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बीड़ी-सिगरेट बिक्री पर संभावित रोक के खिलाफ पहुंची यूनियन, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को लेकर भी सरकार से सवाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोराना काल में बीड़ी सिगरेट की बिक्री पर अंशकालिक रोक लगाए जाने को लेकर कोर्ट की ओर से दिए गए सुझाव के खिलाफ पूर्व विधायक नरसैय्या अडम ने बांबे हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर किया है। 70 हजार से अधिक महिला बीड़ी वर्कर का प्रतिनिधित्व करने ट्रेड यूनियन के सलाहकार अडम ने यह आवेदन अधिवक्ता सारंग अराध्ये के मार्फत दायर किया है। आवेदन में मुख्य रुप से कोरोना के उपचार में कुप्रबंधन के मुद्दे को लेकर स्नेहा मर्जादी की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने की अनुमति देने की मांग की है। क्योंकि इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुझाव स्वरुप कहा था कि जिन्हें धुम्रपान की लत है ऐसे लोगों को कोरोना के चपेट में आने की ज्यादा आशंका है। इसलिए कोरोना काल में बीडी-सिगरेट की बिक्री पर अस्थायी रोक लगाने पर विचार किया जाए। हाईकोर्ट में यूनियन की तरफ से दायर आवेदन में कहा गया है कि यदि इस विषय पर कोर्ई प्रतिकूल आदेश जारी किया जाता है कि तो इससे लाखों लोगों की जीविका प्रभावित होगी। इसके अलावा धुम्रपान करनेवाले कोविड की चपेट में आएंगे। इसको लेकर कोई रिसर्च भी सामने नहीं है। इसलिए इस मामले में कोई भी विपरीत आदेश जारी करने से पहले आवेदनकर्ता के पक्ष को सुना जाए।
लाखों लोगों की जीविका का साधन है बीडी उद्योग
आवेदन में कहा गया है कि बिड़ी उद्योग की शुरुआत 150 साल पहले हुई थी। अकेले सोलापुर में 70 हजार महिलाएं बीड़ी कारखानों में कार्यरत हैं। जो उनकी जीविका का साधन है। बिड़ी-सिगरेट के कारोबार से करीब पांच लाख लोग जुड़े है। इससे पहले राज्य सरकार ने जून 2021 में टाटा मेमोरियल सेंटर के डाक्टर राजेंद्र बडवे की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की थी। जिसमें दावा किया गया था कि धुम्रपान करनेवाले लोगों के कोरोना की चपेट में आने की ज्यादा आशंका है।
निजी संस्थानों की समिति के सदस्यों के संरक्षण के लिए क्या कर रही सरकार
उधर कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले देखने के लिए निजी क्षेत्र के संस्थानों में बनाई जानेवाली कमेटी के सदस्यों को सरंक्षण देने के विषय में दिए गए निवेदन पर केंद्र सरकार के महिला व बाल विकास विभाग ने क्या निर्णय किया हैॽ बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस विभाग से 26 अगस्त 2021 तक इस बारे में जानकारी मंगाई है। इससे पहले याचिकाकर्ता एडवोकेट आभा सिंह ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से इस बारे में केंद्र सरकार के महिला व बाल विकास विभाग को 27 अगस्त 2019 को निवेदन दिया गया था। लेकिन इस निवेदन की क्या स्थिति है। इस बारे में दो साल बाद भी कोई जानकारी नहीं मिल पायी है। इस पर केंद्रीय महिला व बाल विकास विभाग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रुई राड्रिक्स ने कहा कि विभाग के लोग याचिकाकर्ता की ओर से दिए गए निवेदन का पता लगा रहे हैं। इस निवेदन के बारे में क्या निर्णय किया गया है। इस बारे में महिला व बाल विकास विभाग के सचिव से निर्देश लेने के लिए समय दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 26 अगस्त 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। इस विषय पर एक निजी कंपनी की पूर्व अधिकारी जानकी चौधरी ने जनहित याचिका दायर की हैं।
Created On :   16 Aug 2021 7:46 PM IST