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आखिर मिल गई विदर्भ की बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी, जलस्तर बढ़ाने गांवों को लिया दत्तक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मृदा व जलसंधारण विभाग अंतर्गत आनेवाले विदर्भ सघन सिंचाई विकास कार्यक्रम के तहत नागपुर के लिए मुख्य अभियंता कार्यालय को हाल ही में सरकार से मंजूरी मिल गई है। शीघ्र ही यह कार्यालय में शुरू होगा। मृदा व जलसंधारण आयुक्तालय के साथ ही विभागीय क्षेत्रीय यंत्रणा में पुनर्रचना के प्रस्ताव को 25 अप्रैल 2017 को मंत्रिमंडल ने मान्यता दी थी। 31 मई 2017 के जीआर के अनुसार प्रादेशिक स्तर पर नए 6 सतर्कता व गुणनियंत्रण टीमों का निर्माण किया गया। इसके लिए प्रादेशिक राजस्व विभाग स्तर पर कार्यकारी अभियंताआें के 6 कार्यालय, प्रादेशिक सतर्कता व गुणनियंत्रण कार्यालयों में तब्दील किए गए। पुणे का मुख्य अभियंता कार्यालय आयुक्तालय में विलीन किया गया। मुख्य अभियंता विदर्भ सघन सिंचाई विकास कार्यक्रम का कार्यालय 31 मार्च 2017 को बंद किया गया था, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर काम करते समय आनेवाली दिक्कतों को देखते हुए यह कार्यालय पुन: शुरू करने का निर्णय सरकार द्वारा किया गया। नागपुर में यह कार्यालय नए से शुरू किया जा रहा है। अपर आयुक्त जलसंधारण, मृदा व जलसंधारण प्रादेशिक क्षेत्र यह कार्यालय का नाम होगा। इस कार्यालय के लिए 17 पदाें को मंजूरी मिली हुई है। पुणे व नागपुर के अपर आयुक्त, आयुक्त मृदा व जलसंधारण के प्रशासकीय नियंत्रण में काम करेंगे।
जलस्तर बढ़ाने के लिए 3 गांवों को लिया दत्तक
जिले के 40 गांवों को जलसंकट मुक्त कर पुलवामा के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने का जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय यादव ने जिप कर्मचारी संगठनों से आह्वान किया। उनके आह्वान का समर्थन कर कास्ट्राइब जिला परिषद कर्मचारी संगठन ने नरखेड़ तहसील के 3 गांवों को दत्तक लेकर जलस्तर बढ़ाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। संगठन की ओर से रविवार को श्रमदान कर इस कार्य का श्रीगणेश किया गया है। जिले में तीव्र जलसंकटग्रस्त नरखेड़ तहसील का जलसंकट निवारणार्थ चयन किया गया है। आमिर खान के पानी फाउंडेशन अंतर्गत वाटर कप स्पर्धा के लिए इसी तहसील के 40 गांवों का चयन किया गया है। जिला परिषद के सभी विभागों को इन गांवों में से एक गांव जलसंकट निवारणार्थ दत्तक दिया गया है। जिला परिषद कर्मचारी संगठनों को इस अभियान में शामिल करने मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक लेकर आगे आने की अपील की। कास्ट्राइब जिला परिषद कर्मचारी संगठन ने इस अभियान में शामिल होकर खेड़ी, गोवारगोंदी और मन्नत गांव दत्तक लिया है। इन गांवों में पौधारोपण तथा वाटर एटीएम लगाने का संकल्प लिया गया। इसके लिए आने वाला खर्च संगठन की ओर से िकया जाएगा। तहसील तथा जिला स्तर पर समन्वय स्थापित कर जलसंकट निवारणार्थ अपेक्षित उपाययोजना पर अमल करने का प्रयास किया जाएगा।
वाटर कप स्पर्धा के लिए जनजागरण करेंगे
उधर नरखेड़ तहसील के 40 गांवों में वाटर कप स्पर्धा है। संगठन की ओर से दत्तक लिए गए गांव स्पर्धा में शामिल हैं। वाटर कप स्पर्धा के नियमों पर खरा उतरने के लिए जनजागरण किया जाएगा। गर्मी के मौसम में कामठी शहर में जल संकट की स्थिति निर्माण हो जाती है। एक तो भीषण गर्मी की वजह से कन्हान नदी का जल स्तर घट गया है। पानी के अधिक उपयोग से जल संकट जैसी स्थिति निर्माण हो जाती है। फिलहाल एक माह तक पानी की समस्या नहीं है, लेकिन यदि ऐसी स्थिति रही तो पेंच एकमात्र ऐसा विकल्प है जहां से शहर को जलापूर्ति की जाएगी। इसलिए कामठी के जलप्रदाय विभाग ने शहरवासियों से अभी से पानी का उपयोग संभलकर करने की हिदायत दी है। कामठी शहर को कन्हान नदी के जल स्त्रोत से पीने के पानी की जलापूर्ति की जाती है। मार्च महीना तो जैसे-तैसे बीत जाएगा, लेकिन अप्रैल महीने से पानी की कमी महसूस होने लगेगी। ऐसे में पानी की कमी को दूर करने के लिए पेंच प्रकल्प ही एक वैकल्पिक साधन कामठी नगर परिषद के पास है। यहां से कामठी शहर को जलापूर्ति करनी पड़ेगी। बारिश के दिनों में जो जल संग्रहित किया गया था वह गर्मी के दिनों में काम आ सकता है। जल संकट जैसी स्थिति से निपटने के लिए कामठी नगर परिषद का जलप्रदाय विभाग पूरी तरह तैयार है लेकिन, शहरवासियों ने भी पानी को लेकर जनजागरण होना बेहद जरूरी है।
दूषित पानी पीने को मजबूर किसान, व्यापारी और मजदूर
इसके अलावा कलमना बाजार के नलों में दूषित जल की आपूर्ति होने की खबर है। विदर्भ की सबसे बड़ी मंडी कलमना बाजार में आनेवाले किसानों, व्यापारियों और अन्य लाेगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से यहां के नलों में दूषित पानी आ रहा है। गिलास में डालने पर पानी का रंग बदला-बदला सा नजर आता है। व्यापारियों ने बताया कि इसकी शिकायत एपीएमसी प्रशासन से की गई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। नलों में पानी न आने पर पूरक व्यवस्था के रूप में मार्केट में हैंडपंप लगाए गए हैं, लेकिन हैंडपंप में भी पानी नहीं आता है। कई जगह के हैंडपंप तो टूटे पड़े हैं। मार्च महीना शुरू हो गया है। गर्मी भी अपना रंग जमाने लगी है। ऐसे में पानी की मांग बढ़ गई है। मार्केट में व्यापारी तो किसी तरह अन्य साधनों के माध्यम से अपनी जरूरतें पूरी कर लेते हैंं, लेकिन बाहर से आनेवाले किसान, मजदूरों और अन्य लोगों को इसी पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। दूषित पानी के कारण तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
Created On :   6 March 2019 5:51 PM IST