मशरूम उत्पादन से आदिवासी महिलाओं को मिली अजीविका -दो स्वसहायता समूहों से जुड़ी 24 महिलाएं

Tribal women get ajivika from mushroom production - 24 women belonging to two self-help groups
मशरूम उत्पादन से आदिवासी महिलाओं को मिली अजीविका -दो स्वसहायता समूहों से जुड़ी 24 महिलाएं
मशरूम उत्पादन से आदिवासी महिलाओं को मिली अजीविका -दो स्वसहायता समूहों से जुड़ी 24 महिलाएं

डिजिटल डेस्क पन्ना। पन्ना जिले के दूरस्थ क्षेत्र कल्दा पठार में ग्रामीण अजीविका मिशन के माध्यम से पठार में रहने वाली आदिवासी गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये उन्हे अजीविका से जोड़ा जा रहा है। पन्ना जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी बाला गुरू के. की सतत निगरानी एवं प्रयासो के फलस्वरूप कल्दा पठार के मुहली धरमपुरा ग्राम पंचायत में गठित दो महिला स्वसहायता समूह से जुड़ी 24 महिलाओं द्वारा मशरूम का उत्पादन शुरू किया गया है। समूह के सदस्यों द्वारा 500 किलोग्राम मशरूम का सफलता पूर्वक उत्पादन किया गया है। ग्रामीण अजीविका मिशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार कल्दा पठार में गरीब आदिवासी महिलाओं की अजीविका को शुरू करने हेतु 32 समूहो को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिससे आने वाले समय में पठार क्षेत्र में मशरूम के उत्पाद में वृद्धी होगी और अधिक से अधिक संख्या में इसके जरीये लोगो को रोजगार उपलब्ध होगा। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक आशीष त्रिपाठी एवं रितेष जयसवाल द्वारा समूहो को कृषि हेतु प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण उपरांत जिले में कार्य कर रही स्वयं सेवी संस्था बुंदेलखण्ड प्रसंस्करण द्वारा समूह के सदस्यों को मशरूम के उत्पाद के लिये गेंहू के भूंसे के अतिरिक्त सामग्री, पॉलिथिन बैग, मशरूम बीज, जीवाणुनाशक दवा, फं फूद नाशक दवा, बैग टांगने हेतु रस्सी एवं रबर आदि उपलब्ध कराया गया। उत्पादित मशरूम को समूह द्वारा स्थानीय बाजार में 60 रूपये प्रति किलो की दर से विक्रय किया जा रहा है साथ ही साथ स्वंयसेवी संस्था 600 रूपये प्रतिकिलो के मान से शत प्रतिशत सूखी मशरूम को खरीदने के लिये अनुबंधित है। मशरूम फफूंद का फलनकाय है जिसमें बीजाणु धारण करने की क्षमता होती है । मशरूम पौष्टिक, रोगरोधक स्वादिस्ट एवं शाकाहारी खाद्य आहार है । इसमें 20.35 प्रतिशत  तक सुपाच्य प्रोटीन, बिटामिन बी-12, फोलिक अम्ल, सोडियम, पोटेशियम, फास्फोरस तथा विटामिन सी मौजूद होता है। समूह सदस्य श्रीमती बड़ी बाई, पार्वती एवं गेंदा बाई के द्वारा बताया कि मशरूम के खेती बिना मिट्टी एवं खाद के अपने घर में अपने दैनिक कार्यों के साथ साथ कर सकते हैं। मशरूम की खेती कम लागत में हो रही है। समूह सदस्यों द्वारा बताया गया कि जब से मशरूम का उत्पादन हुआ है, तब से सभी सदस्य सप्ताह में कम से कम 2-3 दिन अपने आहार में शामिल करते हैं।
 

Created On :   1 Dec 2020 1:43 PM GMT

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