अब सलाइन गार्गल से जांच शुरू, जानिए - नागपुर के इन 59 गांवों तक नहीं पहुंच सका कोरोना

Two news required for people struggling with corona infection
अब सलाइन गार्गल से जांच शुरू, जानिए - नागपुर के इन 59 गांवों तक नहीं पहुंच सका कोरोना
अब सलाइन गार्गल से जांच शुरू, जानिए - नागपुर के इन 59 गांवों तक नहीं पहुंच सका कोरोना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोविड के आरटीपीसीआर टेस्ट की नई तकनीक से जांच शुरू हो गई है। नई तकनीक को ‘सलाइन गार्गल’ आरटीपीसीआर टेस्ट के नाम से जाना जाएगा। जेरील लॉन के पास आरपीटीएस पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में इस तकनीक से टेस्ट की शुरुआत की गई। मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने टेस्टिंग सेंटर को भेंट देकर नीरी के वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार का अभिनंदन किया। नीरी के वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार ने इसे विकसित किया है। कोरोना जांच के लिए अब नाक या गले से स्वैब लेने की आवश्यकता नहीं है। एक विशेष खारे पानी के कुल्ले से नमूना लेकर जांच की जाएगी। भारतीय वैद्यकीय संशोधन परिषद से इसे अनुमति मिल गई है। महापौर दयांशकर तिवारी ने भी डॉ. खैरनार और उनकी टीम का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि नागपुर के लिए यह अभिनंदनीय है। नीरी की कार्यकुशलता से नागपुर का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने भी नीरी के वैज्ञानिकों का अभिनंदन किया। नीरी के विज्ञानिकों की टीम ने कोरोना टेस्टिंग में एक नया आयाम स्थापित किया है। खारे पानी के कुल्ले का नमूना कलेक्शन ट्यूब में लेकर नीरी की लैब में टेस्ट किया जाएगा। एक विशेष तापमान पर नीरी द्वारा तैयार किए गए सोल्यूशन में नमूना रखा जाएगा। इस तकनीक से आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट 3 घंटे में मिल जाएगी।

59 गांवों तक नहीं पहुंच सका कोरोना

कोरोना की पहली व दूसरी लहर में जहां अधिकांश गांव इसकी चपेट में आए है, वहीं जिले के 59 गांव ऐसे हैं, जहां कोरोना पहुंच नहीं सका है। जिला प्रशासन व ग्राम वासियों के सामूहिक प्रयासों से यह संभव हो सका है। कोरोना गाइडलाइन का पालन व ग्रामवासियों ने जो सतर्कता व सावधानी बरती उससे यह संभव होने की जानकारी जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेश कुंभेजकर ने दी।  इन 59 गांवों ने एक आदर्श सामने रखा है। इन गांवों की आबादी 500 से 1500 के बीच है। जिला परिषद ने भी जिले के लिए इसे आदर्श माना है। कोरोना की रोकथाम के लिए जिला परिषद ने अन्य गांवों में भी इस पैटर्न को लागू करने पर जोर दिया है। जिन गांवों में अभी तक कोरोना नहीं पहुंचा उनमें सर्वाधिक 11 गांव काटोल तहसील के हैं। इसके अलवा नागपुर तहसील के 10 गांव, हिंगना तहसील के 7,  कलमेश्वर तहसील के 3, भिवापुर तहसील के 2,  कामठी तहसील के 2, मौदा तहसील के 6, नरखेड़ तहसील के 4,  पारशिवनी तहसील का 1, रामटेक तहसील के 8, सावनेर तहसील का एक व उमरेड तहसील के चार गांवों का समावेश है। कुंभेजकर ने बताया कि गांव में सफाई मुहिम, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क पहनना जरूरी, बाहर से आने वाले व्यक्ति की पहले कोराेना जांच आैर कोरोना  संक्रमित पाए जाने पर गांव में प्रवेश नहीं, अधिक से अधिक टीकाकरण, नियमित रूप से टेस्टिंग, कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन आदि उपायों के कारण यह संभव हो सका है। प्रशासन ने अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश की, लेकिन इन गांवों में लोगों का इतना जबर्दस्त प्रतिसाद मिला और उसी से ये गांव कोरोना से दूर रह सके। इसका श्रेय ग्रामवासियों को जाता है। इन गांवों की आबादी 500 से 1500 के बीच है। 

Created On :   30 May 2021 8:16 AM GMT

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