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जमीन लेन-देन में ग्रामीणों को हो रही परेशानी एनएमआरडीए कार्यालय के काटने पड़ते हैं चक्कर
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर विकास की संकल्पना के साथ एनएमआरडीए में शामिल जिले के गांवों में विविध समस्याएं सामने आने लगी हैं। विकास कार्य प्रभावित हुआ है। इसके अलावा जमीन के लेनदेन व अन्य विकास कार्याें के लिए इन गांवों के लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। एनएमआरडीए कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। विविध समस्याओं को लेकर रामटेक के पूर्व सांसद प्रकाश जाधव ने नासुप्र के सभापति मनोज सूर्यवंशी से मुलाकात की। ग्रामीणों को राहत देने का निवेदन किया गया है। एनएमआरडीए अर्थात नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण की स्थापना के समय लक्ष्य रखा गया था कि शहर सीमा के ग्रामीण क्षेत्रों में शहर जैसा विकास कार्य किया जाएगा। एनएमआरडीए का कार्यालय नागपुर में है। जिले में ग्रामीण क्षेत्र में किसान व सामान्य नागरिकों की खेती व जमीन के खरीद बिक्री व्यवहार के लिए तहसील स्तर पर उपनिबंधक रजिस्टार कार्यालय है। लेकिन एनएमआरडीए के अंतर्गत गांवों में विकास कार्य व जमीन के लेनदेन के लिए ग्रामीणों को एनएमआरडीए के नागपुर कार्यालय में आना पड़ता है। भाग नकाशा की मंजूरी व उपयोग प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। जाधव ने कहा है कि एनएमआरडीए कार्यालय के एक दिन में भाग नकाशा व उपयोग प्रमाण पत्र नहीं मिल पाता है। लिहाजा ग्रामीणों को भटकते रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कि ग्रामीण उपनिंबंधक कार्यालय में एनएमआरडीए संबंधी अनुमति कार्य की सुविधा होना चाहिए। एनएमआरडीए के अनुमति कार्य को आनलाइन भी किया जा सकता है। जाधव ने कहा है कि ग्रामीणों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। नासुप्र सभापति से मुलाकात के समय प्रवीण जुमले, राजा रामद्वार, विलास भोबले, राजेश तुमसरे, मोतीराम राहटे, अभिमन्यू चावला, राजू बारई सहित अन्य कार्यकर्ता थे।
विकास शुुल्क को लेकर भी परेशानी
गौरतलब है कि एनएमआरडीए के विकास शुुल्क को लेकर भी ग्रामीण परेशान हैं। एनएमआरडीए शहरी विकास एजेंसी है। यह नासुप्र के अंतर्गत काम करती है। वर्ष 2017 में एनएमआरडीए की स्थापना की गई। इसके लिए राज्य सरकार ने विशेष अधिनियम तैयार किया था। नागपुर जिले की 9 तहसीलों के 719 गांवों के शहर विकास के समान विकास की जवाबदारी एनएमआरडीए ने ली। कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया। शहर सीमा से 25 से 35 किमी तक के गांवों के विकास का खाका तैयार किया गया। लेकिन एनएमआरडीए का काम विकास के नाम पर केवल नोटिस भेजने तक ही सीमित रहा। पहले तो नासुप्र को ही बर्खास्त कर दिया गया था। कहा गया था कि नासुप्र का स्टाफ एनएमआरडीए में अच्छी सेवाएं देगा। लेकिन अब नासुप्र को पुनर्जीवित किया गया है। एनमआरडीए की भूमिका पर ही सवाल उठाए जाने लगते हैं। इस विकास एजेंसी का विकास शुल्क निर्धारण विवाद में रहा है।
Created On :   21 April 2022 5:15 PM IST