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पुलिस अधिकारी वझे की गिरफ्तारी के लिए विधानसभा में हंगामा, विपक्ष ने नहीं चलने दी कार्यवाही
डिजिटल डेस्क, मुंबई। रिलायंस समूह के अध्यक्ष मुकेश अंबानी के घर के पास मिली विस्फोटक भरी कार के मालिक मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत के मामले में आरोपों के घेरे में फंसे एपीआई सचिन वझे को निलंबित कर गिरफ्तार करने की मांग करते हुए विपक्ष ने विधानसभा में जोरदार हंगामा किया। जवाब में सत्ता पक्ष ने दादरा नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या का मुद्दा उठाते हुए। वहां के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की गिरफ्तारी की मांग की। लगातार शोरशराबे के चलते सदन की कार्यवाही आठ बार स्थगित करनी पड़ी। आखिरकार जब हंगामा शांत नहीं हुआ तो कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
हिरेन की हत्या के लिए वझे जिम्मेदारी
मंगलवार को प्रश्नकाल के बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मनसुख की पत्नी विमला ने अपनी शिकायत में आशंका जताई है कि उनके पति की हत्या सचिन वझे ने की है। जिस शिकायत के आधार पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है उसमें विमला ने बताया है कि उनके पति और वझे एक दूसरे को जानते थे।
चार महीने तक वझे के पास थी विस्फोट वाली कार
फडणवीस ने कहा कि यही नहीं जिस कार में अंबानी के घर के पास विस्फोटक मिले वह चार महीने तक वझे के पास थी। इसी साल पांच फरवरी को वझे ने यह कार ड्राइवर के जरिए उनकी दुकान पर पहुंचाई थी। फडणवीस ने कहा कि कार बरामद होने के बाद लगातार तीन दिनों तक वझे ही हिरेन से पूछताछ करते रहे। यही नहीं पुलिस और पत्रकारों द्वारा लगातार पूछताछ के चलते परेशानी की शिकायत करते हुए हिरेन ने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, पुलिस आयुक्त को जो पत्र लिखा था वह भी उन्हें वझे ने ही तैयार करके दिया था। विमला ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके पति ने उन्हें बताया था कि वझे उन्हें मामले में गिरफ्तार होने की सलाह दे रहे हैं और दो-तीन दिन में जमानत दिलाने का वादा कर रहे हैं। हिरेन ने गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए अपने भाई विनोद से फोन पर बात कर अच्छे वकील से सलाह लेने को कहा था। लेकिन वकील ने उन्हें कहा कि वे मामले में आरोपी नहीं हैं इसलिए अग्रिम जमानत की अर्जी नहीं दी जा सकती।
शिवसेना नेता धनंजय गावंडे के ठिकाने पर थी हिरेन की लोकेशन
फडणवीस ने कहा कि साल 2017 में एक एफआईआर दर्ज हुई थी जिसमें सचिन वझे और धनंजय गावंडे नाम के दो आरोपी थे। जिन पर 40 लाख रुपए की फिरौती मांगने का आरोप है। अब मनसुख हिरेन का आखिरी लोकेशन गावडे के ठिकाने पर है। उन्हें वहां जाने की क्या जरूरत थी। फिर 40 किलोमीटर दूर उनका शव मिला। फडणवीस ने सवाल किया कि इस मामले में धारा 201 के तहत (सबूत नष्ट करना) गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। फडणवीस ने आशंका जताई कि हिरेन की गावडे के इलाके में गाड़ी में हत्या की गई। फिर शव खाड़ी में फेंक दिया गया। शव फेंकने वालों ने सोचा कि हाईटाइड है और शव कभी मिलेगा नहीं लेकिन लो टाइड होने के चलते शव बाहर आ गया। सत्ता पक्ष ने दादरा नगर हवेली के सांसद डेलकर की आत्महत्या का मुद्दा उठाया तो फडणवीस ने कहा कि वझे को बचाने के लिए डेलकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। बार बार मामले में गृहमंत्री के बयान की मांग करते हुए विपक्ष ने हंगामा जारी रखा।
सबूत हो तो एटीएस को सौंपे-देशमुख
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने विपक्ष को भरोसा दिया कि मामले में निष्पक्ष जांच की जाएगी। अगर उनके पास कोई सबूत हैं तो उसे एटीएस को सौंपे। हिरेन की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है और परिवार को न्याय दिया जाएगा। लेकिन उन्होंने मोहन डेलकर और अन्वय नाईक का भी मुद्दा साथ में उठाया तो विपक्ष के तेवर कड़े हो गए। कांग्रेस के नाना पटोले ने हिरेन का सीडीआर निकालने को लेकर फडणवीस को घेरा तो फडणवीस ने कहा कि राज्य के हित के लिए जो करना होगा वे करेंगे सरकार उनकी भी जांच करा सकती है वे इससे डरते नहीं हैं।
किस पार्टी से है वझे का रिश्ता-फडणवीस
विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वझे के खिलाफ पर्याप्त सबूत है। उन्हें सबूत मिटाने का मौका न दिया जाए। उन्हें बचाने की कोशिश गलत है। अपराधी अपराधी ही होता है चाहे किसी भी पार्टी में हो। उन्होंने कहा कि ख्वाजा यूनुस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद वझे निलंबित किए गए। बाद में वे शिवसेना में शामिल हो गए। उनकी सरकार रहते इस मामले में एडवोकेट जनरल की सलाह ली गई तो उन्होंने वापस पुलिस सेवा में न लेने की सलाह दी लेकिन मौजूदा सरकार ने कोविड काल का बहाना बनाकर उन्हें एक समिति की सिफारिश पर फिर तैनात कर दिया। फडणवीस ने कहा कि गृहमंत्री जिस तरह वझे का बचाव कर रहे हैं उनकी भूमिका पर भी संदेह हो रहा है।
‘मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद क्यों बदला फैंसला’
विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान फडणवीस ने दावा किया कि गृहमंत्री सदन में गतिरोध तोड़ने के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष की केबिन में हुई चर्चा में वझे को हटाने के लिए तैयार हो गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने के बाद उन्होंने फैसला बदल लिया। उन्होंने कहा कि वझे की गिरफ्तारी हुई तो सरकार के कौन-कौन लोग इस मामले में शामिल थे इसका खुलासा होगा। इस वजह से सरकार वझे को बचाने की कोशिश कर रही है।
सोशल डिस्टेंसिंग पर सवाल
वझे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए भाजपा सदस्य वेल में आकर नारेबाजी कर रहे थे। जिन सदस्यों को ऊपर की गैलरी में जगह दी गई थी उनमें से भी कुछ नीचे सदन में आ गए थे। शिवसेना के सुनील प्रभू और कांग्रेस के नाना पटोले ने इस पर आपत्ति जताई और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
कौन हैं सचिन वझे
सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे का नाम भी कभी मुंबई के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाने वाले पुलिसवालों में शामिल था। अंधेरी क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख रहे प्रदीप शर्मा की अगुआई में वझे ने काम किया है। वे 60 एनकाउंटरों में शामिल रहे हैं। दिसंबर 2002 में हुए घाटकोपर बम धमाका मामले में संदिग्ध ख्वाजा यूनुस की मौत के मामले में जिन 14 लोगों पर केस दर्ज हुआ था वझे भी उसमें शामिल था। इससे नाराज वझे ने 2007 में पुलिस सेवा से इस्तीफा दिया और 2008 की दशहरा रैली में शिवसेना का दामन थाम लिया था। लेकिन पिछले साल जून महीने में कोविड महामारी का हवाला देते हुए सरकार ने उन्हें फिर सेवा में शामिल कर लिया।
Created On :   9 March 2021 9:14 PM IST