MP में बारिश ने फिर दिया धोखा, बन रहे सूखे के हालात

Very weak monsoon in this year for MP, high alert for drought
MP में बारिश ने फिर दिया धोखा, बन रहे सूखे के हालात
MP में बारिश ने फिर दिया धोखा, बन रहे सूखे के हालात

डिजिटल डेस्क, शहडोल। बारिश की बेरुखी ने किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दी है। गत वर्ष से इस साल 325 मिमी बारिश हुई, जिसके कारण 15 अगस्त तक 40 प्रतिशत खेतों में रोपा नहीं लग सके हैं। जो लगे भी हैं तो पानी की कमी के कारण सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। पौधे पीले पड़ते जा रहे हैं। यदि ऐसे ही हालात बने तो इस साल भी जिला सूखे की चपेट में आ सकता है। ज्ञातव्य है कि जिले में औसत बारिश 1200 मिमी मानी जाती है। 

एक जून से 15 अगस्त तक औसत बारिश 650 मिमी होनी चाहिए, लेकिन इस अवधि में अभी तक मात्र 540.6 मिमी ही बारिश दर्ज की गई है। जो कि औसत से 110 मिमी कम है। गत वर्ष जब जिले में भरपूर बारिश हुई थी, तब इस अवधि में 869.9 मिमी बारिश हो गई थी। जिसे किसानों ने उत्तम बारिश माना था और धान व अरहर का बंपर उत्पादन हुआ था।

पांच सालों में सबसे कम बारिश

मौजूदा साल की बारिश पिछले पांच सालों में हुई बारिश से सबसे कम है। वर्ष 2012-13 में 1070.8 मिमी, 2013-14 में 1194 मिमी, 2014-15 में 969.7 मिमी, 2015-16 में 829 मिमी तथा वर्ष 2016-17 में 1325.3 मिमी बारिश जिले में दर्ज की गई थी। लेकिन इस साल अभी तक मात्र 869.9 मिमी बारिश ही हुई है, जो औसत से बहुत कम है। विदित हो कि वर्ष 2015-16 में जब 829 मिमी बारिश हुई थी तब जिले में सूखे के हालात बने थे। वहीं स्थिति इस वर्ष भी निर्मित हो रही है। जो किसानों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।

रोपा हुआ बदहाल

कृषि विभाग से हासिल जानकारी के अनुसार इस खरीफ सीजन में जिले में एक लाख 6 हजार हेक्टेयर रकवे में धान की फसल का लक्ष्य रखा गया था। अगस्त के शुरुआती सप्ताह तक लगभग 85 हजार हेक्टेयर में धान की बोनी हो चुकी थी, जिसमें लगभग 50 हजार हेक्टेयर में रोपा लगाया जाना था। लेकिन पानी की कमी के कारण 60 प्रतिशत रकबे में ही रोपा लग सका। शेष 40 फीसदी रकवा ऐसा रहा कि जहां न रोपा लगा और न ही छिटवा बोनी हो सकी। इसके बाद जहां रोपा लगा भी वहां खेतों के भराव की कमी से पौधे सूखने लगे हैं।

रबी के आसार भी अच्छे नहीं

बारिश की कमी से जलाशयों में पर्याप्त पानी संकलित नहीं हो पाया। जिसका असर आगामी रबी सीजन की फसलों पर पड़ सकता है। जिन खेतों को सिंचाई की सुविधा मिली है, उन्हें पानी की कमी के कारण सिंचित नहीं किया जा सकेगा। यह स्थिति पूर्व की अल्प वृष्टि के वर्ष में देखी भी गई थी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेन्द्र सिंह का कहना है कि औसत से कम हुई बारिश किसानों के लिए चिंता का विषय है। पानी की कमी के कारण कई स्थानों पर रोपा नहीं लगने व जो लग चुके हैं, उनके सूखने की जानकारियां आ रही हैं। अगस्त माह के बाद तक यदि खेतों में नमी बनी रहे तो रमतिला, राई जैसी फसलों को विकल्प के रूप में लिया जा सकता है।

Created On :   18 Aug 2017 12:22 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story