अब नगरीय निकायों और पंचायतों को मिलेगा GST व पेट्रोल-डीजल के करों का हिस्सा

Urban bodies and panchayats will also get a share of GST and petrol-diesel taxes
अब नगरीय निकायों और पंचायतों को मिलेगा GST व पेट्रोल-डीजल के करों का हिस्सा
अब नगरीय निकायों और पंचायतों को मिलेगा GST व पेट्रोल-डीजल के करों का हिस्सा

डिजिटल डेस्क,भोपाल। प्रदेश की त्रिस्तरीय नगरीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं को अब राज्य सरकार को GST, पेट्रोल-डीजल एवं भूमि करों से होने वाली आय में भी हिस्सा मिलेगा। हिस्सा बांटने का यह काम 5वां राज्य वित्त आयोग करेगा। आयोग को इस कार्य के लिए 31 जनवरी 2018 तक का समय दिया गया है।

गौरतलब है कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों के लिए त्रिस्तरीय नगरीय निकायों के अंतर्गत 16 नगर निगम, 98 नगर पालिकायें एवं 264 नगर परिषदें हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के अंतर्गत 22 हजार 824 ग्राम पंचायतें, 313 जनपद पंचायतें तथा 51 जिला पंचायतें हैं। इन सभी संस्थाओं को राज्य सरकार को विभिन्न करों से मिलने वाली आय में से हिस्सा दिया जाता है। हर 5 साल में इसके लिए राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाता है जो अध्ययन के बाद करों में हिस्से की अनुशंसाएं करता है। इस बार गठित आयोग पांचवा वित्त आयोग है। उसे पहली बार GST, पेट्रोल-डीजल व भूमि करों से होने वाली आय के बंटवारे का काम भी सौंपा गया है

समय पर नहीं दे पाएगा अनुशंसाएं 
राज्य सरकार ने 5वें राज्य वित्त आयोग को करों के बंटवारे के लिए जो काम सौंपा है उसे आयोग निर्धारित समय यानि 31 जनवरी 2018 तक नहीं कर पाएगा। इसका कारण यह है कि आयोग का गठन गत 20 मार्च 2017 को किया गया और आयोग ने किए जाने वाले कार्य अब सौंपे हैं। इसके कारण आयोग के पास इतनी कम अवधि में उसे दिए गए विषयों का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपना संभव नहीं है। इसके अलावा आयोग में एक अध्यक्ष एवं चार सदस्य नियुक्त किए गए, लेकिन एक सदस्य ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। लिहाजा राज्य सरकार को वर्षाकालीन विधानसभा सत्र में विधेयक लाना पड़ा कि किसी सदस्य के न होने पर भी आयोग का कौरम माना जाएगा।

राज्य वित्त आयोग अध्यक्ष हिम्मत कोठारी का कहना है कि हमारे आयोग को 1 अप्रैल 2018 से प्रारंभ होने वाले वित्त वर्ष से आगे पांच वर्ष तक के लिए नगरीय निकायों एवं पंचायतों को राज्य को मिलने वाले करों में से हिस्सा निर्धारित करना है। आयोग के गठन एवं उसे दिए जाने वाले काम के आवंटन में काफी विलंब हुआ है। इसलिए 31 जनवरी 2018 तक रिपोर्ट नहीं सौंपी जा सकेगी। सरकार से आयोग का कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया जाएगा।  

Created On :   10 Oct 2017 9:27 AM IST

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