेमाल की जाने वाली हथकड़ी, फाँसी देने के पूर्वाभ्यास का पुतला, बैलगाड़ी के चक्के, दंडाबेड़ी, हाथ चक्की, कोल्हू, चमड़े की मोद, ओखली मूसल, बेटन तथा नेताजी के हस्तलिखित पत्र की प्रतिलिपि भी सुरक्षित रखी गई है।
 

Created On :   13 March 2021 6:10 PM IST

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