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शैक्षणिक सत्र समाप्ति की ओर विद्यार्थियों को नहीं मिला गणवेश
डिजिटल डेस्क, नागपुर। चालू शैक्षणिक सत्र में जिला परिषद स्कूल के ओबीसी तथा खुले वर्ग के विद्यार्थियों को गणवेश दिए जाने थे। शैक्षणिक सत्र समाप्ति की कगार पर पहुंच रहा है, लेकिन विद्यार्थियों को गणवेश उपलब्ध कराने की दिशा में किसी भी तरह की गतिविधियां नहीं हैं। दरअसल जिला परिषद के बजट में विद्यार्थियों के गणवेश के लिए बजट का प्रावधान किया गया है। जिला परिषद की तिजोरी खाली हो जाने से स्कूलों को निधि नहीं दी गई है। हालांकि इस विषय पर पदाधिकारी तथा प्रशासन कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं।
समग्र शिक्षा अभियान से मिले गणवेश
जिला परिषद स्कूल के एससी, एसटी, बीपीएल छात्र तथा सभी छात्राओं को समग्र शिक्षा अभियान अंतर्गत गणवेश दिए जाते हैं। कोविड के चलते इस वर्ष समग्र शिक्षा अभियान की निधि विलंब से प्राप्त हुई। जिला परिषद को निधि प्राप्त होने पर स्कूलों के खाते में जमा कर दी गई। 66 हजार 216 विद्यार्थियों को गणवेश का वितरण भी कर दिया गया।
योजना ठंडे बस्ते में
जिला परिषद के 1530 स्कूल हैं। सेस फंड से गणवेश योजना के लिए 15600 छात्र पात्र हैं। पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए गणवेश योजना है। जिला परिषद को राज्य सरकार से मिलने वाले विविध फंडों की निधि बाकी है। जिला परिषद को सेस फंड से प्रशासकीय खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। जिला परिषद की तिजोरी खाली हो जाने से गणवेश याेजना ठंडे बस्ते में चली गई है।
सेस फंड से देने की बनी थी योजना
समग्र शिक्षा अभियान अंतर्गत गणवेश योजना के दायरे में नहीं आने वाले ओबीसी और खुले वर्ग के छात्रों को जिला परिषद सेस फंड से गणवेश देने की योजना बनाई गई। इस योजना के लिए बजट में निधि का प्रावधान भी किया गया। कोविड संक्रमण के चलते डेढ़ साल से बंद पड़े स्कूल खुले। तीसरी लहर के दस्तक देने पर फिर बंद किए गए, लेकिन सेस फंड से छात्रों को गणवेश नहीं मिले। दो साल पहले तत्कालीन वित्त व शिक्षण सभापति उकेश चव्हाण के कार्यकाल में भी सेस फंड से ओबीसी तथा खुले वर्ग के विद्यार्थियों को गणवेश देने का निर्णय लिया गया था। बजट में पर्याप्त निधि का प्रावधान नहीं किए जाने से विद्यार्थियों का गणवेश का सपना अधूरा रह गया। सत्ता परिवर्तन के बाद बजट में पर्याप्त निधि का प्रावधान किया गया, लेकिन जिला परिषद की तिजोरी खाली रहने से विद्यार्थियों की आशा, निराशा में बदल रही है।
Created On :   9 Jan 2022 6:15 PM IST