मौत डिक्लियर करने भी आधा घंटा करना पड़ा डॉक्टर का इंतजार

Waiting for the doctor had to spend half an hour even to declare death
मौत डिक्लियर करने भी आधा घंटा करना पड़ा डॉक्टर का इंतजार
मौत डिक्लियर करने भी आधा घंटा करना पड़ा डॉक्टर का इंतजार


डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में रविवार को एक बार मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। आईसीसीयू में भर्ती एक गंभीर मरीज के इलाज के लिए एक से दूसरी बार डॉक्टर नहीं आए। इस बीच मरीज ने दम तोड़ दिया। इलाज तो दूर मरीज की मौत डिक्लियर करने आधा घंटा डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा। मृतक के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि यदि डॉक्टर समय पर बेहतर इलाज देते तो मरीज की जान बचाई जा सकती थी।
श्याम टॉकीज क्षेत्र निवासी दीपकरण शर्मा ने बताया कि रविवार सुबह लगभग 11.30 बजे पिता योगेश शर्मा (55) को गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल लाया गया था। इमरजेंसी में जांच के बाद उन्हें जनरल वार्ड में भर्ती कर दिया गया। लगभग एक घंटे बाद दोपहर 12.30 बजे कॉल पर डॉक्टर आए और बिना जांच के भर्ती पर्ची पर इलाज लिखकर आईसीसीयू में शिफ्ट करने कहकर लौट गए। इसके बाद लगातार हालत गंभीर होती रही। इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर को कई बार आईसीसीयू में बुलाया गया, लेकिन डॉक्टर नहीं आए। दीपकरण का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही से पिता की मौत हुई है।
कार से नहीं उतरे डॉक्टर साहब-
दीपकरण और अन्य परिजनों ने आरोप लगाते हुए बताया कि दोपहर में जिस डॉक्टर को इमरजेंसी कॉल कर बुलाया गया था। उन्होंने जांच पर्ची कार में ही बुलाई और भर्ती पर्ची पर इलाज लिखकर चले गए। डॉक्टर साहब ने मरीज का चैकअप करना भी जरुरी नहीं समझा।
छुट्टी के दिन बदहाल व्यवस्था-
बताया जा रहा है कि रविवार या अवकाश वाले दिन अस्पताल नर्सिंग स्टाफ के हवाले होता है। छुट्टी के दिन वार्ड में राउंड तक नहीं होते। रविवार को भी आईसीसीयू में भर्ती मरीज के साथ ऐसा ही हुआ। मरीज को बेहतर इलाज नहीं मिल पाया।  
मौत डिक्लियर करने डॉक्टर का इंतजार-
इलाज के अभाव में योगेश शर्मा की मौत दोपहर लगभग 3 बजकर 10 मिनट पर हो गई थी। मौत डिक्लियर करने ट्रामा यूनिट से आईसीसीयू तक आने डॉक्टर को लगभग आधा घंटे का समय लग गया। आधा घंटे तक शव यूनिट में ही पड़ा रहा।
जूनियर डॉक्टर नहीं आ रहे ड्यूटी पर-
मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल प्रबंधन के बीच यह तय हुआ था कि मार्च से मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर अस्पताल में अपनी सेवाएं देंगे। लेकिन मेडिकल के जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आ रहे है। जिसकी वजह से मरीजों के इलाज की व्यवस्था नहीं बन पा रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी-
कॉल पर आए डॉक्टर द्वारा मरीज को इलाज दिया गया था, मरीज की हालत गंभीर होने से उन्हें नहीं बचाया जा सका। वहीं ट्रामा यूनिट में गंभीर मरीजों की भीड़ होने से इमरजेंसी डॉक्टर को मृत्यु डिक्लियर करने में थोड़ी देर जरुर लगी थी।
- डॉ.श्रीमती पी गोगिया, सिविल सर्जन, जिला 

Created On :   8 March 2020 4:59 PM GMT

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