नहीं पेश कर पाए जाति वैधता प्रमाणपत्र, 166 कर्मचारियों की नौकरी छूटी

Unable to produce caste validation certificate, 166 employees lost their jobs
नहीं पेश कर पाए जाति वैधता प्रमाणपत्र, 166 कर्मचारियों की नौकरी छूटी
नहीं पेश कर पाए जाति वैधता प्रमाणपत्र, 166 कर्मचारियों की नौकरी छूटी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले जिले के 166 अधिकारी-कर्मचारी जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पाने से उन्हें घर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। 11 महीने सेवा करने के बाद उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। सेवा से हटाए जाने वाले अधिकारी, कर्मचारियों में जिला परिषद के 163 और जिलाधिकारी कार्यालय के 3 कर्मचारी शामिल हैं। जिला परिषद में सर्वाधिक शिक्षा विभाग के कर्मचारी शामिल हैं।

आरक्षित सीट से नौकरी में दाखिल होने पर जाति वैधता प्रमाण पत्र पेश करना अनिवार्य है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अनेक लोगों ने अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का लाभ उठाने के मुद्दे ने तूल पकड़ा था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने जाति वैधता प्रमाण पत्र पेश नहीं करने वालों को सेवा से हटाने का आदेश दिया। राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए 31 दिसंबर तक जाति वैधता प्रमाण पत्र पेश करने की मोहलत दी थी। इस कालावधि में जाति वैधता प्रमाण पत्र पेश नहीं करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है।

जिला परिषद में 163 कर्मचारी और जिलाधिकारी कार्यालय में 3 कर्मचारी इस आदेश से प्रभावित होंगे। उन्हें नोटिस जारी करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। 11 महीने या सेवानिवृत्ति की तारीख, इसमें से जो पहले होगी, उस तारीख को सेवा से हटाने की नोटिस जारी की गई है, जो वर्ष 1995 से पहले सेवा में दाखिल हुए, उन्हें अभय दिया गया है। इसके बाद सेवा में आने वालों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू है।

जिप में रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया
जाति वैधता प्रमाण पत्र के अभाव में 11 महीने बाद रिक्त हो रहे अनुसूचित जनजाति पदों पर भर्ती के लिए जिला परिषद ने भर्ती  प्रक्रिया आरंभ कर दी है। हाल ही में 168 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है।

वेतन भुगतान का पेंच
जाति वैधता प्रमाण पत्र पेश नहीं करने वाले कर्मचारियों की अधिसंख्य पदों पर नियुक्ति के राज्य सरकार ने आदेश जारी किए हैं। इन पदों की आस्थापना का सवाल खड़ा हो गया है। स्वतंत्र आस्थापना या अन्य विकल्प की सरकार के आदेश में स्पष्टता नहीं है। आस्थापना निश्चित किए बिना वेतन भुगतान नहीं किया जा सकता। किस आस्थापना से भुगतान करें, यह पेंच बना हुआ है।

Created On :   3 Jan 2020 11:39 AM IST

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