भड़के  यूपी के मजदूर -  शहर के अंदर नेशनल हाइवे पर जाम लगाकर किया हंगामा

UP workers raging - creating ruckus on the National Highway inside the city
भड़के  यूपी के मजदूर -  शहर के अंदर नेशनल हाइवे पर जाम लगाकर किया हंगामा
भड़के  यूपी के मजदूर -  शहर के अंदर नेशनल हाइवे पर जाम लगाकर किया हंगामा

 डिजिटल डेस्क सतना। महाराष्ट्र के नागपुर से यहां सैकड़ों की तादाद में भेजे गए उत्तर प्रदेश  के मजदूरों ने गंतव्य तक जाने के लिए साधन नहीं मिलने पर शुक्रवार को हंगामा मचाया। दूसरे राज्य के ये श्रमिक घर तक जाने के लिए बसों की मांग कर रहे थे,जबकि मौके पर पहुंचे तहसीलदार मानवेन्द्र सिंह का कहना था कि यूपी सरकार यहां से जाने वाली मध्यप्रदेश की बसों को अपनी सीमा के अंदर नहीं ले रही है। तहसीलदार हंगामाइयों को उत्तर प्रदेश के बार्डर तक पहुंचाने के लिए वाहनों का प्रबंध करने को तैयार थे,मगर मजदूर इस जिद पर अड़े थे कि उन्हें उनके घर तक पहुंचाया जाए। श्रमिकों का यह भी कहना था कि खवासा बार्डर में अधिकारियों ने उन्हें सतना में समुचित प्रबंध किए जाने का आश्वासन दिया था।
 क्यों बिगड़ी बात 
बताया गया है कि शुक्रवार को 14 अलग-अलग बसों और 5 ट्रकों से लगभग 2 हजार मजदूर यहां आ धमके। इनमें जिले के मजदूरों के अलावा सैकड़ों ऐसे श्रमिक भी थे, जिन्हें उत्तर प्रदेश और झारखंड जाना था। यूपी के मजदूरों ने तो यहां सुबह 6 बजे से ही सेंट्रल किचेन के इर्द-गिर्द डेरा डाल रखा था। स्थानीय प्रशासन के सामने  मुश्किल ये थी कि वे बाहर से आए अपने  जिले के श्रमिकों को गंतव्य तक पहुंचाने के प्रबंध करें या फिर यूपी और झारखंड जैसे उन राज्यों के मजदूरों की फिक्र करें जिनकी सरकारें मध्यप्रदेश की बसों को अपनी सीमा के अंदर लेने को तैयार नहीं हैं। दोपहर 12 बजे के आसपास हालात तब बिगड़ गए जब 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से एकबारगी आए अंधड़ में अस्थाई यातायात के तंबू-बंबू भी उड़ गए। पहले से ही खिसियाए मजदूरों का सामान और राशन पानी भीगा तो गुस्सा और भी भड़क गया। इन श्रमिकों ने बदइंतजामी के आरोप लगाते हुए शहर के अंदर ओवरब्रिज के करीब नेशनल हाइवे पर धरना देकर जाम लगा दिया। तकरीबन आधा घंटा चले इस हंगामे के बीच बात और बिगड़ती देख मौके पर पुलिस बुलानी पड़ गई। फोर्स को देख हंगामाइयों के तेवर जब जरा ढीले पड़े तो बातचीत का रास्ता बना। अंतत: बाहर के मजदूर बार्डर तक जाने को राजी हो गए।
अपना ठीकरा दूसरे के सिर :----
लॉकडाउन के बीच दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों को गंतव्य तक पहुंचाने के मामले में केंद्र और राज्य सरकार की दरियादिली के चलते राज्यों के बीच ठेलम-ठेली का खेल शुरु हो गया। हर राज्य अपने यहां मौजूद बाहरी श्रमिकों से किसी भी हालत में पिंड छुड़ाने के लिए हर हथकंडे अपनाने पर उतारु है। अपना ठीकरा दूसरे के सिर फोडऩे की इस गहमागहमी में मध्यप्रदेश जैसा राज्य घुन की तरह किस कदर
पिस कर रह गया है,अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सुगम गैलरी बने विंध्य के सतना-रीवा,सीधी और सिंगरौली जिले पड़ोसी राज्यों की साजिश का हिस्सा बन गए है। खासकर गुजरात और महाराष्ट्र के में फंसे यूपी,बिहार और झारखंड के मजूदरों की बला टालने के लिए सतना-रीवा के लिए बसों के धड़ाधड़ ई-पास जारी किए जा रहे हैं। वहां से सवा लाख और डेढ़ लाख में बुक होकर यहां आने वाली बसें संकट की इस घड़ी में गोरखधंधा बन गई हैं।
 एक छल ऐसा भी :----
 भागमभागी के इस दौर में इसी बहाने दूसरे राज्यों का बस माफिया मलाई काट रहा है। बस आपेरटर्स के दलाल अब बाहर से आने वाले मजदूरों को संस्थागत क्वारेंटीन से बचाने की भी गारंटी दे रहे हैं। आमतौर पर हर बार्डर पर स्क्रीनिंग की व्यवस्था है। मजदूरों को स्क्रीनिंग के पहले पैरासिटामॉल या क्रोसीन जैसी दवाएं भी खिलाए जाने के सनसनीखेज मामले भी  सामने आ रहे हैं। सच क्या है ये तो जांच का विषय है कि  लेकिन कमाऊखोर हर कदम पर पैसा काटने की हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
 

Created On :   16 May 2020 10:26 AM GMT

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