- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- गोंदिया
- /
- सूख रहे जलस्रोत, वन्यजीवों पर भी...
सूख रहे जलस्रोत, वन्यजीवों पर भी मंडरा सकता है खतरा
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। कम बारिश होने से जिले में इस बार जलसंकट के आसार दिखाई दे रहे हैं। जिसका असर वन्यप्राणियों पर भी होने से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे तो पानी के अभाव में किसी भी वन्यप्राणी की मौत न हो, इसलिए वनविभाग द्वारा जंगलों में हर 5 चौ.किमी की दूरी पर जलस्त्रोत निर्माण किए गए हैं इसके अलावा सैकड़ों प्राकृतिक जलस्त्रोत भी हैं। लेकिन क्षेत्र के जलस्त्रोतों में पानी नहीं होने से वन्यप्राणियों की सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान निर्माण हो रहे हैं।
फारेस्ट ने 370 जलस्रोत किए तैयार: बता दें कि, गोंदिया वनविभाग के तहत कुल 12 वन परिक्षेत्र, 58 सहवनक्षेत्र व 274 निर्धारित क्षेत्र हैं। जिनके अंतर्गत बसे जंगलों में हजारोंं प्रजातियों के वन्यजीव अधिवास करते हैं। उन सभी वन्यजीवों को उन्हीं के होमरेंज में पीने का पानी उपलब्ध होना आवश्यक है। गर्मी के दिनों में अनेक जलस्त्रोत सूखने से जंगलों में पानी नहीं मिलता, जिसके चलते वन्यप्राणी पानी की तलाश में ग्रामों की ओर पलायन करते हैं। कई प्राणियों की प्यास से मौत भी हो जाती है। गांव की ओर वन्यप्राणियों का आना नागरिकों के लिए मुसीबत बन जाता है। इन सभी समस्याओं को दूर कर वन्यप्राणियों को राहत दिलाने के लिए वनविभाग द्वारा जिले के जंगली क्षेत्र में 370 जलस्त्रोत निर्माण किए गए है। जिनमें 129 बारामासी तालाब, 187 कृत्रिम जलस्त्रोत व 54 बोरवेल का समावेश है। प्रतिवर्ष की समस्या को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2015-16 में अतिरिक्त 44 कृत्रिम जलस्त्रोत व18 बोरवेल का निर्माण भी किया गया था।
दिसंबर से ही हालात बिगड़े : गौरतलब है कि यह सभी जलस्त्रोत प्रतिवर्ष दिसंबर माह में पानी से लबालब रहते थे। केवल मई, जून में पानी कम होता था। लेकिन इस वर्ष बारिश के दिनों से ही जलस्त्रोतों में पानी दिखाई नहीं दे रहा है। अल्प बारिश के चलते कुछ प्रतिशत ही जलसंचय हुआ था, अब वह पानी भी धीरे-धीरे सूखने लगा है। अभी से जलस्त्रोत सूखना भविष्य के जलसंकट की निशानी है। ग्रीष्मकाल में वन्यप्राणियों के सामने पेयजल की गंभीर समस्या निर्माण होने के आसार है। जिसको ध्यान में लेते हुए सजग रहना वनविभाग के लिए आवश्यक हो गया है। कई जलस्त्रोत सूखे पड़े होने से वन्यप्राणियों पर संकट मंडरा रहा है। इस संदर्भ में सहायक वन संरक्षक एन.एच.शेंडे का कहना है कि वैसे तो प्रतिवर्ष जंगल क्षेत्र के कई जलस्त्रोत सूख जाते हैं। जिनमें कृत्रिम स्रोतों से पानी भर कर वन्यप्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था की जाती है। इसके लिए जंगलों में लगभग 54 बोरवेल्स बनाए गए हैं। प्रतिवर्ष की तुलना में इस वर्ष अभी से ही जलस्रोत सूखने शुरू हो गए हैं। लेकिन फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। समस्या को देखते हुए जलस्त्रोतो में पानी भरने की व्यवस्था की जाएगी।
Created On :   12 Dec 2017 2:44 PM IST