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चर्चा के बाद एकमत से मंजूर, विपक्ष ने भी सराहा - एसिड हमला गैर जमानती अपराध
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए प्रस्तावित शक्ति फौजदारी कानून को विधानसभा में एकमत से मंजूर कर लिया गया। कानून में सामूहिक दुष्कर्म और हत्या, बच्चियों से दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। दुष्कर्म और एसिड हमलों को गैरजमानती अपराध बना दिया गया है। साथ ही ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का भी प्रावधान है। सदन में विधेयक पेश करते हुए गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील ने कहा कि जब समाज में महिलाओं पर अत्याचार होगा तो हम मूकदर्शक नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि कानून में इस बात का भी प्रावधान है कि छानबीन में लापरवाही न हो, न्यायालय में सही तरीके से दलील रखी जाए और तकनीकी गलतियों की वजह से कोई आरोपी न छूट जाए। वलसे पाटील ने कहा कि कानून को जल्द राष्ट्रपति की मंजूरी मिले इसके लिए विपक्ष को भी सरकार के साथ मिलकर कोशिश करनी चाहिए जिससे यह कानून अमल में आ सके। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस विधेयक का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, ऐसे में वर्तमान कानूनों को कठोर बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के संदर्भ में होने वाली घटनाओं की जांच और मुकदमा संवेदनशीलता से चलना चाहिए। नईदिल्ली में निर्भयाकांड के बाद आईपीसी और सीआरपीसी में रेप, छेड़छाड़ की व्याख्या बदल गई है। उन्होंने समाज में महिलाओं का आदर बढ़ाने पर विचार किए जाने की आवश्यकता जताई।
कानून के मुख्य प्रावधान
०अधिनियम में बलात्कार के मामले में संबंधित अपराधी को मृत्यु दंड या कठोर कारावास देने का प्रावधान किया गयाहै।
०अपराध की सूचना देने के 30 दिनों के भीतर जांच पूरी की जानी चाहिए। यदि 30 दिनों के भीतर जांच करना संभव नहीं है, तो पुलिस महानिरीक्षक या पुलिस आयुक्त को 30 दिनों का विस्तार मिलेगा।
०यौन अपराध की अदालती जांच 30 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
०इंटरनेट या मोबाइल टेलीफोन डेटा प्रदाता के पुलिस जांच के लिए जानकारी प्रदान करने में विफल रहने पर तीन महीने तक के कारावास या25 लाख रुपए के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
०महिलाओं को फोन और अन्य डिजिटल माध्यमों से धमकाने के लिए दंडित किया जाएगा। यह सजा पुरुषों, महिलाओं या तीसरे पक्ष को भी दी जा सकती है।
०यदि कोई व्यक्ति यौन अपराधों के संबंध में झूठी शिकायत करता है या जान बूझकर किसी व्यक्ति को इसके माध्यम से नुकसान पहुंचाता है तो उसे जमानत नहीं दी जाएगी
एसिड हमला करने वाले को उम्रकैद
कानून में एसिड हमलों को लेकर धारा 326 में भी बदलाव का प्रस्ताव है। अबआरोपियों को न्यूनतम15 साल कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा के साथ आर्थिक दंड का भी प्रावधान किया गया है। एसिड हमले की शिकार महिला के उपचार, प्लास्टिक सर्जरी आदि का खर्च भी जुर्माने के रूप में वसूले गए पैसे से भरा जाएगा। कानून में झूठी शिकायत या जानकारी पर भी एक से तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
Created On :   23 Dec 2021 9:21 PM IST