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शहरी केंद्र आजीविका में आए दिन लगा रहता है ताला - कैसे मिले रोजगार
डिजिटल डेस्क कटनी । जिस समय हुनरमंदों को काम की अधिक जरुरत रही। उसी समय शहरी केन्द्र आजीविका में अघोषित ताला लग रहा है। यह ताला भी ठीक उसी दफ्तर में लगा। जहां पर निगमायुक्त का सरकारी बंगला है। इसके बावजूद निगम के अफसरों को इतनी फुर्सत नहीं रही कि जो वादा उन्होंने शहर के कामगारों से किया है।
उस वादे पर उनके आंखों के सामने ही लॉक लग गया है। अफसरों के पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं है। इधर जो तीन सौ लोग यहां पर रजिस्ट्रेशन फीस देकर अपना पंजीयन कराए थे। अब काम की जगह पर उनके हाथों में निराशा की लकीरें दिखाई दे रही हैं।
उद्देश्य की नहीं हुई पूर्ति
शहर के लोगों को काम मिल सके। इस उद्देश्य को लेकर यहां पर आजीविका शहरी केन्द्र खोला गया। इसके लिए एक स्वयं सेवी संस्था से टाईअप हुआ। संस्था को यह जिम्मेदारी दी गई कि वे हुनरमंदों को तलाशते हुए उनका पंजीयन करें और जरुरत के हिसाब से काम दें। पिछले वर्ष करीब तीन सौ लोगों ने पंजीयन कराया था। इसमें काम अधिकांश लोगों को नहीं मिला। जिसके बाद से लोग स्वयं इससे दूरी बनाए हैं।
प्रयोग में ही बीता समय
इस केन्द्र में नित्य नए प्रयोग होते रहे। पहले शहरी क्षेत्र के ही स्वसहायता समूहों से बने उत्पाद को विक्रय के लिए यहां पर लाया गया, लेकिन ये उत्पाद शहरी क्षेत्र के कम और ग्रामीण क्षेत्र में गठित स्वसहायता समूह के अधिक रहे। बाद में पीपीमोड के तहत इसका काम एक कंपनी को सौंपा। वह कंपनी भी लोगों के उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकी।
न फोन आया न काम मिला
इसके लिए कंपनी ने एक टोल-फ्री नंबर भी जारी किया था। इस नंबर के माध्यम से लोगों को यहां पर फोन करना था। इसके बावजूद शहरवासी इससे अंजान रहे। जबकि केन्द्र के शुभारंभ पर यह कहा गया था कि इस सुविधा से दोनो पक्षों को फायदा पहुंचेगा। एक तो बाजार से कम दामों में लोग अपने घरों के अंदर ही लाईट, निर्माण या फिर अन्य काम करा सकेंगे। दूसरा फायदा यह होगा कि कामगारों को यहां-वहां नहीं भटकना पड़ेगा।
इनका कहना है
यह केन्द्र बंद नहीं हुआ है। कर्मचारी के नहीं रहने से इस तरह की स्थिति निर्मित हुई। इसके लिए कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे विधिवत रुप से यहां बैठें। जिससे अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिले और उन्हें रोजगार प्राप्त हो।
-अशफॉक परवेेज, प्रभारी आयुक्त
Created On :   14 July 2020 3:08 PM IST