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एकनाथ शिंदे के खिलाफ याचिका की सुनवाई के लिए कोर्ट में जमा करो एक लाख
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे व बागी विधायकों के खिलाफ करवाई की मांग को लेकर दायर की गई याचिका को राजनीति से प्रेरित बताया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा यदि याचिकाकर्ता कोर्ट में एक लाख रुपए जमा करेंगे तो ही उनकी याचिका पर सुनवाई करेंगे। बागी मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने कहा आपने(याचिकाकर्ता) मंत्रियों को चुना है इसलिए हम क्यों कार्रवाई करें आप खुद कार्रवाई कीजिए। इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के सात नागरिकों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में बागी नेताओं पर जनता के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह न करने व अनैतिक बर्ताव के लिए कार्रवाई करने की मांग की गई है। क्योंकि वे अपने कर्तव्यों का पालन करने की बजाय बिना बताए छुट्टी पर गए है। याचिका के मुताबिक बागी नेताओं का बर्ताव न सिर्फ जनता के अधिकारों के प्रति अनादर व्यक्त करता है बल्कि यह राज्य के सुशासन को भी प्रभावित करता है। इस मुद्दे पर लेखक उत्पल बंदवार सहित सात नागरिकों ने जनहित याचिका दायर की है।
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि बुधवार को जो घटनाक्रम हुआ है (शिवसेना पक्ष प्रमुख उध्दव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है) क्या ऐसे में अभी भी इस याचिका पर सुनवाई की जरुरत है। जवाब में याचिकाकर्ता के वकील असीम सरोदे ने कहा कि बागी विधायक व मंत्रियों ने अपने दायित्व के निर्वहन की अनदेखी की है और अनधिकृत रुप से यहां से गए थे। इसका संज्ञान लेना जरुरी है।
क्या मंत्रियों-विधायकों को हमेशा अपने राज्य में ही रहना चाहिए
खंडपीठ ने पूछा कि ऐसा कौन सा नियम है जो यह कहता हो कि मंत्रियों व विधायकों को हमेशा शहर व राज्य में ही रहना चाहिए। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें इससे संबंधित नियम को देखने के लिए समय दिया जाए। किंतु खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमे यह याचिका राजनीति से प्रेरित नजर आती है। याचिकाकर्ता ने जरुरी व पर्याप्त शोध के बिना ही याचिका दायर कर दी है। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता दो सप्ताह में कोर्ट में एक लाख रुपए जमा करे। इसके बाद हम याचिका पर सुनवाई करेंगे। गौरतलब है कि याचिका आग्रह किया गया है कि महाविकास अघाड़ी सरकार को एक व्यापक योजना पेश करने के लिए कहा जाए कि वह मंत्रियों की अनुपस्थिति में सुशासन को कैसे सुनिश्चित करेंगी। याचिका में दावा किया गया है कि मौजूदा राजनीतिक उथलपुथल से नागरिकों के अधिकार प्रभावित हो रहें है। बागी विधायकों के चलते सार्वजनिक उपद्रव हो रहे है और लोगों की परेशानी बढ़ रही है। इसके साथ ही विधायक संविधान की ली हुई शपथ की भी अवहेलना कर रहे है।
उद्धव ठाकरे,आदित्य व राऊत के खिलाफ दायर याचिका खारिज
वहीं हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत पाटिल की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे, उनके बेटे व पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे तथा शिवसेना सांसद संजय राऊत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि इन तीनों नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक शांति भंग करने व राजद्रोह के आरोप के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा जाए।
Created On :   30 Jun 2022 5:45 PM IST