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बिना एनओसी के चल रहा है, आग से हुई थी चार की मौत
डिजिटल डेस्क, वाड़ी। अहमदनगर स्थित एक अस्पताल में लगी आग में 11 मरीजों द्वारा जान गंवाने के बाद एक बार फिर नागपुर के वाड़ी स्थित वेल्ट्रीट अस्पताल का अग्निकांड चर्चा में आ गया है। इस घटना में 4 लोगों की मौत के बाद भी शासन-प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। 4 अप्रैल 2021 को घटना के बाद कुछ प्रशासनिक औपचारिकताएं निभाई गईं, लेकिन इन औपचारिकाओं में गंभीर खुलासों के बाद भी प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया। घटना के बाद फायर और एमएसईबी के अधिकारियों की टीम ने वेल्ट्रीट अस्पताल का मौका-मुआयना कर कुछ खामियां गिनाई थीं। अस्पताल में जितने वॉट की बिजली चाहिए थी, उससे ज्यादा का इस्तेमाल किया जा रहा था। इससे शार्ट-सर्किट के कारण आग लगी। इस पर कार्रवाई करने के बजाए प्रशासन ने चुप्पी साध ली। हादसे के लिए न कोई जांच कमेटी बनी, न कोई दोषी ठहराया गया। सब कुछ रफा-दफा हो गया। पीड़ित परिवार न्याय की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा है।
शहर में नियमों के विरुद्ध कई अस्पताल
पीड़ितों की मांग पर पुलिस ने अस्पताल के संचालक समेत अन्य पर मामला दर्ज किया। घटना के 6 महीने बाद भी पुलिस ने इस मामले में अब तक चार्जशीट दायर नहीं की है, जिस कारण प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं। नगर परिषद का अभी भी दावा है कि अस्पताल को एनओसी नहीं है, फिर भी अस्पताल संचालित हो रहा है। इमारत को तोड़ने का नोटिस दिया है। हालांकि मामला सिर्फ वेल्ट्रीट का नहीं है, बल्कि शहर में ऐसे अनगित अस्पताल हैं, जो नियमबाह्य चल रहे हैं। घटनाओं से सबक नहीं लेने के कारण वेल्ट्रीट अस्पताल जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है।
एक-दूसरे पर ढकेल रहे जिम्मेदारी
अग्निकांड के बाद कार्रवाई को लेकर प्रशासन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढकेलते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। वाड़ी नगर परिषद के मुख्याधिकारी जुम्मा प्यारेवाले का कहना है कि अस्पतालों को अभी भी नगर परिषद की एनओसी नहीं है। फायर की भी अनुमति नहीं है। अस्पताल ने नगर परिषद का जो प्रमाणपत्र प्राप्त किया है, उसका भी नप की रिकार्ड में उल्लेख नहीं है, अर्थात फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर अस्पताल चल रहा है। सिविल सर्जन को इसकी जानकारी दी गई थी। नप को अस्पताल बंद करने का अधिकार नहीं है। सिविल सर्जन को यह अधिकार है। अस्पताल की बिल्डिंग को तोड़ने का नोटिस दिया गया है। इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. देवेंद्र पातुरकर से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई प्रतिसाद नहीं मिला।
परिवार परेशान, न सरकार से मदद न कोई कार्रवाई
वेल्ट्रीट अस्पताल में लगी आग में 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इसमें चंद्रपुर के भगवान सोनबरसे का पुत्र भी था। भगवान सोनबरसे अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण मेरे बेटे की जान गई है। कोरोना के इलाज के नाम पर अस्पताल ने बेटे को भर्ती किया, लेकिन कोरोना का कोई उपचार नहीं था। इस मामले में अभी तक डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली। डॉक्टर पर कड़ी कार्रवाई कर उसका डॉक्टरी लाइसेंस रद्द किया जाए। हमने वकील के माध्यम से डॉक्टर को भरपाई के लिए नोटिस भेजा है। वकील आशीष आड़े ने बताया कि वेल्ट्रीट मामले में मृतक परिवार को मदद के लिए कंज्यूमर कोर्ट में याचिका दायर की है।
Created On :   8 Nov 2021 6:55 PM IST