आत्म साधना पर ध्यान देने वाले बनते हैं सर्वसमर्थ : सुधांशु महाराज

Those who meditate on self-practice become all powerful sudhanshu maharaj
आत्म साधना पर ध्यान देने वाले बनते हैं सर्वसमर्थ : सुधांशु महाराज
आत्म साधना पर ध्यान देने वाले बनते हैं सर्वसमर्थ : सुधांशु महाराज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आत्म-साधना अर्थात जीवन साधना पर ध्यान देने वाले व्यक्ति न केवल अपना बल्कि सभी का कल्याण करने में समर्थ होते हैं, सफल होते हैं। मन का जीवन में बड़ा महत्व है. वह चाहे तो किसी को ऊँचा उठा दे और चाहे तो नीचे गिरा दे। इस मन पर नियंत्रण करने वाले व्यक्ति वास्तव में सौभाग्यशाली होते हैं। साधक के अंतरमन का इलाज गुरु किया करते हैं। उनके ज्ञान की सुगंध से लोगों का व्यक्तिगत हित तो होता ही है, समूह-मन का भी बड़ा हित होता है। यह उद्गार  आचार्य श्री सुधांशु महाराज ने नागपुर विश्व जागृति मिशन की ओर से आनंदधाम रेशिमबाग मैदान में आयोजित  भक्ति सत्संग में व्यक्त किए। व्यासपीठ का पूजन रमेश सरोदे परिवार, डा. शंकरसिंह परिहार, श्रीमती  कडू, रमेश नायडू, भारती धुरिया, मंजू शर्मा, नीलिमा डहाके, स्नेहल कोंडावार, संदीप नरडेवार, रविंद्रकुमार सेवइवार, प्रगति सेवइवार, अंजना जोशी,  मनोज शास्त्री, यशपाल सचदेव, मनोज शास्त्री, रवीन्द्र गांधी, ललित राय, राजेंद्र भारती, अशोक मानकर, कुंजीलाल पांडे, पंकज बालपांडे, विनोद घटे, अरुण चकोले ने किया। आचार्यश्री ने कहा कि गुरु को समझने के लिए ईश कृपा की जरूरत पड़ती है। अधिकांश शिष्य गुरु के विराट स्वरूप को समझ नहीं पाते। जैसे अर्जुन ब्रह्मस्वरूप गुरु अर्थात श्रीकृष्ण को समझ नहीं पाए थे। 

भजन गा गुरु की महिमा समझाई
आचार्यश्री ने  ‘नैया पड़ी मझधार, गुरु बिन कैसे लागे पार....’ भजन गाकर उपस्थित भक्तों को गुरु शरण की महिमा समझाई। उन्होंने कहा कि शिष्य भले ही गुरु से विमुख हो जाता है, परंतु गुरु कभी अपने शिष्य से विमुख नहीं होते। वे हमेशा अपने शिष्य के सम्मुख रहते हैं। गुरु अपने शिष्य की जीवन नैया को पार लगाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जिस व्यक्ति पर गुरु की कृपा हो जाती है, उसकी चहुंओर पूछ-परख होने लगती है। गुरु के सानिध्य के कारण शिष्य का जीवन बदल जाता है। गुरु बाहर से भले ही कठोर हो, परंतु अंदर से उसे सहारा प्रदान करते हैं। यह मानव का मन ही है, जो उसे मोक्ष व मुक्ति प्रदान करवा सकता है। मन को प्रभु भक्ति की ओर ले जाने का कार्य व प्रभु से एकसार कराने का कार्य गुरु करते हैं। शिष्य का कर्तव्य होता है कि गुरु को सुरक्षित रखे, उनकी सेवा करे व गुरु की अमृत वाणी को जन-जन तक पहुंचाए।

शास्त्र से विमुख हुए तो जीवन सफल नहीं
उन्होंने उपस्थित भक्तों से कहा कि जो शास्त्र विधि से विमुख होकर कार्य करते हैं उन्हें कभी गति नहीं मिलती। वे जीवन में हमेशा अव्यवस्थित ही रहते हैं। गुरु शास्त्रों का ज्ञान देकर शिष्य का जीवन व्यवस्थित करते हैं। जिस तरह कमल का फूल तालाब की शोभा बढ़ाता हैं, उसी प्रकार गुरु अपने शिष्य के जीवन को महकाकर उसकी शोभा बढ़ा देते हैं। नियमपूर्वक जीवन जीने से शरीर स्वस्थ व सुंदर बनता है। 

300 साधकों ने ली दीक्षा
सत्संग के अंतिम दिन रविवार को गुरुदीक्षा विधि हुई। इसमें 300 से अधिक साधकों ने आचार्यश्री सुधांशु महाराज से गुरु दीक्षा ली। इस अवसर पर असंख्य भक्त उपस्थित थे। संपूर्ण पांच दिवसीय सत्संग का सरस संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक राम महेश मिश्र ने किया। सत्संग के पश्चात महाप्रसाद का आयोजन किया गया। 
 

Created On :   30 Dec 2019 1:53 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story