उत्तरप्रदेश: देश में पहली महिला की फांसी फिलहाल टली, इस वजह से जारी नहीं हो सका शबनम का डेथ वारंट, जानिए क्या है मामला

Uttar Pradesh: Hanging of first woman in the country postponed
उत्तरप्रदेश: देश में पहली महिला की फांसी फिलहाल टली, इस वजह से जारी नहीं हो सका शबनम का डेथ वारंट, जानिए क्या है मामला
उत्तरप्रदेश: देश में पहली महिला की फांसी फिलहाल टली, इस वजह से जारी नहीं हो सका शबनम का डेथ वारंट, जानिए क्या है मामला
हाईलाइट
  • 15 जुलाई को अमरोहा सेशन कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
  • अमरोहा सेशन कोर्ट को डेथ वारंट जारी करने के लिए रिपोर्ट भेजी
  • राज्यपाल को दी गई याचिका बनी ढाल

डिजिटल डेस्क, अमरोहा। देश में आजादी के बाद पहली महिला को होने वाली फांसी फिलहाल कुछ दिनों के लिए टाल दी गई है। प्रेमी के साथ मिलकर अपने परिवार के 7 लोगों की हत्या करने वाली शबनम का डेथ वारंट जारी नहीं हो सका है।

जिला शासकीय अधिवक्ता महावीर सिंह ने बताया कि रामपुर कारागार की रिपोर्ट से पता चला है कि शबनम के अधिवक्ता ने राज्यपाल के सामने पुन: विचारण दया याचिका दायर की है। उन्होंने इसकी प्रति भी अमरोहा सेशन कोर्ट में भेजी थी। इस संबंध में जिला जज को रिपोर्ट भेज दी गई है। अब पुन: विचारण याचिका के निस्तारण के बाद ही अग्रिम कार्रवाई होगी। जब तक दया याचिका पर फैसला नहीं होता, तब तक डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता।

राज्यपाल को दी गई याचिका बनी ढाल
शबनम के अधिवक्ता द्वारा राज्यपाल के यहां दायर की गई दया याचिका उसकी ढाल बन गई है। इस याचिका के निस्तारण तक उसका डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकेगा। रामपुर जेल प्रशासन द्वारा अमरोहा सेशन कोर्ट को भेजी गई याचिका की प्रति के आधार पर मंगलवार को डेथ वारंट जारी नहीं किया गया। कोर्ट ने इस संबंध में अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

15 जुलाई को अमरोहा सेशन कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
बता दें िक अमरोहा जिले में हसनपुर के गांव बावनखेड़ी में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 15 अप्रैल, 2008 को माता-पिता, दो भाई, भाभी, फुफेरी बहन व मासूम भतीजे को मौत की नींद सुला दिया था। इस मामले में 15 जुलाई, 2010 को अमरोहा सेशन कोर्ट द्वारा सलीम व शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनों की सजा को बरकरार रखा था।

राष्ट्रपति ने खारिज कर दी थी दया याचिका 
यहां तक कि राष्ट्रपति ने भी उनकी दया याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद दोनों ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की याचिका खारिज करते हुए रामपुर जेल प्रशासन को फांसी का आदेश भेजा था, जबकि अभी सलीम की पुनर्विचार याचिका लंबित है।

अमरोहा सेशन कोर्ट को डेथ वारंट जारी करने के लिए रिपोर्ट भेजी
सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद रामपुर जेल प्रशासन ने अमरोहा सेशन कोर्ट को डेथ वारंट जारी करने के लिए रिपोर्ट भेजी। इस क्रम में मंगलवार 23 फरवरी को सेशन कोर्ट को डेथ वारंट जारी करना था। सेशन कोर्ट ने अभियोजन अधिकारी से शबनम प्रकरण के संबंध में रिपोर्ट मांगी। इसी दौरान बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राजीव जैन रामपुर जेल पहुंचे तथा उन्हें शबनम की तरफ से राज्यपाल के यहां पुनर्विचार दया याचिका दायर करने संबंधी प्रार्थना पत्र दिया। जेल प्रशासन ने उसकी एक प्रति सेशन कोर्ट को भेजी थी।

फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग में तीन बिंदुओं का हवाला दिया
शबनम के अधिवक्ता ने राज्यपाल से फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग में तीन बिंदुओं का हवाला दिया है। बेटे ताज के साथ ही हरियाणा के सोनिया कांड को नजीर बनाते हुए सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राजीव जैन की ओर से शबनम की दया याचिका राज्यपाल को भेजी जा चुकी है। इस बारे में शबनम के अधिवक्ता शमशेर सैफी ने कहा, हमने उसके बेटे की परवरिश के मसले के साथ ही हरियाणा के सोनिया कांड, देश में अभी तक किसी महिला को फांसी न दिए जाने को आधार बनाया है।

दवा देकर बेहोश किया और फिर कुल्हाड़ी से काट दिया
अमरोहा के हसनपुर थानाक्षेत्र के गांव बावनखेड़ी की निवासी शबनम ने 14 अप्रैल 2008 की रात अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के अलावा अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी। सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया गया और इसके बाद अर्श को छोड़कर अन्य को कुल्हाड़ी से काट डाला था। शबनम ने अर्श का गला दबाकर उसे मारा था।

Created On :   23 Feb 2021 10:55 PM GMT

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