थमती सांसों की डोर बचाने वेंटिलेटर को बनाया बाईपेप -ऑपरेट करने में आ रही थी परेशानी, युवा चिकित्सकों ने निकाला वैकल्पिक तरीका 

Trouble in operating, young physicians found alternative method
 थमती सांसों की डोर बचाने वेंटिलेटर को बनाया बाईपेप -ऑपरेट करने में आ रही थी परेशानी, युवा चिकित्सकों ने निकाला वैकल्पिक तरीका 
 थमती सांसों की डोर बचाने वेंटिलेटर को बनाया बाईपेप -ऑपरेट करने में आ रही थी परेशानी, युवा चिकित्सकों ने निकाला वैकल्पिक तरीका 

जिला अस्पाताल में हैं 8 वेंटिलेटर, मगर एनेस्थिया के अभाव में इनका इस्तेमाल हाईफ्लो ऑक्सीजन मशीन की तरह
डिजिटल डेस्क बालाघाट ।
वेंटिलेटर जिसे बोलचाल की भाषा में लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी कहते हैं। इसके उपयोग को लेकर देशभर में हल्ला मचा है। ज्यादातर शहरों की तरह बालाघाट में वेंटिलेटर का इस्तमाल इसके मूल स्वरूप में नहीं हो पा रहा है लेकिन यहां के युवा चिकित्सकों की टीम इसका उपयोग लोगों की जान बचाने के लिये जरूर कर रही है। विदित हो कि जिले में इस समय सरकारी व्यवस्था ेमें जिला अस्पताल में 8 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं, जिसमें से 6 वेंटिलेटर को कोविड पेशेंट के लिये 1 सामान्य आईसीयू तथा एक अन्य वेंटिलेटर को एसएनसीयू में उपयोग के लिये रखा गया है। लेकिन इनमें से एक भी वेंटिलेटर का उपयोग यहां एनेस्थिया वाले चिकित्सकों के सहयोग नहीं करने के कारण वेंटिलेटर के रूप में नहीं हो पा रहा है। हालांकि, जिले में कोविड में सेवा दे रहे संविदा नियुक्ति वाले युवा चिकित्सक इन उपकरणों को हाई फ्लो ऑक्सीजन मशीन की तरह उपयोग कर मरीजों की जान बचाने में इस्तमाल कर रहे हैं। 
जान बचाने सिर्फ वेंटिलेटर ही नहीं बाईपेप और एचएनएफसी भी आते हैं काम 
वैसे तो वेंटिलेटर मरीज की पल्स, बीपी और ऑक्सीजन लेवल तीनों ही मेंटन करने के लिये काम में आता है, लेकिन जिले में वेंटिलेटर का उपयोग या तो एचएनएफसी या फिर बाईपेप के रूप में ही हो पा रहा है, जिसके लिये संविदा चिकित्सक भजन लिल्हारे और उनकी टीम ने जुगाड़ लगाकर मरीजों ंकी जान बचाने इसका उपयोग प्रारंभ किया है। विदित हो कि जिला अस्पताल में कोविड मरीजों के लिये ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें बचाने के लिये 6 वेंटिलेटर उपयोग हेतु उपलब्ध हैं। इसके अलावा 2 एचएनएफसी और 5 बाईपेप मशीन भी यहां उपलब्ध है। जिसका उपयोग अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत वाले ऐसे मरीज जिनका की ऑक्सीजन लेवल काफी कम है कि जीवन रक्षा हेतु किया जाता है। चूंकि कोविड में मरीजों को बेहोश कर वेंटिलेटर लगाने की जरूरत अभी तक सामने नहीं आयी है। 
इस कारण नहीं हो रहा वेंटिलेटर का पूरा उपयोग
जिला अस्पताल में इस समय 3 चिकित्सक ऐसे हैं जो एनेस्थिया के पद पर हंै जिसमें एक महिला चिकित्सक प्रसूताओं की ड्यूटी में हैं, जबकि शेष दो चिकित्सक अधिक उम्र का हवाला देते हुए कोविड ड्यूटी नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण जिला अस्पताल में वेंटिलेटर अपने पूरी क्षमता में उपयोग नहीं हो रहे हैं। इसका उपयोग कोविड में ड्यूटी कर रहे चिकित्सक लोगों की जान बचाने बाईपेप के रूप में कर रहे हैं। हालांकि, वेंटिलेटर जैसी मशीन का पूरी क्षमता से उपयोग ना हो पाना मरीजों की जान से खिलवाड़ है। यदि किसी मरीज को पूरे लाईफ सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता पड़ती है तो उसके लिये सिर्फ बायपेप के रूप में उपयोग पूरी मदद नहीं कर पायेगा।
फैक्ट फाइल 
- 8 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं जिला अस्पताल में 
- 6 का उपयोग कोविड मरीजों के लिये हो रहा बाईपैप के रूप में 
- 2 एचएफएनसी यूनिट उपलब्ध, जो हाई फ्लो ऑक्सीजन डिवाइस है।
- 5 बाईपेप उपलब्ध जो कम ऑक्सीजन लेवल वाले मरीजों के लिये आते हैं उपयोग में 
- 10 नये बाईपेप के आर्डर किये गये हंै अस्पताल प्रशासन द्वारा तीसरे लहर के मद्देनजर
इनका कहना है
हमारे यहां सभी वेेंटिलेटर चालू हैं और उपयोग में लिये जा रहे हैं हालांकि अभी तक किसी मरीज को ऑक्सीजन लेवल कम होने के अलावा कोई लाइफ सपोर्ट सिस्टम जैसे उपयोग की आवश्यकता नहीं पड़ी है। इसलिए इन वेंटिलेटर को हाईफ्लो डिवाइस के रूप में उपयोग कर रहे हैं। यहां 3 एनेसस्थिटिक हंै आवश्यकता पडऩे पर उन्हें इस काम में लगाया जा सकता है। 
डॉ. मनोज पांडेय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बालाघाट
 

Created On :   14 May 2021 6:23 PM IST

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