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रेप के मामलों में डीएनए जांच न कराने वाले 1256 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की?
डिजिटल डेस्क जबलपुर । हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद भी रेप के मामलों में डीएनए जांच न कराने वाले 1256 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने के आदेश हाईकोर्ट ने सरकार को दिए हैं। जस्टिस जगदीश प्रसाद गुप्ता की एकलपीठ ने सोमवार को एक मामले पर सुनवाई के बाद सरकार से रिपोर्ट तलब की, ताकि प्रत्येक मामले का परीक्षण करके दोषी पुलिस वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके। मामले पर अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी।
गौरतलब है कि रीवा जिले के जनेह थानांतर्गत ग्राम मनकिया में रहने वाले सूरज पाल आदिवासी ने रेप व हत्या के मामले में जमानत पाने एक अर्जी सितंबर 2018 में हाईकोर्ट में दायर की थी। इस मामले पर 14 नवम्बर 2018 को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पाया था कि इस मामले में संबंधित थाना पुलिस ने डीएनए जांच कराई ही नहीं है, जबकि हाईकोर्ट ने 4 मई 2016 को हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि रेप से जुड़े हर एक मामले में डीएनए जांच कराई जाए। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल 2019 को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा था कि रेप के कितने मामलों में पुलिस ने डीएनए टेस्ट नहीं कराया और इसके लिए जो भी पुलिस वाले दोषी हैं, उनकी सूची पेश की जाये। विगत 9 अगस्त को आगे हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने शोकॉज नोटिस जारी किए गए हैं। मामले पर ओआईसी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव उइके की ओर से न्यायालय में पेश की गयी रिपोर्ट में बताया गया था कि 1 जुलाई 2018 से 31 अप्रैल 2019 तक प्रदेश में 4359 बलात्कार के प्रकरण दर्ज हुए है, जिसमें से 731 प्रकरणों में डीएनए टेस्ट नहीं कराया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने किस अधिकारी को क्या सजा दी गई, उसका ब्यौरा पेश करने के आदेश सरकार को दिए थे। मामले पर सोमवार को आगे हुई सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से अधिवक्ता नीरज तिवारी, राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता प्रवीण दुबे और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अर्पित तिवारी हाजिर हुए। सुनवाई के बाद अदालत ने जानना चाहा कि कोर्ट के आदेश की अव्हेलना करने वाले 1256 पुलिस वालों में से किसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, इसका ब्यौरा पेश किया जाए।
Created On :   17 Dec 2019 1:56 PM IST