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150 से अधिक छोटे बच्चों के दांतों का किया गया उपचार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय मौखिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत छोटे बच्चों के लिए पिट एंड फिशर सीलेंट अभियान चलाया जा रहा है। शासकीय दंत महाविद्यालय नागपुर की टीम इस अभियान में प्रमुख भूमिका निभा रही है। मुहिम अंतर्गत अब तक 10 शिविर लिए जा चुके हैं। इस दौरान 2000 से अधिक बच्चों के दांताें की जांच की गई है, वहीं 150 से अधिक बच्चों के दांतों का उपचार किया गया है। 13 से प्रारंभ यह अभियान 31 दिसंबर तक चलाया जाएगा।
16 स्कूलों में चल रहा अभियान
राष्ट्रीय मौखिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत शासकीय दंत महाविद्यालय ने जिले के 16 स्कूलों के बच्चों की जांच व उपचार अभियान शुरू किया है। महाविद्यालय ने पहले 1422 बच्चों के दांतों की जांच की थी। इस दौरान 428 बच्चों के 787 बच्चों के पिछलें दांतों में गड्ढे की समस्या पाई गई थी। 13 दिसंबर से उपचार शिविर शुरू हुआ। इस दौरान और बच्चों की जांच की गई। उनमें भी समस्या पाई गई है। अब तक 2000 से अधिक बच्चों की जांच हो चुकी है। इनमें से 500 से अधिक बच्चों में समस्याएं दिखाई दी हैं। शिविर में उनका उपचार भी किया जा रहा है। अब तक 150 से अधिक बच्चों का पिट एंड फिशर्स सीलेंट पद्धति से उपचार किया गया है। यह अभियान सालभर चलाया जाने वाला है। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की जांच कर उनका उपचार किया जाएगा।
शिविर आयोजन के लिए जिले के 16 स्कूलों का चयन किया गया है। यह सभी स्कूल जिला परिषद के हैं। इनमें पारशिवनी, काटोल रोड, राजोला कुही, पांचगांव उमरेड, मनसर रामटेक, हिंगना, चाचेर मौदा, वलनी माइंस सावनेर, भिलगांव कामठी, तामसवाड़ी पारशिवनी, येनवा काटोल, शंेडेश्वर उमरेड, पटगोवारी रामटेक, सालईदाभा हिंगना, अंभोराखुर्द कुही, भुगांव कामठी का समावेश किया गया है। अब तक 10 केंद्रों पर शिविर हो चुके हैं।
राष्ट्रीय मौखिक आरोग्य कार्यक्रम अंतर्गत स्कूल बेस्ड पिट एंड फिशर सीलेंट मुहिम चलाई जा रही है। राष्ट्रीय असंसर्गजन्य रोग नियंत्रण कार्यक्रम, जिला शल्य चिकित्सक व शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के संयुक्त रूप से अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के लिए दंत महाविद्यालय के डॉक्टरों की टीम सहयोग कर रही है। पहला शिविर पारशिवनी स्थित जिप स्कूल में हुआ था। यहां 26 बच्चों के 50 दांतों पर उपचार किया गया था। बताया गया कि चॉकलेट, जंक फूड व अन्य चिकनाईवाले पदार्थ खाने से, अन्नकण आदि बच्चाें के पिछले दांतों में जाकर फंस जाते हैं। यह बाहर नहीं निकलने से दांत खराब होकर वहां गड्ढा या दरार होने लगती है। ऐसी समस्या पैदा होने पर उन्हें सीलेंट किया जाता है। सीलेंट एक सुरक्षित प्लास्टिक्स कोटिंग होती है। इससे दांतों को एक समान स्तर मिल जाता है।
Created On :   26 Dec 2021 2:56 PM IST