विपक्ष को घेरते दिखा सत्तापक्ष, शह-मात के खेल में विदर्भ छूटा पीछे

Vidarbha left behind in the game of checkmate
विपक्ष को घेरते दिखा सत्तापक्ष, शह-मात के खेल में विदर्भ छूटा पीछे
विधानसभा विपक्ष को घेरते दिखा सत्तापक्ष, शह-मात के खेल में विदर्भ छूटा पीछे

डिजिटल डेस्क, , रघुनाथसिंह लोधी, नागपुर. अधिवेशन का पहला सप्ताह कामकाज की दृष्टि से िवधानसभा में औसत रहा। विपक्ष के दावे के अनुरूप सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास अवश्य किया। सत्तापक्ष, विपक्ष को घेरते दिखा। स्थिति यह रही कि सप्ताहांत में विपक्ष सभागृह की सीढ़ियों पर आ गया। अधिवेशन की पूर्व संध्या पर नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने सरकार को खोखे सरकार कहा था। मराठी में बोलचाल में करोड़ को खोखा कहा जाता है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विनम्र स्वर में कहा कि खोखा शब्द पवार को शोभा नहीं देता है। सभा में कामकाज सीमा विवाद के साथ आरंभ हुआ। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विवाद की माला विपक्ष के गले में ही डाल दी। कहा-पहले ही ध्यान दिया जाता, तो आज यह प्रश्न नहीं रहता। सीमा पर मराठियों को भड़काने का षड़यंत्र और उसमें राजनीतिक दल के कार्यकर्ता लिप्त होने की गुप्तचर की जानकारी का हवाला दिया गया। अधिवेशन के पहले से ही राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी विपक्ष के निशाने पर हैं। महापुरुषों के अपमान का आरोप राजनेता के अपमान तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री रहे अशोक चव्हाण ने रामटेक में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव की प्रतिमा के अनावरण का विषय रखा। कहा राज्यपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा का अनावरण करने से इनकार किया है। चव्हाण की बात पर सत्ता पक्ष टूट पड़ा। मंत्री मुनगंटीवार ने यह कहकर चव्हाण की चिरौरी की कि मुख्यमंत्री रहे व्यक्ति को जानकारी रहती है कि विधानसभा में राज्यपाल के व्यवहार पर चर्चा नहीं की जाती है। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने नियम पढ़ा। आशय यही था- राज्यपाल पर नो कमेंट्स। माइक सिस्टम बंद होने को लेकर सरकार पर तंज कसा गया। बाद में सत्ता पक्ष आक्रामक हो गया। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के आदित्य ठाकरे शब्दों में घेरे जाने लगे। मंत्री शंभूराजे देसाई, गुलाबराव पाटील ने आक्रामक भूमिका अपनाई। सत्ता पक्ष के आशीष शेलार व सेना के सुनील प्रभु के बीच तनातनी का वातावरण बना। नासुप्र में घोटाले का आरोप मुख्यमंत्री पर लगाया गया। इस आरोप की धार विधान परिषद के समान विधानसभा में नहीं दिखी। नेता प्रतिपक्ष व राकांपा के सदस्य प्रश्न पूछने की आैपचारिकता निभाते से लगे। अगले दिन दिशा सालियान मृत्यु प्रकरण उछला। सत्तापक्ष के हंगामे के कारण 5 बार सभा स्थगित हुई। निशाने पर आदित्य ठाकरे थे। गृहमंत्री ने एसआईटी जांच की घोषणा कर दी। उद्धव ठाकरे को घेरने के लिए अमरावती के उमेश कोल्हे हत्याकांड की फाइल खुलवाने की घोषणा की गई। दिशा के मामले में कामकाज की दिशा ही बदल गई। निर्लज्जपन शब्द सरकार को चुभ गया। राकांपा के जयंत पाटील को अधिवेशनकाल तक सभा से बाहर कर दिया। सप्ताहांत में पूरा िवपक्ष सभागृह से बाहर सीढ़ियों पर प्रदर्शन करता रहा।

दो साल बाद नागपुर में शीतसत्र अधिवेशन हो रहा है। उत्साह था कि विदर्भ के रुके हुए प्रकल्प और विकास को गति मिलेगी। इस उम्मीद को झटका लगते देर नहीं लगी। सत्तापक्ष-विपक्ष में शह-मात के खेल में विदर्भ के मुद्दे चेक एन्ड मेट होते रहे। विपक्ष द्वारा भूखंड घोटाला, सीमा विवाद, शिंदे गुट के सांसद पर अत्याचार के आरोप तो सत्तापक्ष की ओर से दिशा सालियान जैसे मुद्दों को हवा दी गई। वार-पलटवार चलते रहे। इस बहस में विदर्भ के जरूरी मुद्दे और विकास योजनाएं नजरअंदाज होती रहीं। पहले सप्ताह के सत्र में विदर्भ की समस्या या मुद्दों पर अब तक ठोस पहल या चर्चा होती नहीं दिखी। विपक्ष की ओर से न कोई मुद्दा उठाया गया और न सत्तापक्ष ने अपनी तरफ से कोई विषय रखा। विषय पत्रिका में नियम 260 अन्वय चर्चा के लिए दिए गए प्रस्ताव में जरूर इनका उल्लेख रहा, लेकिन सप्ताहभर में ये कभी चर्चा में नहीं आए। विदर्भ पर फिर एक बार अन्याय का आरोप लग रहा है।  विधान परिषद में पहले दिन के कामकाज में दिवंगत सदस्यों के प्रति शोक संवेदना प्रकट की गई। जिस कारण कार्यवाही स्थगित की गई। दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही प्वाइंट ऑफ इंफॉर्मेशन के तहत  विरोधी पक्ष नेता अंबादास दानवे ने मुख्यमंत्री व तत्कालीन नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे पर भूखंड घोटाले में लिप्त होने का आरोप लगाया। इसे लेकर दूसरे दिन हंगामा चलता रहा और कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। तीसरे दिन विधान परिषद की कार्यवाही शाम तक चली। इस दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, प्रश्नोत्तर हुए, लेकिन विदर्भ के मुद्दे गौण रहे। इस दिन भी भूखंड घोटाले के कारण अनेक बार सदन की  कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। चौथे दिन ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, प्रश्नोत्तर छोड़ दिए जाते, तो पूरा दिन सदन में शिंदे गुट के एक सांसद पर दुबई की महिला मित्र द्वारा लगाए गए आरोप का मामला गर्माता रहा। इस मामले की एसआईटी जांच की मांग की, लेकिन विपक्ष की मांग को अनसुना कर सरकार ने दिशा सालियान मामले की एसआईटी से जांच की घोषणा कर दी। जिस कारण विपक्ष को और तमतमा गया। मामला ज्यादा तूल पकड़ा और सत्तापक्ष-विपक्ष फिर अामने सामने आ गए। इस हंगामे के कारण विधान परिषद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। शुक्रवार को अंतिम उम्मीद थी कि कार्यवाही चलेगी और विदर्भ के मुद्दों पर चर्चा होगी, लेकिन विधानसभा सदस्य मुक्ता तिलक की मृत्यु के कारण सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी। मामला फिर आकर वहीं रुक गया। नागपुर करार के मुताबिक, विदर्भ को न्याय देने के लिए नागपुर में एक अधिवेशन लेना अनिवार्य है। अधिवेशन से विदर्भ के मुद्दों पर चर्चा और उन्हें सुलझाने की अपेक्षा व्यक्त की जाती है। अधिवेशन के पहले पक्ष-विपक्ष इसे लेकर पत्र-परिषद में खूब वादे और इरादे जताते रहे। इस बार भी सत्तापक्ष की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता अजित पवार से लेकर अंबादास दानवे और अन्य नेता विदर्भ के प्रति हमदर्दी दिखाते रहे, लेकिन पहले सप्ताह में ही यह वादे-इरादे विधान परिषद में पटल से दूर ही रहे।

 

 

Created On :   25 Dec 2022 5:26 PM IST

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