महाराष्ट्र में लगातार कम हो रहा विधानमंडल अधिवेशन का समय

Time of legislature session is continuously decreasing in Maharashtra
महाराष्ट्र में लगातार कम हो रहा विधानमंडल अधिवेशन का समय
कार्यवाही कम महाराष्ट्र में लगातार कम हो रहा विधानमंडल अधिवेशन का समय

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बावजूद विधानमंडल के बीते मानसून अधिवेशन का कामकाज 6 दिन से अधिक नहीं चल सका। राज्य में पिछले लगभग पांच सालों में विधानमंडल के अधिवेशन की अवधि लगातार कम होती जा रही है। हर साल बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र को मिलाकर विधानमंडल के तीन अधिवेशन होते हैं। कोरोना महामारी के दौरे में विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों की कार्यवाही बेहद कम दिन चल पाई थी। विधानमंडल के दोनों सदनों में साल 2022 में 21 दिन, साल 2021 में 15 दिन, साल 2020 में 18 दिन, साल 2019 में 22 दिन, साल 2018 में 43 दिन कामकाज हुआ था। पिछले पांच वर्षों में वर्ष 2018 में सर्वाधिक 43 दिन सदन में कामकाज चला था। महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार साल 2022 में बजट और मानसून अधिवेशन में कुल 21 दिन सदन चला। जिसमें से बजट अधिवेशन में 15 दिन और मानसून सत्र में 6 दिन ही सदन चल सका। 

कम होगी नागपुर सत्र की अवधि

इस साल का आखिरी सत्र शीतकालीन अधिवेशन 19 दिसंबर से नागपुर में शुरू होगा। दिसंबर महीने के तीसरे सप्ताह में शीत सत्र आहूत किए जाने के चलते अधिवेशन का कामकाज बहुत अधिक दिनों तक चलने के आसार बहुत कम हैं। अब तक दिसंबर के दूसरे सप्ताह से नागपुर सत्र शुरु हो जाता था। साल 2021 में कोरोना काल के कारण बजट अधिवेशन में 8 दिन, मानसून अधिवेशन में 2 दिन और शीतकालीन अधिवेशन में 5 दिन ही सदन का कामकाज हुआ। कोरोना के कारण साल 2021 का शीतकालीन अधिवेशन नागपुर के बजाय मुंबई में ही आयोजित किया गया था। साल 2020 में बजट अधिवेशन 14 दिन चला था। बजट सत्र में कोरोना महामारी की शुरुआत होने के चलते सदन की अवधि कम कर दी गई थी। जिसके बाद मानसून अधिवेशन केवल 2 दिन और शीतकालीन सत्र भी महज 2 दिन के लिए आयोजित किया गया। कोरोना के चलते शीतकालीन अधिवेशन नागपुर की बजाय मुंबई में आयोजित किया गया। साल 2019 में बजट सत्र में 4 दिन कामकाज हुआ। इसी सत्र में तत्कालीन भाजपा सरकार ने साल 2019-20 का अंतरिम बजट पेश किया था। इसके बाद मानसून अधिवेशन में 12 दिन सदन चला। तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार ने साल 2019 का शीतकालीन सत्र नागपुर में आयोजित किया जिसमें सिर्फ 6 दिन कामकाज हुआ। इसके बाद कोरोना संकट के दौर में महाविकास आघाड़ी सरकार नागपुर में एक भी अधिवेशन आयोजित नहीं कर सकी। साल 2018 में भाजपा सरकार के समय बजट सत्र में 22 दिन सदन में कामकाज हुआ था। नागपुर में आयोजित मानसून अधिवेशन में 13 दिन और मुंबई में आयोजित शीतकालीन अधिवेशन में 8 दिन कामकाज हुआ था। 

तीन सप्ताह का होना चाहिए नागपुर का शीतसत्र- अंबादास दानवे 

विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि साल भर में विधानमंडल का अधिवेशन कम से कम 100 दिन का होना चाहिए। पर इस साल 2022 में सिर्फ 21 दिन सदन चल पाया है। भाजपा जब विपक्ष में थी तब महाविकास आघाड़ी सरकार से कोरोना के दौर में भी अधिवेशन की अवधि बढ़ाने की मांग करती थी। अब भाजपा शिंदे गुट के साथ मिलकर सत्ता में है। इसलिए भाजपा को अपनी पुरानी मांग को याद करते हुए अधिवेशन का समय बढ़ाना चाहिए। दिसंबर महीने में नागपुर में आयोजित होने वाला शीत सत्र कम से कम तीन सप्ताह का होना चाहिए। 

किस साल कितने दिन चला दोनों सदन 

वर्ष     बजट सत्र    मानसून सत्र   शीतकालीन सत्र   कुल
साल 2022    15         6               -                21  
साल 2021    8          2                 5                15  
साल 2020   14         2                 2                18  
साल 2019    4          12                6               22  
साल 2018   22          13               8               43 

Created On :   29 Aug 2022 9:21 PM IST

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