नाबालिक को कामुक आशय से स्पर्श करना पॉक्सो के तहत अपराध-निचली अदालत का फैसले सही   

Touching a minor with erotic intention is a crime under POCSO
नाबालिक को कामुक आशय से स्पर्श करना पॉक्सो के तहत अपराध-निचली अदालत का फैसले सही   
हाईकोर्ट नाबालिक को कामुक आशय से स्पर्श करना पॉक्सो के तहत अपराध-निचली अदालत का फैसले सही   

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि नाबालिग के गुप्तांग को कामुक आशय से स्पर्श करना पाक्सों कानून की धारा सात व आठ के तहत अपराध है। इस धारा के तहत कामुक आशय से नाबालिग के गुप्तांग को स्पर्श करना व करवाना अपराध माना गया है। हाईकोर्ट ने एक आरोपी को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को कायम रखते हुए यह फैसला सुनाया है। आरोपी रामचंद्र भंडारे को मुंबई की विशेष पाक्सो अदालत ने साल 2017 में इस मामले में पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। आरोपी पर एक पांच साल की बच्ची के गुप्तांग को स्पर्श करने का आरोप था। पीड़िता ने साल 2013 में अपनी मां को बताया था कि आरोपी ने उसके गुप्तांग को स्पर्श किया था।

न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल को पीड़िता के घरवालों ने निजी रंजिश के चलते झूठे मामले में फंसाया है। आरोपी के वकील ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के गुप्तांग में किसी चोट के निशान न होने की बात कही गई है। इसलिए आरोपी को इस मामले से बरी कर दिया जाए। जबकि सरकारी वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे जाकर इस मामले में आरोपी पर लगे आरोपों को साबित किया है। 

न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े तथ्यों व पीड़िता के बयान पर गौर करने के बाद कहा कि इस मामले में पीड़िता सिखाई-पढाई गवाह नहीं लगती है। क्योंकि उसने आरोपी को पहचाना है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता की ओर से दावा किए गए चोट के निशान का उल्लेख नहीं है। क्योंकि पाक्सो कानून की धारा सात में यौन हमले को जिस स्वरुप में दर्शाया गया है उसके कामुक आशय से गुप्तांग को स्पर्श करना इस कानून की धारा सात व आठ में अपराध है।

इस मामले में पीड़िता व उसकी मां की गवाही विश्वसनीय लग रही है। इस मामले में स्थानिय लोगों की मदद से आरोपी को पकड़कर पुलिस स्टेशन लाया गया था। मामले से जुड़े सभी पहलूओं पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। न्यायमूर्ति ने कहा कि यदि आरोपी ने अपनी सजा को पूरा कर लिया हो और किसी मामले में उसकी जरुरत न हो तो उसे तुरंत रिहा कर दिया जाए। 


 

Created On :   16 Aug 2022 8:31 PM IST

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