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यह कैसा वक्त आया : रिश्तेदार कर रहे किनारा, तो समाजसेवी दे रहे कंधा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संक्रमण के कारण जिन लोगों की मृत्यु हो रही है, उनका अंतिम संस्कार मनपा के कर्मचारी या कुछ समाजसेवी संगठन कर रहे हैं। चिंता की बात यह है कि जिन लोगों की सामान्य मौत हो रही है, उन्हें 4 कंधे भी नसीब नहीं हो रहे हैं। कोरोना ने लोगों को इस तरह झकझोर दिया है कि आसपास या रिश्तेदारी में गमी की खबर सुनकर भी कोई नहीं जाना चाहता। ऐसे में शहर के रवि नगर निवासी ईको फ्रेंडली लिविंग फाउंडेशन के अध्यक्ष पर्यावरणविद् विजय लिमये ने एक समाजसेवी पहल की है। उन्होंने एक टीम तैयार की है, जो सामान्य मौत के पार्थिव को घर से श्मशान तक कंधा देकर अंतिम संस्कार कर रही है।
कोरोना का सता रहा था भय
लिमये ने बताया कि उनके पास हर रोज फोन कॉल्स आते हैं कि एक व्यक्ति की सामान्य मौत हुई है, लेकिन कोई श्मशान ले जानेवाला नहीं है। सभी के मन में कोरोना का डर है। उसके बाद मैंने कई लोगों से इस बारे में चर्चा की, पर कोई तैयार नहीं हो रहा था। काफी प्रयास किया और एक टीम तैयार की। मेरे पास किसी का फोन आता है, तो उनको सेवाएं देने के लिए टीम मेम्बर सदैव तत्पर रहते हैं। श्मशान घाट के लिए शववाहिका की व्यवस्था भी करवा कर देते हैं। अंतिम क्रिया की तैयारी के वक्त 4 व्यक्ति पूरी सावधानी रखते हैं। जैसे मास्क और हैंड ग्लब्स पहनते हैं। हम अपनी टीम के साथ ऐसे लोगों की पूरी मदद कर रहे हैं।
मोक्षकाष्ठ से करते हैं अंतिम संस्कार
लिमये ने बताया कि उन्होंने शहर में ईकोफ्रेंडली अंतिम संस्कार कर वनों को कटने से बचाने का संदेश दिया है। हमारी संस्था एग्रो वेस्ट मटेरियल से मोक्षकाष्ठ तैयार करती है और उसी से अंतिम संस्कार करती है। संस्था द्वारा पिछले 4 वर्ष से 4 हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार मोक्षकाष्ठ द्वारा किया जा चुका है। सोयाबीन, कपास, तुवर, मूंगफली आदि फसल कटने के बाद शेष कचरे को एकत्र कर मशीन द्वारा ब्रिकेट बनाए जाते हैं, जिसे मोक्षकाष्ठ नाम दिया गया है। लगभग 1 फीट के ब्रिकेट का वजन 1 किलो होता है। फैक्ट्री में तैयार होने के बाद इसे बोरियों में जमाकर शव की अंतिम क्रिया के उपयोग हेतु श्मशान घाट भेजा जाता है।
Created On :   27 April 2021 4:18 PM IST