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कविताओं में हो सामान्य भाषा का प्रयोग, तभी बढ़ेगा महत्व - पाचकवड़े
डिजिटल डेेस्क, नागपुर। वर्तमान में कविताएं तो बहुत लिखी जा रही हैं, पर उनका महत्व कम होता जा रहा है। कविता में सामान्य भाषा का प्रयोग न कर, कठिन भाषा का प्रयोग करके बड़ा कवि बनने का प्रयत्न किया जा रहा है। कविता में तत्वज्ञान, सामाजिक जानकारी और सच्चाई का अभाव दिखाई दे रहा है। यह बात राज्य स्तरीय एक दिवसीय मराठी साहित्य सम्मेलन में अध्यक्ष कवि व साहित्यकार सुरेश पाचकवडे ने कही। सृजन साहित्य संघ मूर्तिजापुर, नागपुर शाखा व महाराष्ट्र राज्य साहित्य और संस्कृति मंडल द्वारा मेडिकल चौक राजाबक्षा स्थित पं. बच्छराज व्यास विद्यालय सभागृह में सम्मेलन का आयोजन किया गया। उद्घाटन गजलनवाज भीमराव पांचाले ने किया। मंच पर स्वागताध्यक्ष सेवानिवृत्त जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर थलसेना मनीष जोशी, साहित्य व संस्कृति मंडल के सदस्य आशुतोष अडोणी, पूर्व महापौर नंदा जिचकार, विवेक कवठेकर, रमेशचंद्र दीक्षित उपस्थित थे।
मोबाइल का प्रयोग ज्यादा
श्री पाचकवडे ने कहा कि आज सभी का जीवन भागदौड़ भरा है। कम समय में हर किसी को ज्यादा खुशी चाहिए, इसलिए टीवी और मोबाइल में व्यक्ति फंसकर रह गया है। छोटे बच्चे भी पुस्तक की जगह मोबाइल में ही टाइम बिताना पसंद करते हैं, जिससे बहुत सारी परेशानियां आ रही हैं। इससे भविष्य में लेखकों-कवियों की संख्या कम हो सकती है और साहित्य पर संकट आ सकता है। प्रस्तावना साहित्य संघ के संस्थापक रवीन्द्र जवादे ने रखी। संचालन प्रा. कीर्ति वनकर कालमेघ ने तथा अाभार प्रमोद पंत ने माना। इस अवसर पर रवीन्द्र जवादे के "गाई गेल्या राना" का ललित लेख संग्रह, गणेश भाकरे के "विठोबा की माऊली" कविता संग्रह व मीनल येवले का "मी मातीचे फुल" का प्रकाशन किया।
साहित्य सम्मेलन के लिए अनुदान उपकार नहीं, जवाबदारी है
साहित्य व संस्कृति मंडल के सदस्य आशुतोष अडोणी ने कहा कि साहित्य सम्मेलन के लिए शासन की ओर से मिलने वाला अनुदान साहित्यकारों के लिए उपकार नहीं है, बल्कि सहयोग करना शासन की जवाबदारी है। हर वर्ष सम्मेलन में अनुदान राशि के लिए सैकड़ों अर्जियां आती हैं, जिसमें से 15 संस्थाओं को चुना जाता है, लेकिन अब यह आंकड़ा 30 कर दिया गया है।
दिया गया सृजन प्रतिभा वांगमय पुरस्कार
इस अवसर पर सृजन प्रतिभा वांगमय पुरस्कार प्रदान किया गया। नाशिक के संजय चौधरी को "कविताच माझी कबर" कविता संग्रह, अमरावती के डॉ. गिरीश खारकर को "अबोल अश्रु", नागपुर की वर्षा किडे कुलकर्णी को "झिरो मैरेज" कथासंग्रह, सांगली के रवि राजमाने को "वाळवाण" कादंबरी के लिए, एकनाथ आव्हाड को "मिसाइल मैन", नाशिक के संजय वाघ को "गाव मामाचं हरवलं" बालसाहित्य के लिए सुनील जाधव को "माऊली" कथासंग्रह के लिए दिनकर कुटे को "कायधूळ" कथासंग्रह के लिए व रमेश वंसकर को "साई सेवक संत सगुण मेरू नाईक चरित्र’ के लिए पुरस्कृत किया गया।
Created On :   25 Nov 2019 3:05 PM IST