संतरा उत्पादन में विदर्भ विदेशियों से भी आगे, रंग लाई इजराइन तकनीक

Vidarbha surpasses foreigners in orange production technology brought to Israel
संतरा उत्पादन में विदर्भ विदेशियों से भी आगे, रंग लाई इजराइन तकनीक
संतरा उत्पादन में विदर्भ विदेशियों से भी आगे, रंग लाई इजराइन तकनीक

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  देश में भले ही विदर्भ में सबसे ज्यादा संतरा उत्पादन होता है। लेकिन विदेशियों की तुलना में अब तक  हम काफी पीछे थे लेकिन हाल ही में विदर्भ के कुछ किसानों ने इजराइल कृषि तकनीक का उपयोग कर अब विदेशियों को भी पीछे छोड़ दिया है।   हालांकि इसे लेकर कृषि विभाग अभी अधिकृत प्रारूप बनाने का है।  हॉर्डिकल्चर विभाग की माने तो विदर्भ में कई किसानों ने यह कारनामा कर दिखाया है। जिसका श्रेय उन्होंने भरत नगर स्थित संतरा गुणवत्ता केन्द्र को दिया है।

वर्षों पहले इजराइल देश के साथ भारत ने कृषि को लेकर करार किया था। जिसमें भारत की कृषि इजराइल कृषि तकनीक पर आधारित रहेगी। लेकिन संतरा उत्पादन के मामले में किसान इस तकनीक का इस्तमाल नहीं कर रहे थे।   बारिश का प्रमाण बाकी देशों की तुलना भारत में ज्यादा रहने के बावजूद एक हेक्टर में 10 टन तक ही संतरा उत्पादन हो रहा था जबकि विदेश में कम बारिश के बावजूद एक हेक्टर में 20 से 25 टन संतरा उत्पादन  था। ऐसे में यहां के किसानों की कृषि पध्दति को बदलने को लेकर संतरा गुणवत्ता केन्द्र की ओर से प्रयास किये  किए गये।

खासकर विदर्भ में कई ग्रामीण क्षेत्र में प्रशिक्षण आदि की मदद से संतरा उत्पादन के लिए खेती पध्दति को बदलने के लिए कहा गया। जिसमें कृषि विभाग के हॉर्डिकल्चर विभाग ने खूब मेहनत की। संतरा उत्पादन में आनेवाली खामियों का अभ्यास करते हुए आधुनिक तकनीक का कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बारे में जानकारी दी। विदर्भ के कई किसानों ने इस तकनीक का सहारा लिया। जिसका परिणाम आज विदर्भ में ही विदेश में लिये जा रहे संतरा उत्पादन की बराबरी कुछ किसानों ने की है। आने वाले समय में विदर्भ का हर किसान इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए संतरा उत्पादन में गजब की वृध्दि कर सकता है।

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इस तरह दूर की खामियां
बताया गया कि,  पहले किसान सस्ते पौधे लेकर संतरे की कलम बांध पेड़ तैयार करते थे। जिसमें पेड़ तो तैयार होते थे, लेकिन उस तरह उपज नहीं मिल पाती थी।  पेड़ लगाने का तरीका भी गलत था। ऐसे में उन्हें बताया गया कि, संतरे की कलम को जंबेरी व रंगपूर लाइम प्रजाति के पौधों पर बांधना चाहिए,  पेड़ों को जमीन से तीन मीटर ऊंचाई का ढेर कर लगाना चाहिए। कम जगह में ज्यादा पौधे कैसे लगायें इसके अलावा मिट्टी शुध्दिकरण आदि के बारे में भी मार्गदर्शन दिया गया।

पहले संतरे का उत्पादन विदर्भ में एक हेक्टर के पीछे 10 टन तक ही था।  विदेश में 25 टन तक है। इजराइल तकनीक का इस्तेमाल कर अभी विदर्भ में कई किसानों ने एक हेक्टर में ही 30 से 35 टन तक संतरा उत्पादन लिया है। इसमें संतरा गुणवत्ता केन्द्र के प्रकल्प प्रमुख डॉ. पंचभाई का महत्वपूर्ण योगदान है। -डॉ. रमाकांत गजभिये, प्राध्यापक व विभाग प्रमुख, उद्यान विद्या विभाग कृषि

Created On :   18 Feb 2020 2:04 PM IST

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