हम कोरोना को हराने के करीब, पहला डोज शत-प्रतिशत, दूसरे में 67 फीसदी सफलता

We are close to defeating Corona, first dose 100% success in second 67 percent
हम कोरोना को हराने के करीब, पहला डोज शत-प्रतिशत, दूसरे में 67 फीसदी सफलता
नागपुर हम कोरोना को हराने के करीब, पहला डोज शत-प्रतिशत, दूसरे में 67 फीसदी सफलता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में 16 जनवरी 2021 को टीकाकरण अभियान शुरू हुआ। टीकाकरण के शुरुआती दिनों में इसके नियमों का काफी गंभीरता से पालन किया जाता था। समय के साथ इसके िनयमाें की अनदेखी की जाने लगी। अब तो ऑब्जर्वेशन के लिए भी लाेग नहीं रुकते। न टीका लगवाने वाला रुकता है और न ही केंद्र के कर्मचारी उन्हें रोकते हैं। सभी केंद्रों का यही हाल है। नागपुर महानगर पालिका अंतर्गत 335 केंद्रों पर टीकाकरण किया जा रहा है। 15 जनवरी को एक साल पूरा हो चुका है। इस दिन तक कुल 35,46,781 टीके लगाए गए हैं। इनमें पहला डोज लेने वाले 2108032, दूसरा डोज लेने वाले 1425676 और तीसरा बूस्टर डोज लेेने वाले 13075 लोग शामिल हैं। पहले डोज का लक्ष्य शत-प्रतिशत पूरा हो चुका है, लेकिन दूसरे डोज में अभी 67.09 प्रतिशत ही सफलता मिल सकी है। 

सरकार के टीकाकरण अभियान अंतर्गत शहर में 16 जनवरी से टीकाकरण शुरू हुआ। पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स व हेल्थ केयर वर्कर्स को टीके लगाए गए। इसके बाद 60 साल से अधिक उम्र वालों को टीके दिए गए। इसमें बीमारी से पीड़ित व अन्य का समावेश था। 12 मई से 18 साल से अधिक आयुवर्ग का टीकाकरण शुरू हुआ। 3 जनवरी से 15 से 18 आयुवर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण प्रारंभ किया गया। टीकाकरण की शुरुआत के छह महीने तक लोगों को पहला डोज लेना था। उस समय मन में डर हुआ करता था कि कहीं टीका लगाने के बाद नियमों का पालन नहीं करने पर नुकसान हो सकता है। इसलिए लोग टीके लगाने के बाद आधा घंटा केंद्र पर ही बैठे रहते थे। उस समय केंद्र के कर्मचारी, डॉक्टर्स, नर्स आदि उन्हें रोकते थे। उन पर पूरी निगरानी रखी जाती थी। 

पहले डोज के समय था डर

जुलाई महीने से टीकाकरण के मामले में उदासीनता बरती जा रही है। दो दिन पहले महल स्थित प्रभाकरराव दटके रोगनिदान केंद्र, पांचपावली केंद्र, खदान स्कूल केंद्र, दाजी अस्पताल, आइसोलेशन अस्पताल समेत अनेक केंद्रों का हमने जायजा लिया। मगर, हैरानी  यह रही कि किसी भी केंद्र पर टीके लगाने के बाद लाेग रुक नहीं रहे थे। टीके लगाने के बाद लोग सीधे बाहर की तरफ निकलते जा रहे थे।  कुछ लोगों ने पूछने पर कहा कि अब दूसरा डोज है। पहले डोज के समय डर था, अब वह डर नहीं है। जब वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी, उस समय लोग गंभीर थे। वे खुद होकर वैक्सीनेशन के बाद आधे घंटे तक रुकते थे। उन्हें महामारी से बचने और स्वयं के स्वास्थ्य की चिंता हुआ करती थी। 

शुरुआती दिनों में पहले डोज के समय ऑब्जर्वेशन रुम में एक समय में 15 से अधिक लोग रहते थे, लेकिन अब वैक्सीन लगाने के लिए लोग इतनी जल्दबाजी में आ रहे हैं कि वैक्सीन लगाने के बाद तुरंत लौट जाते हैं। एक की देखा-देखी सभी वैसे ही करने लगे हैं। ऑब्जर्वेशन के लिए रुकने को लेकर किसी से जबरदस्ती नहीं की जाती। अधिकतर लोगों ने पहला डोज ले लिया है, इसलिए वे जब दूसरा डोज लेने आते हैं तो वैक्सीन लगवाकर तुरंत चले जाते हैं। लोग एक-दूसरे की देखा-देखी टीके लगते ही केंद्र के बाहर निकल जाते हैं। पहला डोज लेने वाले थोड़ी बहुत पूछताछ करते हैं। केंद्र के कर्मचारी उन्हें इच्छा हो तो बैठने को कहते, नहीं तो जाने की इजाजत दे देते हैं। जबकि सरकार के नियमानुसार टीका लगाने के बाद 30 मिनट के लिए केंद्र के कर्मचारियों की निगरानी में रहना चाहिए। उन्हें इतने समय तक रुकना अनिवार्य है। लेकिन न लाेग रुकते हैं और न ही कर्मचारी उन्हें रोकते हैं।

Created On :   17 Jan 2022 5:00 PM IST

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