ठंडे बस्ते में है यूनिवर्सिटी का सोलर पैनल का प्रस्ताव, शर्तों पर नहीं बन रही सहमति

University solar panel proposal,  terms not being agreed
ठंडे बस्ते में है यूनिवर्सिटी का सोलर पैनल का प्रस्ताव, शर्तों पर नहीं बन रही सहमति
ठंडे बस्ते में है यूनिवर्सिटी का सोलर पैनल का प्रस्ताव, शर्तों पर नहीं बन रही सहमति

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बिजली के बिल पर लाखों रुपए खर्च होने से रोकने के लिए राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा लिया गया सोलर पैनल लगाने का फैसला ठंडे बस्ते में है। वर्ष 2019-20 के बजट में  यूनिवर्सिटी ने इसके लिए प्रावधान किया था। जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी किसी बाहरी कंपनी से सोलर पैनल के लिए करार की तैयारी कर रहा है, लेकिन अब तक इस काम के लिए यूनिवर्सिटी को मनपसंद कंपनी नहीं मिली है। बीते दिनों एक कंपनी ने 3 रुपए यूनिटी की दर से सोलर पैनल लगाने का प्रस्ताव यूनिवर्सिटी काे दिया था, लेकिन इस प्रस्ताव की शर्तों पर सहमति नहीं बनी है। ऐसे में अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने महाराष्ट्र एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी से मदद लेने का निर्णय लिया है। यूनिवर्सिटी में पहले ही इस प्रस्ताव के अध्ययन के लिए प्रभारी कुलसचिव डॉ. नीरज खटी, मैनेजमेंट काउंसिल सदस्य विष्णु चांगदे और डॉ. निरंजन देशकर की समिति बनी है। समिति जल्द ही महाराष्ट्र एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी के साथ बैठक करने की तैयारी कर रही है। 

यहां लगने हैं पैनल
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अपनी नई प्रशासकीय इमारत, परीक्षा भवन और एलआईटी परिसर की इमारतों पर सोलर पैनल लगाने की तैयारी की है। इसके पूर्व कैंपस की विविध इमारतों में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। कैंपस मंे सोलर पैनल नैक के मूल्यांकन के मद्देनजर लगाए जा रहे हैं।

इसलिए लटका था प्रोजेक्ट
नागपुर यूनिवर्सिटी में हाईटेंशन और लो टेंशन कैटेगिरी की बिजली आपूर्ति होती है। नागपुर विवि अपने सभी इमारतों के लिए कुल मिलाकर 24 लाख से अधिक का बिजली का बिल प्रतिमाह अदा करता है। उम्मीद की जा रही थी कि परीक्षा विभाग और एलआईटी में सोलर पैनल लगाने से विवि का यह खर्च काफी हद तक कम हो जाएगा। लेकिन विवि की इस बहुप्रत्याशित योजना पर एक विवाद है।

जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी ने राज्य सरकार की सोलर सब्सिडी स्कीम में मुफ्त में यह सेट-अप लगाने की जगह, अपने जनरल फंड से इसका खर्चा करने की तैयारी की है। जबकि मैनेजमेंट काउंसिल सदस्य विष्णु चांगदे व अन्य ने इसे सरकारी सब्सिडी से लगाने की मांग की थी। इसके लिए विवि को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग एंड डेवलपमेंड काउंसिल (डीपीडीसी) के साथ समन्वय स्थापित करना था। बावनकुले ने नागपुर यूनिवर्सिटी से इस दिशा में एक प्रस्ताव भेजने को कहा था। लेकिन नागपुर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को लगा कि उन्होंने इस दिशा में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) मांगा थी, ऐसे में विवि की ओर से ही यह प्रस्ताव लंबित रह गया था।

Created On :   25 Dec 2019 4:03 PM IST

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