- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- अब खुले जंगल में नहीं लौटेगी बाघिन...
अब खुले जंगल में नहीं लौटेगी बाघिन ई 1, इसका कारण भी जान लेना है जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ब्रह्मपुरी में मेंढकी-नालेश्वर से गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर लाई गई बाघिन ई 1 अब कभी खुले जंगल में वापस नहीं लौट पाएगी। राज्य के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन नितिन काकोदर कह चुके हैं कि ई 1 के रेडियो कॉलर से प्राप्त डेटा को विश्लेषण किया जा रहा है और विलेषण के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। हालांकि अब कठिन ही है कि उसे जंगल में छोड़ा जाएगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र वन विभाग की ओर से समस्या बनने वाले बाघ-बाघिनों को खुले जंगल में छोड़े जाने के अभियान पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। वर्ष 2011 से अबतक पांच समस्या बने बाघों को जंगल में छोड़ा जा चुका है। इनमें से चार की मौत हो चुकी हैं और पांचवीं पिंजरे में पहुंच चुकी है। इसके पहले सितंबर 2011 में चंद्रपुर में समस्या बनी सब एडल्ड बाघिन को राजनंदगांव के पास भाखरू टोला के पास लोगों ने मार दिया था। नंवबर 2016 में ब्रह्मपुरी से बाघिन को पकड़कर छापरला में छाेड़ा गया, जो लापता है। अगस्त 2017 में वडसा से बाघिन को पकड़कर छापरला में छोड़ा गया जिसकी करंट लगने से मौत हो गई। अक्टूबर 2017 में ब्रह्मपुरी से बाघिन को पकड़कर बोर में छोड़ा गया उसकी सिंदी विहरी में करंट से मौत हो गई।
1 जुलाई को मेलघाट टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया था
ई 1 उन तीन सब एडल्ड शावकों में से एक है जिन्हें वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 28 फरवरी और 1 मार्च को रेडियो कॉलर लगाया था। कॉलर लगाए जाने के बाद ई 1 को 1 जुलाई को मेलघाट टाइगर रिजर्व के कोर इलाके में छोड़ा गया था। जंगल में बिताए दो माह के समय में वह अधिकतर समय टेरिटोरियल फारेस्ट के पास मानव बहुल इलाके में ही रही।
23 पालतु पशुओं का शिकार
इस दौरान उसने एक वाइल्ड बोर और 23 पालतु पशुओं का शिकार किया। उसके हमले में एक किसान की जान गई और एक घायल हुआ है। उसने एक जुलाई को मेलघाट टाइगर रिवर्ज में छोड़े जाने के अगले दिन ही खेकडाखेडा गांव में एक सात वर्षीय बच्ची पर भी हमला किया था। 30 अगस्त को शाेभराम चौहान पर हमला किया। चौहान की मौत हो गई जबकि एक दूसरा किसान दिलीप चौहान हमले में घायल हुआ है।
किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दी होगी
ई 1 के कारण समस्या बने बाघों के जंगल में छोड़े जाने के अभियान पर प्रश्नचिन्ह लगाने को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया विशेषज्ञ जल्दीबाजी बता रहे हैं। उनके अनुसार इस समस्या पर अलग तरीके से सोचना जरूरी है। वर्ष 2017 में टी 22-सी1 को ब्रह्मपुरी से पकड़कर बोर टाइगर रिवर्ज में छोड़ा गया था। वह पांच किमी की यात्रा कर वापस ब्रह्मपुरी लौट आई जहां उसकी करंट लगने से मौत हो गई। उस समय बोर टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल कम होने की दलील सामने आई थी। इसीलिए ई 1 को मेलघाट टाइगर रिजर्व के कोर इलाके में छोड़ा गया। यह पहाड़ी, घाटी, तराई और वनस्पति से भरा बाघों के अधिवास के लिए आदर्श इलाका है। इसके बावजूद वह टेरिटोरियल फारेस्ट में मानव बहुल इलाके के पास पहुंच गई।
Created On :   4 Sept 2019 9:50 PM IST