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एमयू घोटाले में उच्च स्तरीय जाँच पर क्या निर्णय लिया गया
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से पूछा है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में पास-फेल घोटाले की उच्च स्तरीय जाँच पर क्या निर्णय लिया गया है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को निर्धारित करते हुए परीक्षा कराने वाली कंपनी माइंड लॉजिक्स को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। डिवीजन बैंच ने यह निर्देश मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुए घोटाले की निष्पक्ष जाँच रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर किए जाने के आवेदन पर विचार करने के बाद दिया है।
यह है मामला
गढ़ा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद मिश्रा और प्रेमनगर निवासी अधिवक्ता अंकिता अग्रवाल की ओर से अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुए पास-फेल के घोटाले की जाँच करने की माँग की गई है। याचिका में कहा गया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर फेल छात्रों को पैसे लेकर पास किया गया। छात्रों को पास कराने के लिए ऑनलाइन लेन-देन किया गया। परीक्षा कराने वाली कंपनी माइंड लॉजिक्स को ई-मेल से छात्रों के नंबर बढ़ाने के मैसेज भेजे गए। याचिका में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी में घोटाले का पर्दाफाश करने वाले अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उनका तबादला कर दिया गया है। वहीं आरोपों में घिरे अधिकारियों को यूनिवर्सिटी में पदस्थ रखा गया है।
निष्पक्ष जाँच से बच रही सरकार
वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता और आरएन तिवारी ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने घोटाले की निष्पक्ष जाँच की मंशा जाहिर की थी। अब सरकार उच्च स्तरीय जाँच से बचने का प्रयास कर रही है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने कुलपति से जानकारी माँगी है।
Created On :   15 Sept 2021 2:14 PM IST