बर्बादी ज्यादा मुआवजा कम , प्रति एकड़ 25 हजार रुपए की मदद देने की उठी मांग

Waste more compensation less, demand for help of 25 thousand rupees per acre raised
बर्बादी ज्यादा मुआवजा कम , प्रति एकड़ 25 हजार रुपए की मदद देने की उठी मांग
बर्बादी ज्यादा मुआवजा कम , प्रति एकड़ 25 हजार रुपए की मदद देने की उठी मांग

डिजिटल डेस्क, नागपुर ।  बेमौसम बारिश से पीड़ित किसानों के लिए राज्यपाल की तरफ से मुआवजे का ऐलान तो किया गया, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। बारिश में किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई। सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन पुराने ढर्रे पर ही मदद जाहिर की गई। खरीफ के लिए 8 हजार व फल बागायत के लिए 18 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मदद जाहिर की गई। एक हेक्टेयर में ढाई एकड़ जमीन होती है। इधर, शेतकरी संगठन ने राज्यपाल द्वारा जाहिर मदद का निषेध करते हुए प्रति एकड़ 25 हजार की मदद देने की मांग की है। 

उम्मीद के विपरीत
जिले में बेमौसम बारिश से 54 हजार 202 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल बर्बाद हुई है। इसमें कपास, सोयाबीन, धान, ज्वारी व संतरा शामिल है। हर पार्टी के नेताआें ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ित किसानों को ज्यादा से ज्यादा मदद करने का दावा किया। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने से मदद संबंधी सारे अधिकार राज्यपाल के पास सुरक्षित हैं। बेमौसम बारिश से जिले में 1 लाख 19 हजार 355 किसान प्रभावित हुए हैं। राज्यपाल की तरफ से जो मदद जाहिर की गई, उससे किसान बेहद निराश है। पीड़ित किसानों को उम्मीद थी कि पुराने पैमाने को पीछे छोड़कर अधिक से अधिक मदद मिलेगी। इसी तरह केवल दो हेक्टेयर तक की सीमा को भी इस बार पार करने की उम्मीद जताई जा रही थी। हुआ बिल्कुल इसके विपरीत। पुराने नियमों के आधार पर ही मुआवजा तय की गई। 33% से ज्यादा नुकसानवाले किसानों को ही मदद मिली है। 

इससे तो मजदूरी भी नहीं निकलेगी 
पीड़ित किसानों के लिए जो मदद जाहिर हुई है, इससे तो मजदूरी निकलना भी मुश्किल है। बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद हो गई है। सरकार ब्रिटीशों के समय के नार्म्स के आधार पर ही मुआवजा तय कर रही है, जबकि पिछले कुछ सालों में खाद, बीज, बिजली व मजदूरी काफी बढ़ गई है। प्रति एकड़ 25 हजार से ज्यादा मदद मिलनी चाहिए। इसमें दो हेक्टेयर (10 एकड़) की शर्त नहीं होनी चाहिए। केंद्र की टीम को भी मुआयना कर मदद करनी चाहिए। कर्जमाफी के अलावा बिजली बिल भी माफ होने चाहिए।  -राम नेवले, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शेतकरी संगठन महाराष्ट्र. 

जो नियम है, उसी के आधार पर मदद तय हुई 
खरीफ फसल को प्रति हेक्टेयर 8 हजार व फल बागायत को प्रति हेक्टेयर 18 हजार की मदद का नियम है आैर उसी आधार पर मदद तय हुई है। पीड़ित किसानों के बच्चों का परीक्षा शुल्क भी माफ होगा। जिला प्रशासन की तरफ से 46 करोड़ 85 लाख 47 हजार की मदद का प्रस्ताव भेजा गया था।  -रवींद्र ठाकरे, जिलाधीश नागपुर. 

Created On :   18 Nov 2019 1:53 PM IST

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