वन संवर्धन व जैव विविधता अनुकूलन के लिए अनोखी योजना, लघुवन उपज से बढ़ाएगें आजीविका

Unique plan for forest enrichment and biodiversity optimization
वन संवर्धन व जैव विविधता अनुकूलन के लिए अनोखी योजना, लघुवन उपज से बढ़ाएगें आजीविका
वन संवर्धन व जैव विविधता अनुकूलन के लिए अनोखी योजना, लघुवन उपज से बढ़ाएगें आजीविका

डिजिटल डेस्क मंडला। मंडला जिला में वानिकी के तहत हर साल जंगलों में पौधरोपण हो रहा है लेकिन अभी भी फारेस्ट कवर 48 प्रतिशत है। जंगल मे फलदार और लघुवन उपज पौधों की संख्या लगातार कम हो रही है। महुआ, चिरौंजी, आंवला, बहेरा, करौंदा, इमली, सीताफल के पौधे जंगल में घटते जा रहे है। इसका असर जैव विविधता पर भी पड़ रहा है। इसके अलावा ग्रामवासियों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है। मंडला जिले के जंगल में फलदार और वनउपज के पौधे बढ़ाने का प्रयास आजैविक मिशन ने शुरू किया है।

जलवायु परिवर्तन अनुकूलन परियोजना के तहत जंगल में पौधे पनपाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए सीड वॉल का उपयोग किया जाएगा। सीड वॉल अर्थात बीजों को मिट्टी के गालों में रखकर उसे गेंदनुमा बना दिया जाएगा। मिट्टी के गोले बनाकर बीज को बरसात के समय जंगल में फेंक दिया जाएगा। जिससे पौधे आसानी से पनप जाएंगे। इसमें खर्च भी कम आएगा और देखरेख की झंझट भी नहीं रहेगी। जानकारों का मानना है कि सीड वॉल से पौधे रोपने के बेहतर परिणाम आने की संभावना है। पौधे जंगल में बढ़ने से ग्राम वासियों की आजैविक के साधन भी बढ़ेंगे और जैव विविधता भी बनी रहेगी।

जंगल से ही बीज का इंतजाम
समूह की महिलाओं ने सीड वॉल बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिए जंगल के ही बीज का इस्तेमाल किया जा रहा है।  महुआ, चिरौंजी, आंवला, बहेरा, करौंदा का बीज जंगल से ही तलाश किया गया है। अब महिलाएं मिट्टी की वॉल बना रही है। बीज की डिंमाड ज्यादा होने पर आजैविक मिशन बीज की व्यवस्था एजेंसी के माध्यम से करेगी। फिलहाल जंगल से ही बीज लाया जा रहा है।

पचास गांवो से शुरूआत
सीड वॉल से जंगल पनपाने का कार्य जिले के पचास गांव से शुरू किया जा रहा है। मंडला और बिछिया ब्लाक से 25-25 गांव का चयन किया गया है। यहां समूह और ग्राम संगठन की महिलाएं इस कार्य मेंं जुट गई है। दोनो ब्लाक में फलदार और वनउपज के 10 लाख तक पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो सीड वॉल से  जंगल पनप जाएगा।

केरल, उत्तराखंड में हो चुका प्रयोग
सीड वॉल से जंगल पनपाने को प्रयोग केरल से शुरू किया गया था। यहां बीज वॉल मॉडल इसको ना दिया गया था। यहां बेहतर परिणाम आने के बाद उत्तराखंड में सीड वॉल से जंगल बढ़ाने का काम हुआ है। अब आजैविक मिशन इसे जलवायु परिवर्तन अनुकूलन परियोजना के तहत प्रयोग में ला रही है। लोगों को आजैविक से जोडऩे और जैव विविधता के लिए यह प्रयास शुरू किए गए है।

इनका कहना है
सीड वॉल से जंगल में फलदार और लघुवन उपज पौधे रोपित करने का प्रयास किए जा रहे है। जलवायु परिवर्तन अनुकूलन परियोजना के तहत काम शुरू किया गया है। सीड वॉल बनाई जा रही है। बरसात में इसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
(बीडी भैंसारे, डीपीएम आजैविक मिशन)

 

Created On :   11 May 2018 6:30 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story